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उत्तराखंड में चारधाम का सफर होगा आसान, 2025 तक दौड़ सकती है ऋषिकेश-कर्णप्रयाग के बीच ट्रेन! - Rishikesh Karnaprayag Rail Project

Rishikesh Karnaprayag Railway Project उत्तराखंड चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं का सफर आने वाले कुछ सालों में आसान और सुगम होने वाला है. क्योंकि, उत्तराखंड की सबसे बड़ी परियोजना में शुमार ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलमार्ग का निर्माण साल 2025 तक पूरा कर लिया जाएगा. जिससे श्रद्धालुओं को जाम की समस्या से छुटकारा मिलेगा. साथ ही आसानी से कम समय में केदारनाथ और बदरीनाथ धाम तक पहुंच सकेंगे.

Rishikesh Karnaprayag Railway Project
ट्रेन से यात्रा (फोटो- ईटीवी भारत ग्राफिक्स)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 19, 2024, 11:49 AM IST

Updated : May 19, 2024, 11:59 AM IST

देहरादून (उत्तराखंड): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना पर तेजी काम हो रहा है. बीते कई सालों से उत्तराखंड वासी से लेकर अन्य राज्यों से इस रेल मार्ग को एक सपना ही समझते थे, लेकिन अब धीरे-धीरे यह सपना पूरा होने जा रहा है. ऋषिकेश से लेकर कर्णप्रयाग तक रेल मार्ग का काम तेजी से किया जा रहा है. जिससे उम्मीद है कि ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे मार्ग आगामी 2025 तक बनकर तैयार हो जाएगा. जिसके बाद कई ट्रायल होंगे, फिर इस रूट पर ट्रेन का आवागमन शुरू हो जाएगा.

Rishikesh Karnaprayag Railway Project
ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलमार्ग का टनल (फोटो- रेलवे परियोजना)

जल्द पूरा होगा सपना: उत्तराखंड चारधाम यात्रा 10 मई से शुरू हो चुकी है, चारों धामों तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को काफी वक्त लगता है. ऋषिकेश से बदरीनाथ पहुंचने में भक्तों को करीब 12 घंटे का समय लगता है. जबकि गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ पहुंचने में भी भक्तों को कई-कई घंटे लगते हैं. ऐसे में साल 2025 में चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए रेल मार्ग एक बड़ा विकल्प हो जाएगा.

पटरी बिछाने का चल रहा काम: इस परियोजना के तहत देवप्रयाग के पास मलेथा में एक बड़े ग्राउंड में रेलवे स्टेशन का काम तेजी से चल रहा है. श्रीनगर और कर्णप्रयाग में भी स्टेशन बनाने और स्टेशन तक रेल लाइन पहुंचाने का काम करीब 70 फीसदी पूरा हो गया है. रेलवे सबसे पहले ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेल की पटरी बिछाने का काम कर रहा है. जबकि, रेलवे स्टेशन बनाने का काम दूसरे चरण में किया जाएगा.

प्रोजेक्ट का करीब 70 फीसदी पूरा हुआ काम: पहले इस काम को साल 2024 तक पूरा किया जाना था, लेकिन किन्हीं कारण से अब यह प्रोजेक्ट साल 2025 के अक्टूबर महीने तक पूरा होगा. करीब 125 किलोमीटर लंबे इस रेलमार्ग के काम को करीबन 70 फीसदी पूरा कर लिया गया है. रेलमार्ग में तमाम टनल को एक से दूसरे टनल से मिलाने का काम भी करीबन पूरा हो गया है. अब इस मार्ग पर रेलवे पुल बनाने का काम शुरू हुआ है. इस मार्ग पर करीब 16 रेल पुल बन रहे हैं, जिसमें 4 छोटे पुल बनकर तैयार हो गए हैं.

क्या कहते हैं अधिकारी: रेल विकास निगम लिमिटेड (ऋषिकेश-कर्णप्रयाग परियोजना) के उप महाप्रबंधक ओम प्रकाश मालगुडी का कहना है कि साल 2025 तक उत्तराखंड में इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. जिसके तहत सभी कामों को पूरी सावधानी के साथ किया जा रहा है. सबसे प्रमुख काम ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक सुरंग के माध्यम से रेल पटरी बिछाने का है. एक-एक टनल को सुरक्षा मानकों के अनुसार बनाकर यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि आने वाले प्रोजेक्ट में किसी तरह की कोई दिक्कत ना आए.

99 साल के लिए बनाया जा रहा डिजाइन: बता दें कि 99 साल के लिए डिजाइन बनाकर इस प्रोजेक्ट को तैयार किया जा रहा है. ताकि, आने वाले 99 साल तक कोई काम इस प्रोजेक्ट पर न करना पड़े. ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक भीड़भाड़ वाले दिनों यानी सीजन के समय में यह ट्रेन चार चक्कर लगाएगी. जबकि, सामान्य दिनों में यह ट्रेन दो बार आना-जाना करेगी.

अभी ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक पहुंचने के लिए करीब 5 घंटे का वक्त लगता है, लेकिन इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद दो से ढाई घंटे में ऋषिकेश से कर्णप्रयाग पहुंचा जा सकेगा. अभी इस प्रोजेक्ट में करीब 6,300 कर्मचारी दिन-रात काम कर रहे हैं और आने वाले समय में इनकी संख्या और बढ़ाई जाएगी.

चारधाम यात्रियों का ये होगा फायदा: श्रद्धालु अभी ऋषिकेश हरिद्वार और श्रीनगर से आगे जाम में फंसकर आगे की यात्रा करते हैं. ऐसे में उनके लिए एक बड़ा विकल्प यह होगा कि वो ऋषिकेश से ट्रेन में बैठकर सीधे कर्णप्रयाग तक पहुंच सकेंगे और कर्णप्रयाग के बाद टैक्सी के माध्यम से केदारनाथ और बदरीनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेंगे.

कर्णप्रयाग से बदरीनाथ की दूरी करीब 118 किलोमीटर की है. जबकि, केदारनाथ की दूरी मात्र 55 किलोमीटर रह जाएगी. इस हिसाब से श्रद्धालु करीब बदरीनाथ-ऋषिकेश से 7 से 8 घंटे में पहुंच जाएंगे. जबकि, केदारनाथ पहुंचने या गौरीकुंड तक पहुंचने में उन्हें दो से तीन घंटे का वक्त लगेगा.

लोगों की सुधरेगी आर्थिकी: उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति को जानने वाले भागीरथ शर्मा ने बताया कि यह प्रोजेक्ट उत्तराखंड के लिए मील का पत्थर साबित होगा. क्योंकि, इससे न केवल गढ़वाल बल्कि कुमाऊं का भी फायदा होगा. दरअसल, जो श्रद्धालु अब तक 5 दिन का समय गढ़वाल में बिताने के लिए आते थे, अब उनकी यात्रा कम समय में होगी और ऐसे में उनके पास वक्त होगा तो वो कर्णप्रयाग से ही कुमाऊं की तरफ जा सकेंगे. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में करीब 2 से 3 हजार लोगों को सीधे तौर पर इस रेल मार्ग से रोजगार भी मिलेगा. लोगों को खाने-पीने के सामान, ट्रैवल और होटल व्यवसाय समेत अन्य माध्यमों से रोजगार मिलेगा.

रेल मार्ग के लिए बनेगी 17 सुरंग: उत्तराखंड में रेल मार्ग के लिए 17 सुरंग बनेगी. जिसका काम काफी हद तक पूरा हो गया है. रेलमार्ग 126 किलोमीटर का होगा, जिसमें 12 स्टेशन, 17 सुरंग और 35 पुल बनाए जा रहे हैं. साथ ही चमोली जिले में गौचर भट्ट नगर और सिवाई में रेलवे स्टेशन भी बनेंगे. यहां अप्रोच रोड, रेल और रोड ब्रिज बनाने का काम चल रहा है. 10 स्टेशन सुरंग के अंदर होंगे. 12 में सिर्फ दो स्टेशन शिवपुरी और ब्यासी जमीन के ऊपर होंगे. इस 125 किलोमीटर की रेल लाइन में करीब 105 किलोमीटर हिस्सा अंडरग्राउंड होगा.

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देहरादून (उत्तराखंड): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना पर तेजी काम हो रहा है. बीते कई सालों से उत्तराखंड वासी से लेकर अन्य राज्यों से इस रेल मार्ग को एक सपना ही समझते थे, लेकिन अब धीरे-धीरे यह सपना पूरा होने जा रहा है. ऋषिकेश से लेकर कर्णप्रयाग तक रेल मार्ग का काम तेजी से किया जा रहा है. जिससे उम्मीद है कि ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे मार्ग आगामी 2025 तक बनकर तैयार हो जाएगा. जिसके बाद कई ट्रायल होंगे, फिर इस रूट पर ट्रेन का आवागमन शुरू हो जाएगा.

Rishikesh Karnaprayag Railway Project
ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलमार्ग का टनल (फोटो- रेलवे परियोजना)

जल्द पूरा होगा सपना: उत्तराखंड चारधाम यात्रा 10 मई से शुरू हो चुकी है, चारों धामों तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को काफी वक्त लगता है. ऋषिकेश से बदरीनाथ पहुंचने में भक्तों को करीब 12 घंटे का समय लगता है. जबकि गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ पहुंचने में भी भक्तों को कई-कई घंटे लगते हैं. ऐसे में साल 2025 में चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए रेल मार्ग एक बड़ा विकल्प हो जाएगा.

पटरी बिछाने का चल रहा काम: इस परियोजना के तहत देवप्रयाग के पास मलेथा में एक बड़े ग्राउंड में रेलवे स्टेशन का काम तेजी से चल रहा है. श्रीनगर और कर्णप्रयाग में भी स्टेशन बनाने और स्टेशन तक रेल लाइन पहुंचाने का काम करीब 70 फीसदी पूरा हो गया है. रेलवे सबसे पहले ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेल की पटरी बिछाने का काम कर रहा है. जबकि, रेलवे स्टेशन बनाने का काम दूसरे चरण में किया जाएगा.

प्रोजेक्ट का करीब 70 फीसदी पूरा हुआ काम: पहले इस काम को साल 2024 तक पूरा किया जाना था, लेकिन किन्हीं कारण से अब यह प्रोजेक्ट साल 2025 के अक्टूबर महीने तक पूरा होगा. करीब 125 किलोमीटर लंबे इस रेलमार्ग के काम को करीबन 70 फीसदी पूरा कर लिया गया है. रेलमार्ग में तमाम टनल को एक से दूसरे टनल से मिलाने का काम भी करीबन पूरा हो गया है. अब इस मार्ग पर रेलवे पुल बनाने का काम शुरू हुआ है. इस मार्ग पर करीब 16 रेल पुल बन रहे हैं, जिसमें 4 छोटे पुल बनकर तैयार हो गए हैं.

क्या कहते हैं अधिकारी: रेल विकास निगम लिमिटेड (ऋषिकेश-कर्णप्रयाग परियोजना) के उप महाप्रबंधक ओम प्रकाश मालगुडी का कहना है कि साल 2025 तक उत्तराखंड में इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. जिसके तहत सभी कामों को पूरी सावधानी के साथ किया जा रहा है. सबसे प्रमुख काम ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक सुरंग के माध्यम से रेल पटरी बिछाने का है. एक-एक टनल को सुरक्षा मानकों के अनुसार बनाकर यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि आने वाले प्रोजेक्ट में किसी तरह की कोई दिक्कत ना आए.

99 साल के लिए बनाया जा रहा डिजाइन: बता दें कि 99 साल के लिए डिजाइन बनाकर इस प्रोजेक्ट को तैयार किया जा रहा है. ताकि, आने वाले 99 साल तक कोई काम इस प्रोजेक्ट पर न करना पड़े. ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक भीड़भाड़ वाले दिनों यानी सीजन के समय में यह ट्रेन चार चक्कर लगाएगी. जबकि, सामान्य दिनों में यह ट्रेन दो बार आना-जाना करेगी.

अभी ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक पहुंचने के लिए करीब 5 घंटे का वक्त लगता है, लेकिन इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद दो से ढाई घंटे में ऋषिकेश से कर्णप्रयाग पहुंचा जा सकेगा. अभी इस प्रोजेक्ट में करीब 6,300 कर्मचारी दिन-रात काम कर रहे हैं और आने वाले समय में इनकी संख्या और बढ़ाई जाएगी.

चारधाम यात्रियों का ये होगा फायदा: श्रद्धालु अभी ऋषिकेश हरिद्वार और श्रीनगर से आगे जाम में फंसकर आगे की यात्रा करते हैं. ऐसे में उनके लिए एक बड़ा विकल्प यह होगा कि वो ऋषिकेश से ट्रेन में बैठकर सीधे कर्णप्रयाग तक पहुंच सकेंगे और कर्णप्रयाग के बाद टैक्सी के माध्यम से केदारनाथ और बदरीनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेंगे.

कर्णप्रयाग से बदरीनाथ की दूरी करीब 118 किलोमीटर की है. जबकि, केदारनाथ की दूरी मात्र 55 किलोमीटर रह जाएगी. इस हिसाब से श्रद्धालु करीब बदरीनाथ-ऋषिकेश से 7 से 8 घंटे में पहुंच जाएंगे. जबकि, केदारनाथ पहुंचने या गौरीकुंड तक पहुंचने में उन्हें दो से तीन घंटे का वक्त लगेगा.

लोगों की सुधरेगी आर्थिकी: उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति को जानने वाले भागीरथ शर्मा ने बताया कि यह प्रोजेक्ट उत्तराखंड के लिए मील का पत्थर साबित होगा. क्योंकि, इससे न केवल गढ़वाल बल्कि कुमाऊं का भी फायदा होगा. दरअसल, जो श्रद्धालु अब तक 5 दिन का समय गढ़वाल में बिताने के लिए आते थे, अब उनकी यात्रा कम समय में होगी और ऐसे में उनके पास वक्त होगा तो वो कर्णप्रयाग से ही कुमाऊं की तरफ जा सकेंगे. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में करीब 2 से 3 हजार लोगों को सीधे तौर पर इस रेल मार्ग से रोजगार भी मिलेगा. लोगों को खाने-पीने के सामान, ट्रैवल और होटल व्यवसाय समेत अन्य माध्यमों से रोजगार मिलेगा.

रेल मार्ग के लिए बनेगी 17 सुरंग: उत्तराखंड में रेल मार्ग के लिए 17 सुरंग बनेगी. जिसका काम काफी हद तक पूरा हो गया है. रेलमार्ग 126 किलोमीटर का होगा, जिसमें 12 स्टेशन, 17 सुरंग और 35 पुल बनाए जा रहे हैं. साथ ही चमोली जिले में गौचर भट्ट नगर और सिवाई में रेलवे स्टेशन भी बनेंगे. यहां अप्रोच रोड, रेल और रोड ब्रिज बनाने का काम चल रहा है. 10 स्टेशन सुरंग के अंदर होंगे. 12 में सिर्फ दो स्टेशन शिवपुरी और ब्यासी जमीन के ऊपर होंगे. इस 125 किलोमीटर की रेल लाइन में करीब 105 किलोमीटर हिस्सा अंडरग्राउंड होगा.

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Last Updated : May 19, 2024, 11:59 AM IST
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