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दिल्ली हाईकोर्ट ने 16 वर्षीय रेप पीड़िता को 26 हफ्ते का भ्रूण हटाने की दी अनुमति - HC Allows Abortion of rape victim - HC ALLOWS ABORTION OF RAPE VICTIM

Court Allows Abortion of rape victim: दिल्ली हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता 16 वर्षीय गर्भवती नाबालिग को 26 सप्ताह का गर्भ नष्ट कराने की इजाजत दे दी है. पीड़िता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर भ्रूण को हटाने की मांग की थी.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 9, 2024, 6:52 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने रेप की शिकार एक नाबालिग के 26 हफ्ते के भ्रूण को हटाने की अनुमति दे दी है. जस्टिस अनूप कुमार मेंहदीरत्ता की बेंच ने सफदरजंग अस्पताल की रिपोर्ट पर गौर करते हुए ये आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि अनचाहा गर्भ किसी नाबालिग के मानसिक स्वास्थ्य पर खराब असर डालेगा.

कोर्ट ने सफदरजंग अस्पताल को निर्देश दिया कि वो भ्रूण के सैंपल को संरक्षित रखें ताकि इस मामले में रेप के आरोपी के खिलाफ आपराधिक प्रक्रिया शुरू की जा सके. कोर्ट ने कहा कि किसी भ्रूण को जन्म देना या नहीं देना 16 वर्षीया पीड़िता की इच्छा पर निर्भर करता है.

नाबालिग ने की थी भ्रूण हटाने की मांग: दरअसल, 16 वर्षीया नाबालिग ने अपने अभिभावक के जरिए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर भ्रूण को हटाने की मांग की थी. याचिका में कहा गया था कि पीड़िता के साथ मार्च महीने में रेप किया गया था. जब पीड़िता ने पेट दर्द की शिकायत की थी तब 27 अगस्त को उसके गर्भ का पता चला.

यह भी पढ़ें- पॉक्सो कानून में रेप पीड़िता की हड्डियों की जांच के आधार पर उम्र निर्धारण करते समय ऊपरी सीमा पर ही हो विचार: हाईकोर्ट

इन शर्तों के साथ हटाया जा सकता है भ्रूण: बता दें, एमटीपी एक्ट के नए संशोधन के मुताबिक 24 हफ्ते के भ्रूण को शर्तों के साथ हटाया जा सकता है. अगर महिला रेप पीड़िता हो, नाबालिग हो, उसके अंदर विकलांगता हो या जबरन शादी की गई है या भ्रूण में विकार की आशंका है तो मेडिकल बोर्ड की अनुमति के बाद ही भ्रूण को हटाने की अनुमति दी जा सकती है.

यह भी पढ़ें- अपनी ही सरकार पर भड़के BJP विधायक, दावा- लोनी में 10 हजार से ज्यादा बांग्लादेशी

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने रेप की शिकार एक नाबालिग के 26 हफ्ते के भ्रूण को हटाने की अनुमति दे दी है. जस्टिस अनूप कुमार मेंहदीरत्ता की बेंच ने सफदरजंग अस्पताल की रिपोर्ट पर गौर करते हुए ये आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि अनचाहा गर्भ किसी नाबालिग के मानसिक स्वास्थ्य पर खराब असर डालेगा.

कोर्ट ने सफदरजंग अस्पताल को निर्देश दिया कि वो भ्रूण के सैंपल को संरक्षित रखें ताकि इस मामले में रेप के आरोपी के खिलाफ आपराधिक प्रक्रिया शुरू की जा सके. कोर्ट ने कहा कि किसी भ्रूण को जन्म देना या नहीं देना 16 वर्षीया पीड़िता की इच्छा पर निर्भर करता है.

नाबालिग ने की थी भ्रूण हटाने की मांग: दरअसल, 16 वर्षीया नाबालिग ने अपने अभिभावक के जरिए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर भ्रूण को हटाने की मांग की थी. याचिका में कहा गया था कि पीड़िता के साथ मार्च महीने में रेप किया गया था. जब पीड़िता ने पेट दर्द की शिकायत की थी तब 27 अगस्त को उसके गर्भ का पता चला.

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इन शर्तों के साथ हटाया जा सकता है भ्रूण: बता दें, एमटीपी एक्ट के नए संशोधन के मुताबिक 24 हफ्ते के भ्रूण को शर्तों के साथ हटाया जा सकता है. अगर महिला रेप पीड़िता हो, नाबालिग हो, उसके अंदर विकलांगता हो या जबरन शादी की गई है या भ्रूण में विकार की आशंका है तो मेडिकल बोर्ड की अनुमति के बाद ही भ्रूण को हटाने की अनुमति दी जा सकती है.

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