हैदराबाद : पिछले कुछ समय से कोविशील्ड वैक्सीन के पार्श्व प्रभाव ( Side effect ) तथा खतरों को लेकर हंगामा मचा हुआ है. इस वैक्सीन के खतरों को लेकर ना सिर्फ अखबारों व सोशल मीडिया पर खबरें व रील्स लोगों में डर को बढ़ा रही हैं. इस पर हाल ही में ब्रिटेन और दूसरे देशों में एस्ट्राजेनेका द्वारा बाजार से वैक्सीन को वापस लेने की खबर ने भी लोगों में चिंता को हवा देने का काम किया है. हालांकि कंपनी की माने तो यह एक व्यावसायिक दृष्टिकोण से लिया गया फैसला है, लेकिन लोग इस खबर को Covishield के खतरों से जोड़कर ही देख रहे हैं.
इन सब भ्रमों, डर और अफवाहों के बीच चिकित्सकों लोगों को पैनिक ना होने की सलाह दे रहे हैं. चिकित्सकों की माने तो ऐसे लोग जिन्हे यह वैक्सीन लगे डेढ़ या दो साल से ज्यादा हो गए हैं, उन्हें ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है. साथ ही लोगों के लिए यह जानना भी जरूरी है कि वैक्सीन का आफ्टर इफेक्ट होना एक आम बात है. बहुत सी वैक्सीन, बीमारियों के इलाज, थेरेपी तथा दवाओं के शरीर पर कम, मध्यम या ज्यादा साइड इफेक्ट देखने में आते हैं जो कुछ अवधि के बाद अपने आप समाप्त हो जाते हैं.
कई वैक्सीन व इलाज के होते हैं साइड इफेक्ट
ठाणे मुंबई के फिजीशियन डा आशीष कुमार बताते हैं कि बचपन से लेकर वयस्कता तक लगाए जाने वाले कई टीकों के हल्के या मध्यम दुष्प्रभाव सामने आते ही हैं. जैसे छोटे बच्चों में हिब (हेमोफिलस इन्फ्लूएंजा प्रकार बी) वैक्सीन जो मेनिनजाइटिस, निमोनिया, एपिग्लोटाइटिस और सेप्सिस आदि से बचाव के लिए लगाया जाता है तथा कुछ अन्य वैक्सीन लगवाने के बाद सामान्य बुखार आता है वहीं चेचक का वैक्सीन लगाने के बाद भी कई बार लिम्फ़ नोड़ में सूजन, छाले व बुखार आ जाता है. कई बार इसके गंभीर प्रभावों में एक्जिमा या आंखों में गंभीर संक्रमण जैसे कुछ अन्य प्रभाव भी नजर आ सकते हैं. इसके अलावा कैंसर के इलाज में होने वाली कीमो थेरेपी तथा कुछ अन्य रोगों में होने वाली थेरेपियों तथा कुछ एंटीबायोटिक, हार्मोन से जुड़ी व अन्य प्रकार की दवाओं के सेवन के होने वाले साइड इफेक्ट भी भले ही कम समय के लिए लेकिन लोगों के शारीरिक स्वास्थ्य को काफी ज्यादा परेशान करते हैं, जो समय के साथ धीरे धीरे ठीक भी हो जाते हैं. इसी तरह वर्तमान समय में Covishield वैक्सीन के जानलेवा प्रभावों को लेकर जो बातें लोगों को डरा रहीं हैं उनसे ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि टीका लगने के दो-तीन साल बाद अब इन समस्याओं के कारण लोगों की जान को खतरा होना या उसके कारण उन्हें गंभीर स्वास्थ्य समस्या होना बहुत मुश्किल है.
वह बताते हैं कि Covishield vaccine के कुछ साइड इफेक्ट टीका लगवाने के छः माह के भीतर निसंदेह लोगों में नजर आए थे, लेकिन टीके के जानलेवा प्रभाव के मामले हमारे देश में ज्यादा नजर नहीं आए थे. और जिन लोगों में ये हल्की या सामान्य गंभीर समस्याएं नजर आई भी थी तो उनमें वे ज्यादातर वे लोग शामिल थे जो पहले से किसी कोमोरबीटी या रोग का सामना कर रहे थे.
टीटीएस, ह्रदयघात या स्ट्रोक ( TTS, heart attack or stroke ) का कारण बन सकती है कोविशील्ड?
नई दिल्ली के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ विवेक. के. सिंह बताते हैं कि Covishield vaccine के जिन साइड इफेक्ट को लेकर आजकल खबरें चल रही हैं वो रेयर इफेक्ट में आती हैं. यानी उनके लोगों में नजर आने का प्रतिशत काफी कम है. वह बताते हैं की वैक्सीन लगने के तत्काल बाद या 2 से 7-8 माह के भीतर वैक्सीन के कम या सामान्य साइड इफेक्ट या कुछ मामलों में दुर्लभ प्रभाव नजर आ सकते हैं जो कुछ स्वास्थ्य समस्याओं का या उनके गंभीर प्रभावों का कारण भी बन सकते हैं. लेकिन वैक्सीन लगवाने के ढाई- तीन साल बाद हृदय रोग, टीटीएस या स्ट्रोक जैसी समस्याओं के लिए वैक्सीन का पार्श्व प्रभाव नहीं बल्कि खराब जीवन शैली व अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं जिम्मेदार हो सकती हैं.
वह बताते हैं की यह सत्य है कि पिछले कुछ सालों में ह्रदय रोगों, विशेषकर दिल का दौरा तथा स्ट्रोक सहित कई समस्याओं के मामले बढ़े हैं जो कई बार जानलेवा प्रभाव का कारण भी बनते हैं. लेकिन ये समस्याएं ज्यादातर उन लोगों में नजर आती हैं जो पहले से उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, ओबेसिटी तथा अन्य कोमोरबिड या कुछ रोगों का शिकार हों.
वह बताते हैं कि इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है Covishield वैक्सीनेशन के बाद लोगों में कुछ समस्याएं देखने में आई थी. हालांकि भारत में इस तरह की घटनाओं का प्रतिशत बेहद कम था. यहां यह देखना भी जरूरी है कि जिस समय कोविड़ 19 के लिए वैक्सीन लगाए जाने की शुरुआत हुई थी, उस समय महामारी से बचाव सबकी प्राथमिकता थी. क्योंकि महामारी के कारण रोज सैकड़ों-हजारों लोगों की जाने जा रही थी. उस समय इस इमरजेंसी वैक्सीन की मदद से करोड़ों लोगों की जान जाने से बची थी.
वह बताते हैं कि वर्तमान समय में यदि ह्रदय से जुड़े किसी भी रोग से बचना है तो बहुत जरूरी हैं जीवन व आहार शैली में अनुशासन के साथ सोने जागने, सक्रिय जीवन शैली, नियमित व्यायाम से जुड़ी आदतों को अपनाया जाय, तनाव से बचें तथा कोई भी कोमोरबीटी या अन्य रोग व समस्या होने की अवस्था में इलाज व अन्य सावधानियों का पालन किया जाय तथा अपने स्वास्थ्य को लेकर सचेत रहा जाय.
क्या टीटीएस का कारण बन सकती है कोविशील्ड वैक्सीन ?
गौरतलब है कि भारत में 90% लोगों को Covishield vaccine लगी है. जिस समय यह वैक्सीन लगाने की शुरुआत हुई थी, उस समय भी इसके सुरक्षित होने या ना होने तथा इसके नुकसान को लेकर चर्चाएं सामने आई थी.
ईटीवी भारत के साथ एक विशेष बातचीत में चंडीगढ़ पीजीआई के स्कूल और पब्लिक हेल्थ की प्रोफेसर डॉ. मधु गुप्ता ने बताया था कि वर्ष 2021 में सरकार द्वारा इस वैक्सीन के इस दुर्लभ प्रभाव को देखते हुए एक एडवाइजरी जारी की थी जिसमें कहा गया था कि जिन्हें पहले से ही कोई बीमारी है वे इस वैक्सीन को न लगाएं. वहीं जिन लोगों में पहले टीके के बाद कुछ दुर्लभ या ज्यादा साइड इफेक्ट नजर आए हैं वे इस वैक्सीन की दूसरी खुराक ना ले. हालांकि एडवाइजरी में यह भी कहा गया था की यह सामान्य नहीं बल्कि दुर्लभ प्रभाव हैं. जिनके नजर आने की संभावना बेहद कम है. जिसके बाद सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के आंकड़ों में भी कहा गया था कि 7 करोड़ लोगों के टीकाकरण में से सिर्फ एक प्रतिशत लोगों में थ्रोम्बोसिस विद थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) नामक समस्या हो सकती है.
डॉ. मधु गुप्ता ने बताया कि Covishield को लेकर देशभर में 17 केंद्र में तीन ह्यूमन ट्रायल हुए थे. जिनमें पीजीआई भी शामिल था. ह्यूमन ट्रायल के दौरान देशभर में देश भर में 1600 तथा पीजीआई में इस वैक्सीन लेने वाले 250 प्रतिभागियों में से किसी में भी टीटीएस देखने को नहीं मिला था. Covishield vaccine , Astrazeneca , clinical trial , astrazeneca vaccine , astrazeneca withdrawing covishield , clinical trial death ,