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चेहरा व गर्दन के ट्यूमर को सर्जरी से हटाया, सर गंगाराम अस्पताल के डॉक्टरों का दावा- ये दुनिया की पहली सफल सर्जरी - face and neck tumor surgery

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 31, 2024, 4:04 PM IST

सर गंगा राम अस्पताल के डॉक्टरों ने सर्जरी कर चेहरे और गर्दन के ट्यूमर को निकाला है. डॉक्टरों का दावा है कि इतिहास में पहली बार ऐसे ट्यूमर की सर्जरी की गई है.

ट्यूमर का सफल सर्जरी
ट्यूमर की सफल सर्जरी करने वाली डॉक्टरों की टीम. (Etv Bharat)

नई दिल्लीः सर गंगाराम अस्पताल के डॉक्टरों ने दावा किया है कि उन्होंने एक ऐसे ट्यूमर की सर्जरी की है, जो दुनिया के इतिहास में पहली बार हुई है. ट्यूमर की वजह से मरीज को कई तरह की समस्याएं हो रही थी. इस ट्यूमर की सर्जरी करना बहुत कठिन था. जरा सी गड़बड़ी से मरीज की जान जा सकती थी. लेकिन डॉक्टरों की टीम ने सफलतापूर्वक सर्जरी की. वहीं, मरीज खतरे से बाहर है.

दरअसल, एक 60 वर्षीय पुरुष मरीज को सर गंगा राम अस्पताल के सिर और गर्दन सर्जरी ओपीडी में लाया गया था. मरीज को सांस लेने और निगलने में कठिनाई की समस्या थी. विशेषकर ठोस भोजन की तुलना में तरल पदार्थ निगलने में अधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा था. साथ ही आवाज में परिवर्तन आ गया था. शुरू में मरीज को लेटने के दौरान सांस लेने में कठिनाई भी होती थी. धीरे-धीरे उसे सीधी स्थिति में भी कठिनाई होने लग गई. मरीज को सर और गर्दन सर्जरी टीम ने जांच की. इसके बाद मरीज को एमआरआई और कोर सुई बायोप्सी की सलाह दी गई.

करीब 10 सेमी का था ट्यूमरः एमआरआई करने बाद एक बड़े ट्यूमर का पता चला, जिसका आकार करीब 9 से10 सेमी था. ये ट्यूमर नाक के पीछे के हिस्से के साथ-साथ श्वासनली और भोजन की नली पर दबाव डाल रहा था. इसी कारण से मरीज को सांस लेने और निगलने में कठिनाई हो रही थी. कोर सुई बायोप्सी के साथ रबडोमायोमा का निदान किया गया. ट्यूमर पूरे खोपड़ी के आधार (मस्तिष्क के नीचे का क्षेत्र) और गर्दन के बड़े हिस्से में था.

सर गंगा राम अस्पताल की डॉ. संगीत अग्रवाल के मुताबिक, यह एक दुर्लभ ट्यूमर है. इस आकार के ट्यूमर का शरीर के इस हिस्से में जिसे पैराफेरिंजील स्पेस कहा जाता है. भारत के इतिहास में कोई रिपोर्टेड केस नहीं मिला है. इस प्रकार का ट्यूमर आमतौर पर हृदय में होता है. इस ट्यूमर को खत्म करने का एकमात्र रास्ता सर्जरी है. लेकिन सर्जरी को बहुत सावधानी से करना होता है. यदि सर्जरी में जरा सी भी लापरवाही होती तो मरीज को लकवा हो सकता था या मृत्यु हो सकती थी. अत्यधिक रक्तस्राव का जोखिम था. तंत्रिका को नुकसान और आवाज खोने का जोखिम था.

हालांकि, सावधानीपूर्वक योजना बनाई गई और बिना किसी जटिलता के ट्यूमर को सफलतापूर्वक सर्जरी कर निकाल दिया गया. डॉ. संगीत अग्रवाल का दावा है कि यह इस ट्यूमर का पहला सफल सर्जरी है. सर्जरी के दो महीने बाद मरीज आरामदायक है और सही फॉलोअप केयर में है. सर्जरी टीम में डॉ. संगीत अग्रवाल, डॉ. ज्योति अग्रवाल, डॉ. आरुषि गुप्ता, डॉ. अर्पण साहा शामिल थे. एनेस्थीसिया टीम में डॉ. जयश्री सूद, डॉ. रश्मि जैन थी.

नई दिल्लीः सर गंगाराम अस्पताल के डॉक्टरों ने दावा किया है कि उन्होंने एक ऐसे ट्यूमर की सर्जरी की है, जो दुनिया के इतिहास में पहली बार हुई है. ट्यूमर की वजह से मरीज को कई तरह की समस्याएं हो रही थी. इस ट्यूमर की सर्जरी करना बहुत कठिन था. जरा सी गड़बड़ी से मरीज की जान जा सकती थी. लेकिन डॉक्टरों की टीम ने सफलतापूर्वक सर्जरी की. वहीं, मरीज खतरे से बाहर है.

दरअसल, एक 60 वर्षीय पुरुष मरीज को सर गंगा राम अस्पताल के सिर और गर्दन सर्जरी ओपीडी में लाया गया था. मरीज को सांस लेने और निगलने में कठिनाई की समस्या थी. विशेषकर ठोस भोजन की तुलना में तरल पदार्थ निगलने में अधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा था. साथ ही आवाज में परिवर्तन आ गया था. शुरू में मरीज को लेटने के दौरान सांस लेने में कठिनाई भी होती थी. धीरे-धीरे उसे सीधी स्थिति में भी कठिनाई होने लग गई. मरीज को सर और गर्दन सर्जरी टीम ने जांच की. इसके बाद मरीज को एमआरआई और कोर सुई बायोप्सी की सलाह दी गई.

करीब 10 सेमी का था ट्यूमरः एमआरआई करने बाद एक बड़े ट्यूमर का पता चला, जिसका आकार करीब 9 से10 सेमी था. ये ट्यूमर नाक के पीछे के हिस्से के साथ-साथ श्वासनली और भोजन की नली पर दबाव डाल रहा था. इसी कारण से मरीज को सांस लेने और निगलने में कठिनाई हो रही थी. कोर सुई बायोप्सी के साथ रबडोमायोमा का निदान किया गया. ट्यूमर पूरे खोपड़ी के आधार (मस्तिष्क के नीचे का क्षेत्र) और गर्दन के बड़े हिस्से में था.

सर गंगा राम अस्पताल की डॉ. संगीत अग्रवाल के मुताबिक, यह एक दुर्लभ ट्यूमर है. इस आकार के ट्यूमर का शरीर के इस हिस्से में जिसे पैराफेरिंजील स्पेस कहा जाता है. भारत के इतिहास में कोई रिपोर्टेड केस नहीं मिला है. इस प्रकार का ट्यूमर आमतौर पर हृदय में होता है. इस ट्यूमर को खत्म करने का एकमात्र रास्ता सर्जरी है. लेकिन सर्जरी को बहुत सावधानी से करना होता है. यदि सर्जरी में जरा सी भी लापरवाही होती तो मरीज को लकवा हो सकता था या मृत्यु हो सकती थी. अत्यधिक रक्तस्राव का जोखिम था. तंत्रिका को नुकसान और आवाज खोने का जोखिम था.

हालांकि, सावधानीपूर्वक योजना बनाई गई और बिना किसी जटिलता के ट्यूमर को सफलतापूर्वक सर्जरी कर निकाल दिया गया. डॉ. संगीत अग्रवाल का दावा है कि यह इस ट्यूमर का पहला सफल सर्जरी है. सर्जरी के दो महीने बाद मरीज आरामदायक है और सही फॉलोअप केयर में है. सर्जरी टीम में डॉ. संगीत अग्रवाल, डॉ. ज्योति अग्रवाल, डॉ. आरुषि गुप्ता, डॉ. अर्पण साहा शामिल थे. एनेस्थीसिया टीम में डॉ. जयश्री सूद, डॉ. रश्मि जैन थी.

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