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चारधाम में सफल रही वेस्ट मैनेजमेंट की डिजिटल डिपॉजिट रिफंड स्कीम, संवेदनशील हिमालयी क्षेत्रों में भी होगी शुरू - Digital Deposit Refund Scheme

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 30, 2024, 4:00 PM IST

Updated : Jun 30, 2024, 5:04 PM IST

Digital Deposit Refund Scheme, Uttarakhand Waste Management Scheme, Uttarakhand Pollution Control Board उत्तराखंड में चारधाम के साथ ही संवेदनशील हिमालयी क्षेत्रों में डिजिटल डिपॉजिट रिफंड स्कीम शुरू की जाएगी. इसके जरिये प्लास्टिक, बोतल और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट किया जाएगा. केदारनाथ में पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद इसका गंगोत्री और यमुनोत्री तक विस्तार किया गया. अब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड इसे विस्तृत रूप से लागू करने पर काम कर रहा है.

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वेस्ट मैनेजमेंट की डिजिटल डिपॉजिट रिफंड स्कीम (Etv Bharat)

वेस्ट मैनेजमेंट की डिजिटल डिपॉजिट रिफंड स्कीम (Etv Bharat)

देहरादून: उत्तराखंड सरकार प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा दे रही है. इससे स्थानीय स्तर पर लोगों को भी रोजगार उपलब्ध हो रहा है. साथ ही राज्य की आर्थिकी भी बढ़ रही है. बढ़ते टूरिज्म के साथ प्लास्टिक कूड़ा प्रदेश के लिए एक गंभीर समस्या बनती जा रही है. यही नही, प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों समेत संवेदनशील हिमालई क्षेत्रों में तेजी से प्लास्टिक कूड़ा फैल रहा है, जो भविष्य के लिहाज के काफी खतरनाक है. चारधाम यात्रा समेत अन्य पर्यटक स्थलों से हर साल हजारों टन कूड़ा निकलता है. ऐसे में अब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, आगामी चुनौतियों को देखते हुए प्रदेश के सभी संवेदनशील क्षेत्रों में डिजिटल डिपॉजिट रिफंड स्कीम शुरू करने जा रहा है. जिससे संवेदनशील क्षेत्रों में कूड़ा फैलने से रोका जा सके.

वेस्ट मैनेजमेंट के लिए डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम: प्रदेश में मौजूद तमाम प्रमुख पर्यटक स्थलों के साथ ही चारधाम में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी तेजी से बढ़ती जा रही है. पर्यटकों की संख्या यही तक सीमित नहीं है बल्कि पर्यटक संवेदनशील हिमालई क्षेत्रों तक भी पहुंच गए हैं. जिसमें तमाम बुग्याल भी शामिल हैं. ऐसे में अगर संवेदनशील हिमालई क्षेत्रों में प्लास्टिक कचरा जमा होता है तो वो उस क्षेत्र के लिए और पर्यावरण के लिए काफी नुकसानदायक हो सकता है. ऐसे में अब पीसीबी प्रदेश के हिमालय क्षेत्रों और खासकर संवेदनशील क्षेत्रों में जाने वाले पर्यटकों द्वारा प्लास्टिक कचरा ना फैलाया जाए, इसके लिए डिपॉजिट रिफंड सिस्टम पर काम कर रहा है. जिसे जल्द ही धरातल पर उतारा जाएगा.

केदारनाथ में पायलट प्रोजेक्ट सफल, गंगोत्री और यमुनोत्री तक विस्तार : उत्तराखंड चारधाम यात्रा के दौरान कचरा प्रबंधन सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती रहती है. साल 2022 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने इस बात को कहा था कि चार धामों में कचरा प्रबंधन के लिए बुनियादी ढांचा पर्याप्त नहीं है. हर यात्रा सीजन में दौरान हजारों टन कचरा निकलता है. जिसको देखते हुए राज्य सरकार ने साल 2022 में हैदराबाद स्थित टेक स्टार्टअप, रेसाइक्ल के साथ एमओयू साइन कर प्लास्टिक कचरे के निपटान के लिए डिजिटल रूप से रिफंडेबल तरीका पेश किया. शुरुआती दौर में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर ये तरीका केदारनाथ में ये शुरू किया गया. इसके बाद डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम का विस्तार गंगोत्री और यमुनोत्री तक किया गया.

सॉलिड वेस्ट को किया जाएगा 'मैनेज': पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के सदस्य सचिव पराग मधुकर धकाते ने बताया हिमालय के परिपेक्ष में एक बड़ी चुनौती प्लास्टिक प्रदूषण की बनी हुई है. हिमालय क्षेत्रों में काफी तादात में पर्यटक आते हैं. जिसमें सामान्य पर्यटक के साथ धार्मिक पर्यटक भी शामिल हैं. ऐसे में प्लास्टिक, बोतल और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट को शहरी विकास और पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से प्रबंधन करने का प्रयास किया जा रहा है. हिमालई क्षेत्रों में फेल रहे कूड़े की समस्या को देखते हुए जल्द ही एक बड़ा निर्णय लेने जा रहे हैं. जिसके तहत डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम पर काम कर रहे हैं.

कैसे चलता है डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम: वर्तमान समय में चारधाम यात्रा समेत तमाम जगहों पर डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम चल रहा है. इस सिस्टम के तहत प्लास्टिक की बोतल लेने पर एक्स्ट्रा चार्ज लिया जाता है. ऐसे में प्लास्टिक बोतल जमा करने के लिए बनाए गए केंद्र पर बोतल वापस करने पर एक्स्ट्रा लिया गया चार्ज वापस कर दिया जाता है. ऐसे में पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड प्रदेश के संवेदनशील हिमालई क्षेत्रों को पर्यावरण और इकोलॉजी के दृष्टिगत काफी महत्वपूर्ण है वहां पर ये सिस्टम लागू किया जाएगा. पीसीबी, इन संवेदनशील क्षेत्रों को गारबेज जोन के रूप में डेवलप नहीं होने देगा. लिहाजा, जो यात्री है वो रिस्पॉन्सिबल टूरिस्ट के रूप में यहां आए, रिस्पॉन्सिबल टूरिज्म की तरह ही प्लास्टिक प्रबंध में सहयोग करें.

पढ़ें-प्लास्टिक कचरा निस्तारण के लिए रुद्रप्रयाग को मिला डिजिटल इंडिया अवॉर्ड

पढ़ें-सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल रोकने के लिए सरकार का प्लान, विकल्प के लिए तैयार हो रही नियमावली

पढे़ं-चारधाम यात्रा रूट पर प्लास्टिक बैन, नदियों को स्वच्छ रखने की कवायद


वेस्ट मैनेजमेंट की डिजिटल डिपॉजिट रिफंड स्कीम (Etv Bharat)

देहरादून: उत्तराखंड सरकार प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा दे रही है. इससे स्थानीय स्तर पर लोगों को भी रोजगार उपलब्ध हो रहा है. साथ ही राज्य की आर्थिकी भी बढ़ रही है. बढ़ते टूरिज्म के साथ प्लास्टिक कूड़ा प्रदेश के लिए एक गंभीर समस्या बनती जा रही है. यही नही, प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों समेत संवेदनशील हिमालई क्षेत्रों में तेजी से प्लास्टिक कूड़ा फैल रहा है, जो भविष्य के लिहाज के काफी खतरनाक है. चारधाम यात्रा समेत अन्य पर्यटक स्थलों से हर साल हजारों टन कूड़ा निकलता है. ऐसे में अब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, आगामी चुनौतियों को देखते हुए प्रदेश के सभी संवेदनशील क्षेत्रों में डिजिटल डिपॉजिट रिफंड स्कीम शुरू करने जा रहा है. जिससे संवेदनशील क्षेत्रों में कूड़ा फैलने से रोका जा सके.

वेस्ट मैनेजमेंट के लिए डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम: प्रदेश में मौजूद तमाम प्रमुख पर्यटक स्थलों के साथ ही चारधाम में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी तेजी से बढ़ती जा रही है. पर्यटकों की संख्या यही तक सीमित नहीं है बल्कि पर्यटक संवेदनशील हिमालई क्षेत्रों तक भी पहुंच गए हैं. जिसमें तमाम बुग्याल भी शामिल हैं. ऐसे में अगर संवेदनशील हिमालई क्षेत्रों में प्लास्टिक कचरा जमा होता है तो वो उस क्षेत्र के लिए और पर्यावरण के लिए काफी नुकसानदायक हो सकता है. ऐसे में अब पीसीबी प्रदेश के हिमालय क्षेत्रों और खासकर संवेदनशील क्षेत्रों में जाने वाले पर्यटकों द्वारा प्लास्टिक कचरा ना फैलाया जाए, इसके लिए डिपॉजिट रिफंड सिस्टम पर काम कर रहा है. जिसे जल्द ही धरातल पर उतारा जाएगा.

केदारनाथ में पायलट प्रोजेक्ट सफल, गंगोत्री और यमुनोत्री तक विस्तार : उत्तराखंड चारधाम यात्रा के दौरान कचरा प्रबंधन सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती रहती है. साल 2022 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने इस बात को कहा था कि चार धामों में कचरा प्रबंधन के लिए बुनियादी ढांचा पर्याप्त नहीं है. हर यात्रा सीजन में दौरान हजारों टन कचरा निकलता है. जिसको देखते हुए राज्य सरकार ने साल 2022 में हैदराबाद स्थित टेक स्टार्टअप, रेसाइक्ल के साथ एमओयू साइन कर प्लास्टिक कचरे के निपटान के लिए डिजिटल रूप से रिफंडेबल तरीका पेश किया. शुरुआती दौर में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर ये तरीका केदारनाथ में ये शुरू किया गया. इसके बाद डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम का विस्तार गंगोत्री और यमुनोत्री तक किया गया.

सॉलिड वेस्ट को किया जाएगा 'मैनेज': पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के सदस्य सचिव पराग मधुकर धकाते ने बताया हिमालय के परिपेक्ष में एक बड़ी चुनौती प्लास्टिक प्रदूषण की बनी हुई है. हिमालय क्षेत्रों में काफी तादात में पर्यटक आते हैं. जिसमें सामान्य पर्यटक के साथ धार्मिक पर्यटक भी शामिल हैं. ऐसे में प्लास्टिक, बोतल और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट को शहरी विकास और पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से प्रबंधन करने का प्रयास किया जा रहा है. हिमालई क्षेत्रों में फेल रहे कूड़े की समस्या को देखते हुए जल्द ही एक बड़ा निर्णय लेने जा रहे हैं. जिसके तहत डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम पर काम कर रहे हैं.

कैसे चलता है डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम: वर्तमान समय में चारधाम यात्रा समेत तमाम जगहों पर डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम चल रहा है. इस सिस्टम के तहत प्लास्टिक की बोतल लेने पर एक्स्ट्रा चार्ज लिया जाता है. ऐसे में प्लास्टिक बोतल जमा करने के लिए बनाए गए केंद्र पर बोतल वापस करने पर एक्स्ट्रा लिया गया चार्ज वापस कर दिया जाता है. ऐसे में पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड प्रदेश के संवेदनशील हिमालई क्षेत्रों को पर्यावरण और इकोलॉजी के दृष्टिगत काफी महत्वपूर्ण है वहां पर ये सिस्टम लागू किया जाएगा. पीसीबी, इन संवेदनशील क्षेत्रों को गारबेज जोन के रूप में डेवलप नहीं होने देगा. लिहाजा, जो यात्री है वो रिस्पॉन्सिबल टूरिस्ट के रूप में यहां आए, रिस्पॉन्सिबल टूरिज्म की तरह ही प्लास्टिक प्रबंध में सहयोग करें.

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Last Updated : Jun 30, 2024, 5:04 PM IST
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