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समीर ने सूरत सीट पर उठाए सवाल, कहा- 'कैसे निर्विरोध जीत गए मुकेश दलाल?' - Sameer Vidwans raises ques - SAMEER VIDWANS RAISES QUES

Sameer Vidwans raises ques on BJP win: सूरत से कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभाणी का नामांकन खारिज होने के बाद भाजपा के उम्मीदवार मुकेश दलाल को सोमवार को निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया गया. अन्य सभी उम्मीदवार मैदान से हट गए. मुकेश दलाल की जीत पर विपक्ष ने भाजपा पर मैच फिक्सिंग का आरोप लगाया. इसी बीच, मराठी सिनेमा के मशहूर डायरेक्टर समीर विदवान्स ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके सवाल खड़े कर दिए हैं.

DIRECTOR SAMEER VIDWANS RAISED QUESTIONS ON MUKESH DALAL WIN IN SURAT LOK SABHA ELECTIONS.
सूरत से मुकेश दलाल की निर्विरोध जीत पर मशहूर डायरेक्टर समीर विदवान्स ने उठाए सवाल.
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 23, 2024, 10:41 PM IST

सूरत: लोकसभा चुनाव में पूर्वी सूरत सीट से बीजेपी उम्मीदवार मुकेश दलाल निर्विरोध जीत गए. मुकेश दलाल की जीत पर विपक्ष ने कई सवाल खड़े हो गए हैं. इसी बीच, मराठी सिनेमा के मशहूर डायरेक्टर समीर विदवान्स ने 'नोटा' का जिक्र करते हुए एक्स पर पोस्ट करके सवाल किया है. उन्होंने सवाल उठाया कि जब नोट जैसा कोई पर्यायवाची नहीं है तो इसे 'निर्विरोध' कैसे कहा जा सकता है.

इस बारे सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, 'मेरे मन में एक सवाल है. हो सकता है ज्ञान की कमी के कारण लेकिन फिर भी... जब किसी स्थान को बिना मतदान के सीधे विजेता घोषित किया जाता है (ताजा उदाहरण सूरत है), तो क्या वहां मतदाताओं के नोटा (उपरोक्त में से कोई नहीं) चुनने का अधिकार प्रश्न में नहीं आता?'.

उन्होंने लिखा, 'मैं पूरी तरह से समझता हूं कि भले ही नोटा को गिना जाता है, लेकिन उस पर विचार नहीं किया जाता है (जिस हिस्से पर विचार किया जाना चाहिए वह अलग है) लेकिन फिर भी मतदाता को 'उपरोक्त में से कोई नहीं' का चयन करने में सक्षम होना चाहिए, है न? यदि किन्हीं कारणों से केवल एक ही उम्मीदवार बच जाए तो भी उस उम्मीदवार को नोटा के विरुद्ध लड़ने की अनुमति न दें. वह निर्वाचित तो होगा लेकिन वोट देने के अधिकार का प्रयोग किया जा सकेगा और उस उम्मीदवार के बारे में लोगों की वास्तविक राय का पता चल सकेगा. नोटा नहीं होने पर इसे 'निर्विरोध' कैसे कहा जा सकता है, लेकिन भाग अलग है लेकिन इसे लागू नहीं किया गया है'.

कांग्रेस पार्टी का आरोप है कि मुकेश दलाल को चुनाव आयोग ने अयोग्य तरीके से विजेता घोषित किया. इसी तरह सुरतच्या जगेवार को नए चुनाव कराने चाहिए, ये मांग भी कांग्रेस की ओर से की गई है. बीजेपी सूरत के कारोबारी समुदाय से डरती थी, इसलिए उन्होंने लोकसभा क्षेत्र में मैच फिक्सिंग की कोशिश की.

वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े का मुकेश दलाल की जीत पर बात करते हुए बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि सूरत में बीजेपी प्रत्याशी मुकेश दलाल की जीत को चुनाव आयोग ने सही करार दिया है. कांग्रेस उम्मीदवार के आवेदन की जांच के बाद अन्य छोटे दलों और विपक्षी उम्मीदवारों ने उनका आवेदन मांगा. उन पर बीजेपी की ओर से कोई सख्त दबाव नहीं था.

बता दें कि लोकसभा चुनाव के नतीजों से पहले सूरत में बीजेपी उम्मीदवार मुकेश दलाल ने निर्विरोध जीत हासिल की. स्क्रूटनी के दौरान सूरत से कांग्रेस के उम्मीदवार नीलेश कुंभाणी का आवेदन रद्द होने के बाद अन्य उम्मीदवारों ने भी अपना नामांकन वापस ले लिया और बीजेपी उम्मीदवार मुकेश दलाल निर्विरोध निर्वाचित हो गए. जिलाधिकारी एवं चुनाव निर्णय अधिकारी सौरभ पारधी ने बीजेपी प्रत्याशी मुकेश दलाल की जीत की घोषणा की और उन्हें प्रमाण पत्र भी दिया.

पढ़ें: 1951 से 35 उम्मीदवार निर्विरोध जीते, मुकेश दलाल भाजपा के पहले सांसद, डिंपल समेत ये चेहरे सूची में शामिल

सूरत: लोकसभा चुनाव में पूर्वी सूरत सीट से बीजेपी उम्मीदवार मुकेश दलाल निर्विरोध जीत गए. मुकेश दलाल की जीत पर विपक्ष ने कई सवाल खड़े हो गए हैं. इसी बीच, मराठी सिनेमा के मशहूर डायरेक्टर समीर विदवान्स ने 'नोटा' का जिक्र करते हुए एक्स पर पोस्ट करके सवाल किया है. उन्होंने सवाल उठाया कि जब नोट जैसा कोई पर्यायवाची नहीं है तो इसे 'निर्विरोध' कैसे कहा जा सकता है.

इस बारे सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, 'मेरे मन में एक सवाल है. हो सकता है ज्ञान की कमी के कारण लेकिन फिर भी... जब किसी स्थान को बिना मतदान के सीधे विजेता घोषित किया जाता है (ताजा उदाहरण सूरत है), तो क्या वहां मतदाताओं के नोटा (उपरोक्त में से कोई नहीं) चुनने का अधिकार प्रश्न में नहीं आता?'.

उन्होंने लिखा, 'मैं पूरी तरह से समझता हूं कि भले ही नोटा को गिना जाता है, लेकिन उस पर विचार नहीं किया जाता है (जिस हिस्से पर विचार किया जाना चाहिए वह अलग है) लेकिन फिर भी मतदाता को 'उपरोक्त में से कोई नहीं' का चयन करने में सक्षम होना चाहिए, है न? यदि किन्हीं कारणों से केवल एक ही उम्मीदवार बच जाए तो भी उस उम्मीदवार को नोटा के विरुद्ध लड़ने की अनुमति न दें. वह निर्वाचित तो होगा लेकिन वोट देने के अधिकार का प्रयोग किया जा सकेगा और उस उम्मीदवार के बारे में लोगों की वास्तविक राय का पता चल सकेगा. नोटा नहीं होने पर इसे 'निर्विरोध' कैसे कहा जा सकता है, लेकिन भाग अलग है लेकिन इसे लागू नहीं किया गया है'.

कांग्रेस पार्टी का आरोप है कि मुकेश दलाल को चुनाव आयोग ने अयोग्य तरीके से विजेता घोषित किया. इसी तरह सुरतच्या जगेवार को नए चुनाव कराने चाहिए, ये मांग भी कांग्रेस की ओर से की गई है. बीजेपी सूरत के कारोबारी समुदाय से डरती थी, इसलिए उन्होंने लोकसभा क्षेत्र में मैच फिक्सिंग की कोशिश की.

वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े का मुकेश दलाल की जीत पर बात करते हुए बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि सूरत में बीजेपी प्रत्याशी मुकेश दलाल की जीत को चुनाव आयोग ने सही करार दिया है. कांग्रेस उम्मीदवार के आवेदन की जांच के बाद अन्य छोटे दलों और विपक्षी उम्मीदवारों ने उनका आवेदन मांगा. उन पर बीजेपी की ओर से कोई सख्त दबाव नहीं था.

बता दें कि लोकसभा चुनाव के नतीजों से पहले सूरत में बीजेपी उम्मीदवार मुकेश दलाल ने निर्विरोध जीत हासिल की. स्क्रूटनी के दौरान सूरत से कांग्रेस के उम्मीदवार नीलेश कुंभाणी का आवेदन रद्द होने के बाद अन्य उम्मीदवारों ने भी अपना नामांकन वापस ले लिया और बीजेपी उम्मीदवार मुकेश दलाल निर्विरोध निर्वाचित हो गए. जिलाधिकारी एवं चुनाव निर्णय अधिकारी सौरभ पारधी ने बीजेपी प्रत्याशी मुकेश दलाल की जीत की घोषणा की और उन्हें प्रमाण पत्र भी दिया.

पढ़ें: 1951 से 35 उम्मीदवार निर्विरोध जीते, मुकेश दलाल भाजपा के पहले सांसद, डिंपल समेत ये चेहरे सूची में शामिल

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