नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र से डिस्ट्रिक्ट जजों को दी जा रही पेंशन से जुड़े मुद्दों की जांच करने को कहा. भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से कहा कि हम जिला न्यायपालिका के संरक्षक होने के नाते आपसे आग्रह करते हैं कि आप जजों के साथ बैठकर कोई रास्ता निकालें. इस पीठ में जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल हैं.
पीठ ने कहा कि पेंशन से जुड़ी शिकायतों को लेकर जिला जजों की ओर से अदालत के समक्ष याचिकाएं दायर की जा रही हैं. इस पर केंद्र की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमानी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के जजों की पेंशन से संबंधित पहलुओं पर बहस करने के लिए कुछ समय देने का अनुरोध किया.
डिस्ट्रिक्ट जजों को 15 हजार पेंशन
पीठ ने कहा कि जिला न्यायाधीशों को केवल 15,000 रुपये पेंशन मिल रही है. जिला न्यायाधीश हाई कोर्ट में आते हैं और आम तौर पर उन्हें 56 और 57 साल की आयु में में पदोन्नत किया जाता है और वे 30,000 रुपये प्रति माह पेंशन के साथ रिटायर होते हैं.
पीठ ने कहा कि बहुत कम हाई कोर्ट के जजों को आर्बिट्रेशन के मामले मिलते हैं और इसके अलावा, 60 साल की आयु में, वे लीगल प्रैक्टिस के लिए नहीं जा सकते हैं. इस दौरान पीठ ने कैंसर से पीड़ित एक डिस्ट्रिक्ट जज के मामले का हवाला दिया और इसे अत्यंत कठिन मामला बताया.
ऑल इंडिया जजेज एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई
मामले में अधिवक्ता के परमेश्वर ने कहा कि कई राज्यों ने ज्यूडिशियल ऑफिसर्स को पेंशन और अन्य रिटायर्मेंट लाभों के बकाया पेमेंट के संबंध में सेकंड नेशनल ज्यूडिशियल पे की सिफारिशों का अनुपालन किया है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ऑल इंडिया जजेज एसोसिएशन की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के लिए कल्याणकारी उपायों के क्रियान्वयन की मांग की गई थी.
27 अगस्त को होगी अगली सुनवाई
कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 27 अगस्त को निर्धारित की है. इससे पहले अदालत ने जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने SNJPC की सिफारिशों का पालन न करने के लिए कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य और वित्त सचिवों को तलब किया था.