नई दिल्ली: एंटी माइक्रोबियल रेसिस्टेंट्स (AMR) भारत सहित और दुनियाभर में एक बड़ा स्वास्थ्य खतरा बनता जा रहा है. इसके चलते डायरेक्टर ऑफ हेल्थ सर्विस (DGHS) ने इंस्टिट्यूशनल एंटी माइक्रोबियल मैनेजमेंट कार्यक्रम के तहत एंटीबायोटिक के उपयोग पर अस्पताल पूर्व-प्राधिकरण समिति के गठन और ऑडिट के कार्यान्वयन का प्रस्ताव दिया है.
स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक डॉ अतुल गोयल ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश देते हुए कहा कि समिति स्पेसिफिक एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल के अनुरोधों की समीक्षा और अनुमोदन के लिए जिम्मेदार होगी. साथ ही यह सुनिश्चित करेगी कि उनका उपयोग स्थापित दिशानिर्देशों के अनुरूप हो.
एंटीबायोटिक दवाओं का सही ढंग से इस्तेमाल हो
ईटीवी भारत के पास मौजूद पत्र में कहा गया है कि इस समिति में क्लीनिक्ल स्पेशलिस्ट, माइक्रोबायोलॉजी और फार्माकोलॉजी आदि के विशेषज्ञ शामिल हो सकते हैं. समिति यह सुनिश्चित करेगी कि एंटीबायोटिक दवाओं, विशेष रूप से वॉच और रिजर्व कैटेगरी के एंटीबायोटिक दवाओं का सही ढंग से इस्तेमाल हो.
उल्लेखनीय है कि एएमआर तब होता है जब बैक्टीरिया, वायरस, फंगी और पैरासाइट समय के साथ बदलते हैं और उन पर दवाओं का असर नहीं होता. इससे संक्रमण का इलाज करना कठिन हो जाता है और बीमारी फैलने के साथ मौत का खतरा बढ़ जाता है.
भारत में एंटीबायोटिक का दुरुपयोग सबसे ज्यादा होता है. 2021 में अकेले भारत में एंटीबायोटिक- रसिस्टेंट के 100,000 मामले सामने आए थे. इनमें से ज्यादातर शिशुओं, बुजुर्गों और डायबिटीज वाले लोग शामिल थे.
वैश्विक स्वास्थ्य खतरा है एएमआर
डॉ गोयल ने अपने पत्र में कहा कि एएमआर एक वैश्विक स्वास्थ्य खतरा है जिसके प्रभाव को कम करने के लिए तत्काल और ठोस कार्रवाई की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि एएमआर के फैलने का सबसे अहम फैकटर एंटीबायोटिक दवाओं का अतार्किक उपयोग है, जिसमें अनुपयुक्त प्रिस्क्राइबिंग प्रैक्टिस और रिजर्व कैटेगरी के एंटीबायोटिक दवाओं का दुरुपयोग शामिल है.
डॉ गोयल ने कहा, 'इस महत्वपूर्ण मुद्दे को हल करने और मरीजों की सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रखने के लिए, यह जरूरी है कि हम अपने मेडिकल इंस्टिट्यूट के भीतर एंटीबायोटिक के उपयोग की मॉनिटरिंग और रेगूलेशन के लिए एक मजबूत तंत्र स्थापित करें.
100 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार एएमआर के कारण 2019 में वैश्विक स्तर पर करीब 5 मिलियन लोगों की मौत हुई; और अगर कोई कार्रवाई नहीं की गई, तो एएमआर से 2050 तक विश्व की अर्थव्यवस्था को 100 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हो सकता है.
एंटीबायोटिक के उपयोग पर एक ऑडिट के कार्यान्वयन का उल्लेख करते हुए, डॉ. गोयल ने कहा, 'हमें अपने संस्थानों के भीतर एंटीबायोटिक निर्धारित करने और उपयोग करने के पैटर्न और रुझानों का मूल्यांकन करने के लिए नियमित ऑडिट करना चाहिए.