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भारत आज खुद को 'विश्व मित्र' के रूप में स्थापित कर रहा है: जयशंकर

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि भारत जैसे विशाल देश के लिए मित्रता विकसित करना कभी आसान नहीं होता.

JAISHANKAR
विदेश मंत्री एस जयशंकर (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 3, 2024, 10:08 AM IST

नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को यहां एक पुस्तक विमोचन के मौके पर कहा कि भारत आज स्वयं को 'विश्व मित्र' के रूप में स्थापित कर रहा है. हम अधिक से अधिक लोगों के साथ मित्रता करना चाहते हैं जिससे भारत के प्रति सद्भावना और सकारात्मकता पैदा होती है.

अपने संबोधन में जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि मित्र को समझना हमेशा आसान नहीं होता है न ही मित्रता का विकास सपाट होता है. मंत्री ने यह भी कहा कि 'कभी-कभी, दोस्तों के अन्य मित्र भी होते हैं जो जरूरी नहीं कि हमारे ही हों. केंद्रीय मंत्री ने रूस और फ्रांस के साथ भारत के संबंधों को बहुध्रुवीयता का प्रतीक बताया. उन्होंने उल्लेख किया कि इसमें सांस्कृतिक और ऐतिहासिक कारक भी शामिल हैं. इसमें यह तथ्य भी शामिल है कि हम एक रूढ़िवादी सभ्यता नहीं हैं.

सच तो यह है कि रिश्ते तब बनते हैं जब हित एक दूसरे से जुड़ते हैं. निस्संदेह, भावनाएं और मूल्य एक भूमिका निभाते हैं, लेकिन हितों से अलग होने पर नहीं. उन्होंने कहा कि भारत जैसे विशाल देश के लिए मित्रता विकसित करना कभी आसान नहीं होता. उन्होंने कहा कि भावनात्मक पहलू साझा अनुभवों से आता है और वैश्विक दक्षिण के संबंध में इसे स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है.

जयशंकर ने कहा, 'आज विश्व व्यवस्था में हमारी उपस्थिति प्रतिस्पर्धा को भी आकर्षित करती है. जैसे-जैसे हम एक अग्रणी शक्ति बनने की ओर बढ़ रहे हैं, यह प्रतिस्पर्धा और बढ़ेगी. यहां तक ​​कि मित्रता भी कुछ शर्तों के बिना नहीं होगी.'

जयशंकर ने कहा कि इसके अलावा कुछ मित्र दूसरों की तुलना में 'अधिक जटिल' हो सकते हैं और हमेशा आपसी सम्मान की संस्कृति या कूटनीतिक शिष्टाचार के समान चरित्र को साझा नहीं कर सकते हैं. उन्होंने तर्क दिया, 'हमने समय-समय पर अपने घरेलू मुद्दों पर टिप्पणियां देखी हैं, जिनके साथ ईमानदारी से बातचीत करने की इच्छा भी व्यक्त की जाती है. हालांकि, दूसरे पक्ष के प्रति ऐसा शिष्टाचार शायद ही कभी दिखाया जाता है जो एक के लिए स्वतंत्रता है, वह दूसरे के लिए हस्तक्षेप बन सकती है.'

जयशंकर ने कहा, 'तथ्य यह है कि संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता जैसी संवेदनशीलताएं हमेशा साझेदारों के मूल्यांकन में कारक रहेगी.' उन्होंने कहा कि मित्रता सहजता और सामंजस्य के बारे में होती है, जिसमें एक-दूसरे के साथ काम करने की सहज क्षमता होती है. वे परस्पर सम्मान, पार्टियों की मजबूरियों को समझने और साझा आधार को अधिकतम करने के बारे में होती हैं.

ये भी पढ़ें- मुंबई दुनिया के लिए आतंकवाद-रोधी अभियान का प्रतीक, एस जयशंकर का बयान

नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को यहां एक पुस्तक विमोचन के मौके पर कहा कि भारत आज स्वयं को 'विश्व मित्र' के रूप में स्थापित कर रहा है. हम अधिक से अधिक लोगों के साथ मित्रता करना चाहते हैं जिससे भारत के प्रति सद्भावना और सकारात्मकता पैदा होती है.

अपने संबोधन में जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि मित्र को समझना हमेशा आसान नहीं होता है न ही मित्रता का विकास सपाट होता है. मंत्री ने यह भी कहा कि 'कभी-कभी, दोस्तों के अन्य मित्र भी होते हैं जो जरूरी नहीं कि हमारे ही हों. केंद्रीय मंत्री ने रूस और फ्रांस के साथ भारत के संबंधों को बहुध्रुवीयता का प्रतीक बताया. उन्होंने उल्लेख किया कि इसमें सांस्कृतिक और ऐतिहासिक कारक भी शामिल हैं. इसमें यह तथ्य भी शामिल है कि हम एक रूढ़िवादी सभ्यता नहीं हैं.

सच तो यह है कि रिश्ते तब बनते हैं जब हित एक दूसरे से जुड़ते हैं. निस्संदेह, भावनाएं और मूल्य एक भूमिका निभाते हैं, लेकिन हितों से अलग होने पर नहीं. उन्होंने कहा कि भारत जैसे विशाल देश के लिए मित्रता विकसित करना कभी आसान नहीं होता. उन्होंने कहा कि भावनात्मक पहलू साझा अनुभवों से आता है और वैश्विक दक्षिण के संबंध में इसे स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है.

जयशंकर ने कहा, 'आज विश्व व्यवस्था में हमारी उपस्थिति प्रतिस्पर्धा को भी आकर्षित करती है. जैसे-जैसे हम एक अग्रणी शक्ति बनने की ओर बढ़ रहे हैं, यह प्रतिस्पर्धा और बढ़ेगी. यहां तक ​​कि मित्रता भी कुछ शर्तों के बिना नहीं होगी.'

जयशंकर ने कहा कि इसके अलावा कुछ मित्र दूसरों की तुलना में 'अधिक जटिल' हो सकते हैं और हमेशा आपसी सम्मान की संस्कृति या कूटनीतिक शिष्टाचार के समान चरित्र को साझा नहीं कर सकते हैं. उन्होंने तर्क दिया, 'हमने समय-समय पर अपने घरेलू मुद्दों पर टिप्पणियां देखी हैं, जिनके साथ ईमानदारी से बातचीत करने की इच्छा भी व्यक्त की जाती है. हालांकि, दूसरे पक्ष के प्रति ऐसा शिष्टाचार शायद ही कभी दिखाया जाता है जो एक के लिए स्वतंत्रता है, वह दूसरे के लिए हस्तक्षेप बन सकती है.'

जयशंकर ने कहा, 'तथ्य यह है कि संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता जैसी संवेदनशीलताएं हमेशा साझेदारों के मूल्यांकन में कारक रहेगी.' उन्होंने कहा कि मित्रता सहजता और सामंजस्य के बारे में होती है, जिसमें एक-दूसरे के साथ काम करने की सहज क्षमता होती है. वे परस्पर सम्मान, पार्टियों की मजबूरियों को समझने और साझा आधार को अधिकतम करने के बारे में होती हैं.

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