रायपुर: छत्तीसगढ़ राइस कस्टम राइस मिलिंग घोटाले में ईडी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए मार्कफेड के पूर्व एमडी को गिरफ्तार किया है. मार्कफेड के पूर्व एमडी मनोज सोनी की गिरफ्तारी झारखंड से हुई है. ईडी ने उसके बाद इन्हें अदालत में पेश किया. कोर्ट ने चार मई तक मनोज सोनी को ईडी की रिमांड पर भेज दिया है. ईडी का कहना है कि मनोज सोनी की गिरफ्तारी रायपुर से की गई है.
मनोज सोनी को रायपुर की कोर्ट में किया गया पेश: मनोज सोनी को ईडी ने गिरफ्तार करने के बाद रायपुर की अदालत में पेश किया. कोर्ट में ईडी ने मनोज सोनी की 14 दिनों की रिमांड मांगी थी. दोनों पक्षों के वकील की दलील सुनने केबाद कोर्ट ने मनोज सोनी को पांच दिनों की रिमांड पर भेज दिया है. अब मनोज सोनी को चार मई को कोर्ट में पेश किया जाएगा. ईडी के वकील सौरभ कुमार पांडेय ने बताया कि कस्टम मीलिंग घोटाला मामले में मार्कफेड के पूर्व एमडी मनोज सोनी को सूचना के आधार पर ईडी की टीम ने मंगलवार की दोपहर रायपुर से गिरफ्तार किया है.
"कस्टम राइस मिलिंग के इस घोटाले में मनोज सोनी और उनके सहयोगियों का खेल लगभग दो सालों से चल रहा था. टीम में मार्कफेड के अफसर और छत्तीसगढ़ स्टेट मिलर्स एशोसिएशन की पदाधिकारी भी शामिल थे. कस्टम मिलिंग, डीओ काटने, मोटा धान को पतला, पतले धान को मोटा करने के लिए और एफसीआई को नान में कन्वर्ट करने को लेकर पैसा लिया जाता था. इसके तहत विशेष प्रोत्साहन का दुरुपयोग करने की साजिश रची, जहां राज्य सरकार द्वारा चावल की कस्टम मिलिंग के लिए चावल मिल मालिकों को 40 रुपये प्रति क्विंटल धान का भुगतान किया गया था": ईडी का दावा
EOW के दफ्तर भी गए थे मनोज सोनी: सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मार्कफेड के पूर्व एमडी मनोज सोनी पहले ईओडब्ल्यू के दफ्तर गए थे. उसके बाद ईडी ने उन्हें हिरासत में लिया और कोर्ट में पेश किया. ईडी के मुताबिक राज्य में राइस कस्टम मिलिंग में 140 करोड रुपये की अवैध वसूली की गई है. जिसमें अफसर से लेकर मिलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी भी शामिल हैं.
"छत्तीसगढ़ राज्य राइस मिलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने अपने कोषाध्यक्ष रोशन चंद्राकर के नेतृत्व में मार्कफेड के एमडी मनोज सोनी के साथ मिलकर घपला किया. चावल मिलर्स से प्रत्येक क्विंटल धान के लिए प्रति किस्त 20 रुपये की रिश्वत की राशि जुटाई. नकद राशि का भुगतान करने वाले चावल मिल मालिकों का विवरण जिला चावल मिलर्स एसोसिएशन द्वारा संबंधित डीएमओ को भेजा गया था.चावल मिलर्स के बिल प्राप्त होने पर डीएमओ ने संबंधित जिला राइस मिलर्स एसोसिएशन से प्राप्त विवरण के साथ उनकी जांच की. फिर यह जानकारी मार्कफेड के मुख्य कार्यालय को दे दी गई. इसमें सिर्फ उन राइस मिलर्स के बिल का भुगतान किया गया जिन्होंने एसोसिएशन को नकद राशि का भुगतान किया.": ईडी का दावा
ईडी की जांच में क्या पाया गया: जांच के बाद ईडी ने कहा कि राइस कस्टम मिलिंग में विशेष भत्ता को 40 रुपये से बढ़ाकर 120 रुपये प्रति क्विंटल किया गया. जिसके तहत 500 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. जिसमें 175 करोड़ की राशि किकबैक रूप से उत्पन्न हुई. जिसे रोशन चंद्राकर ने एमडी मार्कफेड की सक्रिय सहायता से जुटाया. इस केस में छापे के दौरान आपत्तिजनक दस्तावेज, डिजिटल उपकरण और 1.06 करोड़ रुपये की बेहिसाब नकदी जब्त की गई. प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी जांच में यह पाया कि तत्कालीन जिला मार्केटिंग अधिकारी प्रीतिका पूजा केरकेट्टा को मनोज सोनी ने रोशन चंद्राकर के माध्यम से निर्देश दिया था. कहा गया था कि उन्हीं राइस मिलर्स के बिल का भुगतान किया जाएगा. जिन्होंने वसूली की राशि रोशन चंद्राकर को दे दी है. इस तरह की जानकारी संबंधित जिले के राइस मिलर्स एसोसिएशन के जरिए प्राप्त होती थी. रोशन चंद्राकर जिन मिलर्स की जानकारी प्रीतिका पूजा केरकेट्टा को देते थे, उनका भुगतान कर बाकी मिलर्स की राशि रोक दी जाती थी.