नई दिल्ली: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने की मांग वाली याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने दूसरी बेंच में ट्रांसफर करने का आदेश दिया है. जस्टिस संजीव नरुला की बेंच ने कहा कि बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी (याचिकाकर्ता) ये बताने में नाकाम रहे कि इसमें उनका कोई संवैधानिक अधिकार है? उनका कहना है कि इसमें जनहित का मामला जुड़ा है. बेंच ने कहा कि जनहित याचिका पर सुनवाई करने वाली बेंच इसे देखेगी.
मंगलवार को सुनवाई के दौरान सुब्रमण्यम स्वामी ने खुद दलीलें रखीं. उन्होंने कहा कि 2019 में गृह मंत्रालय को लिखा था कि बैकओप्स लिमिटेड का रजिस्ट्रेशन ब्रिटेन में 2003 में हुआ था. राहुल गांधी उस कंपनी के निदेशकों में से एक थे. कंपनी की ओर से 10 अक्टूबर 2005 और 31 अक्टूबर 2006 को भरे गए सालाना आयकर रिटर्न में कहा गया है कि राहुल गांधी की नागरिकता ब्रिटेन की है.
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याचिका में कहा गया है कि कंपनी ने खुद को भंग करने के लिए 17 फरवरी 2009 को जो अर्जी दाखिल की थी, उसमें भी राहुल गांधी की नागरिकता ब्रिटेन की बताई गई है. ऐसा करना संविधान के अनुच्छेद 9 और भारतीय नागरिकता कानून का उल्लंघन है. अनुच्छेद 9 में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति अगर स्वेच्छा से किसी दूसरे देश की नागरिकता लेता है तो वह भारत का नागरिक नहीं रह सकता है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 29 अप्रैल 2019 को राहुल गांधी को पत्र लिखकर कहा था कि इस संबंध में दो हफ्ते के अंदर स्पष्टीकरण दें, लेकिन पांच वर्ष से ज्यादा का समय बीतने के बावजूद कोई स्पष्टता नहीं है. ऐसे में कोर्ट गृह मंत्रालय को इस संबंध में फैसला लेने का दिशा-निर्देश जारी करे.
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