मथुरा: तिरुपति बालाजी मंदिर में महाप्रसादम में मिलावट होने की जानकारी आने के बाद चौतरफा विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है. उत्तर प्रदेश में साधु-संत भी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं. इसी कड़ी में वृंदावन के मंदिरों में मिलने वाले प्रसाद में बदलाव करने को लेकर एक प्रस्ताव साधु-संतों द्वारा रखा गया है. जिसमें कहा गया कि ठाकुर जी को प्रसाद के तौर पर पंचमेवा, फल, बतासे मिश्री का भोग लगाया जाए. इसके साथ ही श्रद्धालुओं को पंचमेवा ही वितरण किया जाए ताकि शुद्ध व्यवस्था और सेहत को हानि न पहुंचे.
वृंदावन के परिक्रमा मार्ग स्थित गोपालखार मंदिर परिसर में बुधवार को धर्म रक्षा संघ की बैठक आयोजित की गई. जिसमें धर्म रक्षा संघ ने एक प्रस्ताव मंदिर में मिलने वाले प्रसाद को लेकर रखा है. साधु-संतों ने कहा कि मंदिरों में पंचमेवा, फल, बताशा और मिश्री का भोग ठाकुर जी को लगाना चाहिए. यही प्रसाद श्रद्धालुओं को प्रसाद के तौर पर वितरित होना चाहिए. क्योंकि मंदिरों में कुंतलों की तादाद में प्रसाद मिठाइयां सब्जियां और पूरी का भी लगाया जाता है, जो कि आज के दौर में अशुद्ध है.
साधु-संतों ने सहमति जताईः धर्म रक्षा संघ अध्यक्ष सौरभ गौड़ ने बताया कि धर्म रक्षा संघ ने साधु संतों के साथ एक बैठक आयोजित की गई है. जिसमें सभी साधु-संतों ने मंदिरों में मिलने वाले प्रसाद में बदलाव को लेकर सहमति जताई है. उन्होंने कहा कि पिछले दिनों तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसादम मिलावट का मामला प्रकाश में आने से साधु संत बेहद नाराज हैं. इस मामले में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.
शक्तिपीठ मां ललिता देवी मंदिर में प्रसाद चढ़ाने को लेकर नोटिस चस्पाः लखनऊ के मनकामेश्वर मंदिर के बाद प्रयागराज में भी प्रसाद चढ़ाने को लेकर 108 शक्तिपीठों में एक पीठ मां ललिता देवी मंदिर में नोटिस चस्पा कर दिया गया है. यह नोटिस तिरुपति बालाजी के प्रसाद में मिलावट होने की खबर आने के बाद कमेटी ने निर्णय लेकर चस्पा किया है. नोटिस में साफ तौर से लिखा है कि सूखा मेवा, इलायची, नारियल के साथ-साथ फल फूल ही मंदिर में चढ़ाई जाएगी. बाहर से खरीदी गई गीले प्रसाद को मंदिर में ना चढ़ाया जाए. घर का बना प्रसाद चढ़ाने योग्य होता है. इसलिए गीले प्रसाद में केवल घर से ही बने हुए मिष्ठान मंदिर में चढ़ाया जाएंगे. मंदिर के पुजारी ने बताया कि तिरुपति बालाजी से मिष्ठान में मिलावट की खबर आने के बाद ललिता देवी मंदिर कमेटी ने यह निर्णय लिया है कि मां को हलवा और चना प्रसाद के रूप में चढ़ता है. लेकिन जो भक्त हवा चढ़ाएंगे वह अपने घर से बना कर लाएंगे, नहीं तो सूखा मेवा मंदिर में चढ़ाएं. यह मंदिर इसलिए भी खास है क्योंकि 88 हजार ऋषियों की तपस्थली, वेदों और पुराणों की रचना स्थली नैमिषारण्य स्थित लिंगधारिणी मां ललिता देवी का मंदिर देश-विदेश के लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है. इस देवी मंदिर में प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु आते हैं. शारदीय और वासंतिक नवरात्र में मेला सा लगा रहता है.