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दिल्ली के LG वीके सक्सेना के मानहानि केस में दोषी करार मेधा पाटकर की सजा पर सुनवाई आज - lg vk Saxena defamation case

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से दायर किए गए आपराधिक मानहानि मामले में नर्मदा बचाओ आंदोलन की संस्थापक सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को दोषी ठहराया गया है. कोर्ट आज मेधा पाटकर की सजा पर सुनवाई करेगा.

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सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर (File Photo)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : May 30, 2024, 10:28 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली की साकेत कोर्ट आज दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से दाखिल आपराधिक मानहानि के मामले में दोषी करार दिए गए नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर की सजा की अवधि के मामले पर सुनवाई करेगा. मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा सुनवाई करेंगे. बता दें कि 24 मई को साकेत कोर्ट ने मेधा पाटकर को दोषी करार दिया था. कोर्ट ने मेधा पाटकर को भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के तहत दोषी करार दिया था.

कोर्ट ने कहा था कि ये साफ हो गया कि आरोपी मेधा पाटकर ने सिर्फ प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए वीके सक्सेना के खिलाफ गलत जानकारी के साथ आरोप लगाए. बता दें कि 25 नवंबर 2000 को मेधा पाटकर ने अंग्रेजी में एक बयान जारी कर वीके सक्सेना पर हवाला के जरिये लेनदेन का आरोप लगाया था और उन्हें कायर कहा था. पाटकर ने कहा था कि वीके सक्सेना गुजरात के लोगों और उनके संसाधनों को विदेशी हितों के लिए गिरवी रख रहे थे. ऐसा बयान वीके सक्सेना की ईमानदारी पर सीधा-सीधा हमला था.

ये भी पढ़ें: मणिपुर की घटना अडानी को फायदा दिलाने का प्लेटफार्म, सीएम-पीएम की चुप्पी इसका बड़ा सबूत: मेधा पाटकर

मेधा पाटकर ने कोर्ट में दर्ज अपने बचाव में कहा था कि वीके सक्सेना वर्ष 2000 से झूठे और मानहानि वाले बयान जारी करते रहे हैं. उन्होंने कहा था कि वीके सक्सेना ने 2002 में उन पर शारीरिक हमला भी किया था, जिसके बाद मेधा ने अहमदाबाद में एफआईआर दर्ज कराया था. मेधा ने कोर्ट में कहा था कि वीके सक्सेना कारपोरेट हितों के लिए काम कर रहे थे और वे सरदार सरोवर प्रोजेक्ट का विरोध करने वालों की मांग के खिलाफ थे.

मेधा पाटकर के खिलाफ वीके सक्सेना ने आपराधिक मानहानि का केस अहमदाबाद की कोर्ट में 2001 में दायर किया था. गुजरात के ट्रायल कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लिया था. बाद में 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई गुजरात से दिल्ली के साकेत कोर्ट में ट्रांसफर कर दिय था. मेधा पाटकर ने 2011 में अपने को निर्दोष बताते हुए ट्रायल का सामना करने की बात कही. वीके सक्सेना ने जब अहमदाबाद में केस दायर किया था, उस समय वो नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के अध्यक्ष थे.

ये भी पढ़ें: मेधा पाटकर की बढ़ी मुश्किलें, वीके सक्सेना के मानहानि मामले में दोषी करार

नई दिल्ली: दिल्ली की साकेत कोर्ट आज दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से दाखिल आपराधिक मानहानि के मामले में दोषी करार दिए गए नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर की सजा की अवधि के मामले पर सुनवाई करेगा. मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा सुनवाई करेंगे. बता दें कि 24 मई को साकेत कोर्ट ने मेधा पाटकर को दोषी करार दिया था. कोर्ट ने मेधा पाटकर को भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के तहत दोषी करार दिया था.

कोर्ट ने कहा था कि ये साफ हो गया कि आरोपी मेधा पाटकर ने सिर्फ प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए वीके सक्सेना के खिलाफ गलत जानकारी के साथ आरोप लगाए. बता दें कि 25 नवंबर 2000 को मेधा पाटकर ने अंग्रेजी में एक बयान जारी कर वीके सक्सेना पर हवाला के जरिये लेनदेन का आरोप लगाया था और उन्हें कायर कहा था. पाटकर ने कहा था कि वीके सक्सेना गुजरात के लोगों और उनके संसाधनों को विदेशी हितों के लिए गिरवी रख रहे थे. ऐसा बयान वीके सक्सेना की ईमानदारी पर सीधा-सीधा हमला था.

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मेधा पाटकर ने कोर्ट में दर्ज अपने बचाव में कहा था कि वीके सक्सेना वर्ष 2000 से झूठे और मानहानि वाले बयान जारी करते रहे हैं. उन्होंने कहा था कि वीके सक्सेना ने 2002 में उन पर शारीरिक हमला भी किया था, जिसके बाद मेधा ने अहमदाबाद में एफआईआर दर्ज कराया था. मेधा ने कोर्ट में कहा था कि वीके सक्सेना कारपोरेट हितों के लिए काम कर रहे थे और वे सरदार सरोवर प्रोजेक्ट का विरोध करने वालों की मांग के खिलाफ थे.

मेधा पाटकर के खिलाफ वीके सक्सेना ने आपराधिक मानहानि का केस अहमदाबाद की कोर्ट में 2001 में दायर किया था. गुजरात के ट्रायल कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लिया था. बाद में 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई गुजरात से दिल्ली के साकेत कोर्ट में ट्रांसफर कर दिय था. मेधा पाटकर ने 2011 में अपने को निर्दोष बताते हुए ट्रायल का सामना करने की बात कही. वीके सक्सेना ने जब अहमदाबाद में केस दायर किया था, उस समय वो नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के अध्यक्ष थे.

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