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बंद हो सकते हैं करीब 7 लाख मोबाइल नंबर, सरकार ने KYC करने का दिया निर्देश, साइबर धोखाधड़ी का संदेह - Cyber Fraud

DoT Mobile Connections Reverification: भारत सरकार के दूरसंचार विभाग ने लगभग 6.80 लाख मोबाइल नंबरों की पहचान की है, जिन्हें फर्जी आईडी प्रूफ के जरिये हासिल किए जाने का संदेह है. साइबर धोखाधड़ी से निपटने के लिए सरकार ने ऐसे मोबाइल नंबरों को दोबारा सत्यापित (केवाईसी) करने का निर्देश दिया है. ऐसा न करने पर मोबाइल नंबर बंद किए जा सकते हैं. ईटीवी भारत के नेशनल ब्यूरो चीफ सौरभ शुक्ला की रिपोर्ट.

DoT Mobile Connections Reverification
प्रतीकात्मक तस्वीर (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 23, 2024, 8:55 PM IST

नई दिल्ली : भारत सरकार साइबर धोखाधड़ी से निपटने के लिए लगातार कार्रवाई कर रही है. दूरसंचार विभाग (DoT) ने करीब 6.80 लाख मोबाइल नंबर का पता लगाया है. संदेह है कि इन्हें अवैध, गैर-मौजूद या जाली पहचान प्रमाण (PoI) और पते का प्रमाण (PoA) जैसे केवाईसी दस्तावेजों का उपयोग करके हासिल किया गया है.

संचार मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, दूरसंचार विभाग ने उन्नत एआई आधारित विश्लेषण के जरिये लगभग 6.80 लाख मोबाइल सिम (कनेक्शन) की पहचान की है, जो संभावित धोखाधड़ी का संकेत देता है. पीओआई/पीओए केवाईसी दस्तावेजों की सत्यता को लेकर संदेह इन मोबाइल सिम को हासिल करने के लिए मनगढ़ंत क्रेडेंशियल्स के उपयोग का सुझाव देता है.

इस खुलासे के बाद, DoT ने टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स (TSPs) को इन पहचाने गए मोबाइल नंबरों को तुरंत दोबारा सत्यापित करने का निर्देश दिया है. सभी टीएसपी को 60 दिनों के भीतर पहचाने गए नंबरों का पुन: सत्यापन पूरा करना आवश्यक है. सत्यापन न होने पर संबंधित मोबाइल नंबर बंद कर दिया जाएगा.

आधिकारिक बयान में कहा गया है कि विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग और एआई तकनीक ने इन धोखाधड़ी वाले मोबाइल नंबरों की पहचान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो पहचान धोखाधड़ी से निपटने में एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म की प्रभावशीलता को बताता है. इसके अलावा, DoT ने मोबाइल नंबर की सत्यता और डिजिटल लेनदेन की सुरक्षा के लिए पुन: सत्यापन का अनुरोध किया है.

साइबर धोखाधड़ी से निपटने के लिए सख्त कानून की जरूरत
सरकार के प्रयासों के बावजूद विशेषज्ञों का मानना है कि इन मुद्दों के उचित समाधान के लिए ज्यादा सख्त कानून बनाने की जरूरत है. ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल ने कहा कि देश के आईटी कानूनों में पर्याप्त प्रावधानों की कमी है, जिससे साइबर धोखाधड़ी में लगातार वृद्धि हो रही है. उन्होंने तर्क दिया कि केवल सिम कार्ड को ब्लॉक करने या दोबारा सत्यापित करने से साइबर धोखाधड़ी से निपटने में ज्यादा सफलता नहीं मिलेगा.

दुग्गल ने सुझाव दिया कि साइबर धोखाधड़ी से निपटने के लिए सभी हितधारकों को जिम्मेदारी के साथ कार्रवाई करने के लिए प्रोत्साहित करना और दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को अपनी जिम्मेदारियों को प्रभावी ढंग से पूरा करना सुनिश्चित करने के लिए सख्त कानूनी प्रावधानों को लागू करना जरूरी है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश को हर साल साइबर धोखाधड़ी के कारण बड़ा वित्तीय नुकसान होता है, उन्होंने सरकार को इस क्षेत्र के लिए अधिक कड़े कानून बनाने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया.

ये भी पढ़ें- भारत में साइबर अपराध की घटनाओं में बढ़ोतरी, गृह मंत्रालय ने उच्च स्तरीय अंतर मंत्रालयी समिति की गठित

नई दिल्ली : भारत सरकार साइबर धोखाधड़ी से निपटने के लिए लगातार कार्रवाई कर रही है. दूरसंचार विभाग (DoT) ने करीब 6.80 लाख मोबाइल नंबर का पता लगाया है. संदेह है कि इन्हें अवैध, गैर-मौजूद या जाली पहचान प्रमाण (PoI) और पते का प्रमाण (PoA) जैसे केवाईसी दस्तावेजों का उपयोग करके हासिल किया गया है.

संचार मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, दूरसंचार विभाग ने उन्नत एआई आधारित विश्लेषण के जरिये लगभग 6.80 लाख मोबाइल सिम (कनेक्शन) की पहचान की है, जो संभावित धोखाधड़ी का संकेत देता है. पीओआई/पीओए केवाईसी दस्तावेजों की सत्यता को लेकर संदेह इन मोबाइल सिम को हासिल करने के लिए मनगढ़ंत क्रेडेंशियल्स के उपयोग का सुझाव देता है.

इस खुलासे के बाद, DoT ने टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स (TSPs) को इन पहचाने गए मोबाइल नंबरों को तुरंत दोबारा सत्यापित करने का निर्देश दिया है. सभी टीएसपी को 60 दिनों के भीतर पहचाने गए नंबरों का पुन: सत्यापन पूरा करना आवश्यक है. सत्यापन न होने पर संबंधित मोबाइल नंबर बंद कर दिया जाएगा.

आधिकारिक बयान में कहा गया है कि विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग और एआई तकनीक ने इन धोखाधड़ी वाले मोबाइल नंबरों की पहचान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो पहचान धोखाधड़ी से निपटने में एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म की प्रभावशीलता को बताता है. इसके अलावा, DoT ने मोबाइल नंबर की सत्यता और डिजिटल लेनदेन की सुरक्षा के लिए पुन: सत्यापन का अनुरोध किया है.

साइबर धोखाधड़ी से निपटने के लिए सख्त कानून की जरूरत
सरकार के प्रयासों के बावजूद विशेषज्ञों का मानना है कि इन मुद्दों के उचित समाधान के लिए ज्यादा सख्त कानून बनाने की जरूरत है. ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल ने कहा कि देश के आईटी कानूनों में पर्याप्त प्रावधानों की कमी है, जिससे साइबर धोखाधड़ी में लगातार वृद्धि हो रही है. उन्होंने तर्क दिया कि केवल सिम कार्ड को ब्लॉक करने या दोबारा सत्यापित करने से साइबर धोखाधड़ी से निपटने में ज्यादा सफलता नहीं मिलेगा.

दुग्गल ने सुझाव दिया कि साइबर धोखाधड़ी से निपटने के लिए सभी हितधारकों को जिम्मेदारी के साथ कार्रवाई करने के लिए प्रोत्साहित करना और दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को अपनी जिम्मेदारियों को प्रभावी ढंग से पूरा करना सुनिश्चित करने के लिए सख्त कानूनी प्रावधानों को लागू करना जरूरी है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश को हर साल साइबर धोखाधड़ी के कारण बड़ा वित्तीय नुकसान होता है, उन्होंने सरकार को इस क्षेत्र के लिए अधिक कड़े कानून बनाने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया.

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