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धार भोजशाला विवाद अयोध्या जैसा मामला, इंदौर हाईकोर्ट ने सर्वे पर फैसला रखा सुरक्षित

Dhar Bhojshala Survey: मध्य प्रदेश के धार जिले की भोजशाला में ज्ञानवापी मस्जिद की तरह सर्वे कराने वाली याचिका पर सोमवार को इंदौर हाइकोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने भोजशाला के सर्वे पर फैसला सुरक्षित रखा है. माना जा रहा है कि जांच को लेकर जल्द ही फैसला आ सकता है.

Dhar Bhojshala Survey
धार भोजशाला विवाद
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 19, 2024, 3:58 PM IST

Updated : Feb 19, 2024, 4:09 PM IST

धार। मध्यप्रदेश की 800 सौ साल पुरानी भोजशाला फिर एक बार चर्चा में है. धार जिले की भोजशाला में मंदिर की तरह पूजा होने को लेकर एक याचिका पिछले दिनों हिंदू फ्रंट ऑफ जस्टिस की ओर से लगाई गई थी. जिस पर सोमवार को सुनवाई हुई और सुनवाई होने के बाद इंदौर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. जिस पर कोर्ट आने वाले दिनों में अपना फैसला सुना सकता है.

हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने लगाई थी याचिका

पिछले दिनों इंदौर हाईकोर्ट में हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की ओर से एक याचिका लगाई गई थी. जिसमें याचिका के माध्यम से कहा गया था कि धार की भोजशाला का सर्वे भी काशी की ज्ञानवापी मस्जिद की तरह करवाया जाए. याचिकाकर्ता ने इन बातों का जिक्र भी किया था कि वहां पर पूजा होती थी और एक बार फिर हिंदुओं को उसका अधिकार दिया जाए. साथ ही याचिका में मुसलमानों को भोजशाला में नमाज पढ़ने से तुरंत रोकने और हिंदुओं को नियमित पूजा का अधिकार देने की मांग की गई थी.

हाईकोर्ट में हुई सुनवाई, फैसला सुरक्षित

इस पूरे मामले में इंदौर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई और सुनवाई होने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है. वहीं याचिकाकर्ताओं के एडवोकेट विनय जोशी ने बताया कि ''मामले में जल्द सुनवाई करने के लिए एक एप्लीकेशन लगाई गई थी, पिछले सुनवाई में फरवरी की तारीख मिली थी. मामले में शासन को सभी पक्षों की तरफ से जवाब दे दिया गया था. वहीं अंतिम बहस सोमवार को पूरी हो गई है. इसके बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.''

मंदिर है तो फिर नमाज नहीं पड़ी जाएगी

एडवोकेट विनय जोशी ने बताया कि ''इस पूरे मामले को कोर्ट ने अयोध्या जैसा माना है.'' वहीं, एडवोकेट ने यह भी बताया कि कोर्ट के समक्ष याचिका के माध्यम से यह भी मांग की गई थी कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया से एक साइंटिस्ट सर्वे कराया जाए, जिससे स्पष्ट हो सके की भोजशाला का धार्मिक कैरेक्टर क्या है. साथ ही सर्वे रिपोर्ट में यह पता चलता है की वहां मस्जिद थी तो पूजा नहीं होगी. लेकिन अगर यह खुलासा होता है कि वहां मंदिर है तो फिर नमाज नहीं पड़ी जाएगी.''

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भोजशाला पर संस्कृत में मिले श्लोक

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान फिलहाल सर्वे को लेकर कोई आर्डर नहीं दिया है, साथ ही अगली तारीख भी तय नहीं की है. भोजशाला को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट में जो याचिका लंबित है उससे संबंधित जानकारी मांगी गई है. इसके बाद ही सर्वे को लेकर कोर्ट आगे आदेश जारी कर सकता है. भोजशाला की कुछ कलर फोटो कॉपी भी कोर्ट के समक्ष पेश की है. जिसमें साफ है कि वहां पिलर पर संस्कृत में श्लोक लिखे हैं. साथ ही सरस्वती माता की पूजा होती थी, जिनकी प्रतिमा अब लंदन के म्यूजियम में है. फिलहाल कोर्ट ने इस पूरे मामले में अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है.

धार। मध्यप्रदेश की 800 सौ साल पुरानी भोजशाला फिर एक बार चर्चा में है. धार जिले की भोजशाला में मंदिर की तरह पूजा होने को लेकर एक याचिका पिछले दिनों हिंदू फ्रंट ऑफ जस्टिस की ओर से लगाई गई थी. जिस पर सोमवार को सुनवाई हुई और सुनवाई होने के बाद इंदौर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. जिस पर कोर्ट आने वाले दिनों में अपना फैसला सुना सकता है.

हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने लगाई थी याचिका

पिछले दिनों इंदौर हाईकोर्ट में हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की ओर से एक याचिका लगाई गई थी. जिसमें याचिका के माध्यम से कहा गया था कि धार की भोजशाला का सर्वे भी काशी की ज्ञानवापी मस्जिद की तरह करवाया जाए. याचिकाकर्ता ने इन बातों का जिक्र भी किया था कि वहां पर पूजा होती थी और एक बार फिर हिंदुओं को उसका अधिकार दिया जाए. साथ ही याचिका में मुसलमानों को भोजशाला में नमाज पढ़ने से तुरंत रोकने और हिंदुओं को नियमित पूजा का अधिकार देने की मांग की गई थी.

हाईकोर्ट में हुई सुनवाई, फैसला सुरक्षित

इस पूरे मामले में इंदौर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई और सुनवाई होने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है. वहीं याचिकाकर्ताओं के एडवोकेट विनय जोशी ने बताया कि ''मामले में जल्द सुनवाई करने के लिए एक एप्लीकेशन लगाई गई थी, पिछले सुनवाई में फरवरी की तारीख मिली थी. मामले में शासन को सभी पक्षों की तरफ से जवाब दे दिया गया था. वहीं अंतिम बहस सोमवार को पूरी हो गई है. इसके बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.''

मंदिर है तो फिर नमाज नहीं पड़ी जाएगी

एडवोकेट विनय जोशी ने बताया कि ''इस पूरे मामले को कोर्ट ने अयोध्या जैसा माना है.'' वहीं, एडवोकेट ने यह भी बताया कि कोर्ट के समक्ष याचिका के माध्यम से यह भी मांग की गई थी कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया से एक साइंटिस्ट सर्वे कराया जाए, जिससे स्पष्ट हो सके की भोजशाला का धार्मिक कैरेक्टर क्या है. साथ ही सर्वे रिपोर्ट में यह पता चलता है की वहां मस्जिद थी तो पूजा नहीं होगी. लेकिन अगर यह खुलासा होता है कि वहां मंदिर है तो फिर नमाज नहीं पड़ी जाएगी.''

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कोर्ट ने सुनवाई के दौरान फिलहाल सर्वे को लेकर कोई आर्डर नहीं दिया है, साथ ही अगली तारीख भी तय नहीं की है. भोजशाला को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट में जो याचिका लंबित है उससे संबंधित जानकारी मांगी गई है. इसके बाद ही सर्वे को लेकर कोर्ट आगे आदेश जारी कर सकता है. भोजशाला की कुछ कलर फोटो कॉपी भी कोर्ट के समक्ष पेश की है. जिसमें साफ है कि वहां पिलर पर संस्कृत में श्लोक लिखे हैं. साथ ही सरस्वती माता की पूजा होती थी, जिनकी प्रतिमा अब लंदन के म्यूजियम में है. फिलहाल कोर्ट ने इस पूरे मामले में अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है.

Last Updated : Feb 19, 2024, 4:09 PM IST
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