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ट्रूकॉलर के खिलाफ निजता के उल्लंघन की शिकायत, दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका - दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने मोबाइल एप्लिकेशन ट्रूकॉलर के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी. हाईकोर्ट ने कहा कि कॉलर की जानकारी देना एक सुविधा है निजता का उल्लंघन नहीं.

ट्रूकॉलर के खिलाफ निजता के उल्लंघन की शिकाय
ट्रूकॉलर के खिलाफ निजता के उल्लंघन की शिकाय
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 12, 2024, 9:16 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने मोबाइल एप्लिकेशन ट्रूकॉलर के खिलाफ यूजर्स की निजता के उल्लंघन का आरोप लगाने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन और मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की बेंच ने याचिका पर सुनवाई करने से इनकार किया.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इसके पहले याचिकाकर्ता ने ऐसी ही याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते समय हाईकोर्ट में याचिका दायर करने की अनुमति नहीं दी थी. कोर्ट ने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं है कि फोन और ईमेल एड्रेस की जानकारी सार्वजनिक हो रही है. पहले भी टेलीफोन डायरेक्ट्री में लोगों के फोन नंबर छपते थे, ये एक सुविधा है.

यह याचिका अजय शुक्ला ने दायर किया था. याचिका में कहा गया था कि ट्रूकॉलर लोगों की निजता का हनन करता है. ये लोगों की बिना सहमति के उनकी सूचना किसी तीसरे पक्ष को बेचता है. ट्रूकॉलर फोन में इंस्टॉल करने के बाद वो फोन नंबर का एक्सेस कर लेता है और इस तरह वो लोगों के ईमेल एड्रेस, पता समेत दूसरी सूचनाओं को साझा करता है.

याचिका में ये भी कहा गया था कि ट्रूकॉलर की वजह से लोगों की छवि भी खराब होती है क्योंकि कई फोन नंबरों को स्पैम भी मार्क कर दिया जाता है. सुनवाई के दौरान ट्रूकॉलर की ओर से पेश वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता पहले सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट उनकी याचिका को खारिज कर चुकी है. उसके बाद हाई कोर्ट ने याचिका खारिज करने का आदेश दिया.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने मोबाइल एप्लिकेशन ट्रूकॉलर के खिलाफ यूजर्स की निजता के उल्लंघन का आरोप लगाने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन और मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की बेंच ने याचिका पर सुनवाई करने से इनकार किया.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इसके पहले याचिकाकर्ता ने ऐसी ही याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते समय हाईकोर्ट में याचिका दायर करने की अनुमति नहीं दी थी. कोर्ट ने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं है कि फोन और ईमेल एड्रेस की जानकारी सार्वजनिक हो रही है. पहले भी टेलीफोन डायरेक्ट्री में लोगों के फोन नंबर छपते थे, ये एक सुविधा है.

यह याचिका अजय शुक्ला ने दायर किया था. याचिका में कहा गया था कि ट्रूकॉलर लोगों की निजता का हनन करता है. ये लोगों की बिना सहमति के उनकी सूचना किसी तीसरे पक्ष को बेचता है. ट्रूकॉलर फोन में इंस्टॉल करने के बाद वो फोन नंबर का एक्सेस कर लेता है और इस तरह वो लोगों के ईमेल एड्रेस, पता समेत दूसरी सूचनाओं को साझा करता है.

याचिका में ये भी कहा गया था कि ट्रूकॉलर की वजह से लोगों की छवि भी खराब होती है क्योंकि कई फोन नंबरों को स्पैम भी मार्क कर दिया जाता है. सुनवाई के दौरान ट्रूकॉलर की ओर से पेश वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता पहले सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट उनकी याचिका को खारिज कर चुकी है. उसके बाद हाई कोर्ट ने याचिका खारिज करने का आदेश दिया.

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