रांचीः झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के ओएसडी के ठिकानों से 35.23 करोड़ बरामद होने के बाद ईडी ने ओएसडी संजीव और उसके नौकर जहांगीर को गिरफ्तार कर लिया है. दोनों से ईडी दफ्तर में पूछताछ की गई. बाद में संजीव लाल और उनके नौकर जहांगीर को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 13 मई तक के लिए रिमांड पर भेजा गया है.
मंगलवार सुबह तीन बजे खत्म हुई रेड
झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के करीबी चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम से जुड़े मनी लाउंड्रिंग के केस में ईडी के द्वारा सोमवार की सुबह चार बजे से शुरू हुई छापेमारी मंगलवार के सुबह तीन बजे तक चली. मंगलवार की सुबह 3.15 पर ईडी ने संजीव लाल और नौकर जहांगीर को हिरासत में ले लिया और अपने साथ लेकर ईडी दफ्तर चली गई. जहां पूछताछ के बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है. ईडी सूत्रों ने दोनों की गिरफ्तारी की पुष्टि की है.
संजीव के अलग अलग ठिकानों से ईडी ने कुल 35 करोड़ 23 लाख रुपए नगद के साथ-साथ लाखों के गहने, ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़े पत्र और कई डिजिटल एविडेंस बरामद किया है. सोमवार की सुबह चार बजे ईडी की टीम ने एक साथ विभागीय मंत्री के ओएसडी, उसके नौकर, ठेकदार और इंजीनियरों के यहां छापेमारी शुरू की थी.
ईडी की टीम को कुछ ठिकानों पर पैसे जमा किए जाने और उसके ट्रांजिट किए जाने की पुख्ता सूचना मिली थी. इसी सूचना पर ईडी की टीम रांची के गाड़ीखाना इलाके के सर सैयद रेसीडेंसी पहुंची थी. इस दौरान फ्लैट नंबर 1 ए में नौकर जहांगीर के तीन कमरों में अलमारी बंद मिले. ईडी की टीम जब मौके पर पहुंची तब जहांगीर के पास चाबियां नहीं थीं. ऐसे में ईडी संजीव लाल के यहां से चाबियां लेकर पहुंची.
तीन कमरों से ईडी ने पांच पांच सौ के बंडल में सारे नोट और लाखों के जेवरात बरामद किए. ईडी के द्वारा बरामद पैसे नोट की बंडल की शक्ल में थे. छापेमारी के क्रम में संजीव कुमार लाल के करीबी मुन्ना कुमार सिंह के पीपी कंपाउंड स्थित तेजस्वी अपार्टमेंट के फ्लैट में भी छापेमारी की गई, जहां से ईडी को तकरीबन तीन करोड़ मिले हैं. ईडी की जांच में यह बात सामने आयी है कि विभागीय ठेकों में कट मनी के साथ साथ ट्रांसफर पोस्टिंग में मोटे रकम की वसूली होती थी.
एडिशनल डायरेक्टर पहुंचे, खुद की जांच पड़ताल
मामले की गंभीरता को देखते हुए ईडी के एडिशनल डायरेक्टर कपिल राज स्वयं जहांगीर आलम के फ्लैट पर पहुंचे थे. जांच के दौरान ट्रांसफर-पोस्टिंग में वसूली के भी बड़े साक्ष्य मिले हैं. जांच में आए तथ्यों के मुताबिक, ठेके के कट मनी का पैसा यहां एकत्र किया जाता था. ठेका पट्टा के आवंटन के लिए जुड़े पैरवी पत्र भी मौके से बरामद किए गए हैं. विभाग के चीफ इंजीनियर ने भी पूछताछ में यह कबूला था कि विभाग के ठेकों में पैसों की वसूली होती थी. बजट का 3.2 प्रतिशत हिस्सा राजनेताओं और विभागीय अधिकारियों तक पहुंचता था.
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