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दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की नियमित जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित - Decision on Kejriwal Bail - DECISION ON KEJRIWAL BAIL

दिल्ली की एक अदालत ने आज आबकारी घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सीएम अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान याचिका पर आरोपी और प्रवर्तन निदेशालय की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है.

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मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jun 20, 2024, 2:22 PM IST

Updated : Jun 20, 2024, 4:59 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली आबकारी घोटाला मामले के आरोपी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. ड्यूटी जज न्याय बिंदु ने दोनों पक्षों की ओर से दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया.

सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से पेश एएसजी एसवी राजू ने कहा कि 45 करोड़ रुपये हवाला के जरिये दिए गए जिनका आम आदमी पार्टी के गुजरात चुनाव के दौरान इस्तेमाल किया गया. राजू ने कहा कि चनप्रीत सिंह ने अरविंद केजरीवाल के गोवा में सेवन स्टार होटल में ठहरने के लिए पैसे लिए। राजू ने सागर पटेल के बयान को पढ़ते हुए कहा कि चनप्रीत सिंह समेत तीन लोगों को पैसे मिले। चनप्रीत सिंह को बड़ी मात्रा में पैसे मिले जिन पैसों को केजरीवाल के ठहरने के लिए सेवन स्टार होटल और गोवा चुनाव में लिए खर्च किए गए.

राजू ने यह भी कहा कि ईडी हवा में कुछ भी नहीं कह रही है. ईडी के पास करंसी नोट के फोटोग्राफ मिले हैं जो कि दिए गए थे. उन्होंने कहा कि विनोद चौहान ने चनप्रीत समेत दूसरे लोगों को पैसे देने का निर्देश दिया था. करंसी नोट के फोटोग्राफ विनोद चौहान के फोन से मिले थे। चनप्रीत विनोद चौहान से फोन पर लगातार बातें करता था. विनोद चौहान के केजरीवाल से अच्छे संबंध थे. राजू ने विनोद चौहान और केजरीवाल के चैट्स का जिक्र किया.

राजू ने कहा कि केजरीवाल कहते हैं कि उनका फोन पवित्र है, मैं पासवर्ड नहीं दूंगा. ईडी को विनोद चौहान का फोन लेना पड़ा. राजू ने कहा कि मनी लाऊंड्रिंग कानून की धारा 70 के मुताबिक अगर आम आदमी पार्टी ने अपराध किया है और केजरीवाल आम आदमी पार्टी को चला रहे हैं तो वे उस अपराध के आरोपी माने जाएंगे. धारा 70 उन पर लागू होती है क्योंकि वे आम आदमी पार्टी का संचालन करते हैं.

राजू ने कहा कि विजय नायर का सरकार से कोई मतलब नहीं था. उनका आबकारी नीति बनाने में कोई योगदान नहीं था, लेकिन उनका बिचौलिये की तरह इस्तेमाल किया गया. विजय नायर का केजरीवाल से निसंदेह नजदीकी संबंध थे. केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ वकील विक्रम चौधरी ने कहा कि इस मामले में अगस्त 2022 में जांच शुरु हुई. जुलाई 2023 तक ईडी के पास केजरीवाल के खिलाफ कुछ साक्ष्य थे, लेकिन उन्होंने पहला समन अक्टूबर 2023 में जारी किया. केजरीवाल को सीबाआई ने गवाह के तौर पर बुलाया. 12 जनवरी को ईडी ने एक ईमेल किया. उस ईमेल में ये नहीं बताया कि केजरीवाल को आम आदमी पार्टी के संयोजक होने के नाते बुलाया जा रहा है. 16 मार्च को चुनाव की घोषणा होती है और उसी दिन समन जारी किए जाते हैं. 20 मार्च को हाईकोर्ट में मामला लिस्ट होता है और हाईकोर्ट ईडी को नोटिस जारी करती है. 21 मार्च को हाईकोर्ट ने कोई अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया. उसके बाद 21 मार्च को ही शाम को ईडी ने केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया.

ये भी पढ़ें : दिल्ली हाईकोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता को भेजा नोटिस, जानिए क्या है वजह

चौधरी ने कहा कि हाईकोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी और हिरासत को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला दिया था न कि जमानत याचिका पर. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा था कि केजरीवाल जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट जा सकते हैं और ट्रायल कोर्ट कानून के मुताबिक फैसला करेगा. चौधरी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की जमानत इसलिए खारिज की क्योंकि उन्होंने सीबीआई और ईडी दोनों के मामले में जमानत मांगी थी. जबकि केजरीवाल को सीबीआई के मामल में बतौर गवाह बुलाया गया था.

चौधरी ने कहा कि ये ईडी का काम नहीं है कि वो सीबीआई को निर्देशित करे. वो एक स्वतंत्र एजेंसी है जो अपना फैसला खुद करेगी. उन्होंने कहा कि ईडी ने केजरीवाल को पहले गिरफ्तार क्यों नहीं किया, उन्होंने 21 मार्च को ही क्यों गिरफ्तार किया. सवाल है कि क्या ईडी एक स्वतंत्र एजेंसी है या वो अपने राजनीतिक आकाओं के लिए काम करती है. केजरीवाल एक राजनीतिक व्यक्ति हैं.

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बता दें कि 19 जून को कोर्ट ने केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 3 जुलाई तक बढ़ा दिया था. इसके पहले 5 जून को कोर्ट ने केजरीवाल की सात दिनों की अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दिया था. कोर्ट ने तिहाड़ जेल प्रशासन को निर्देश दिया था कि वो केजरीवाल के स्वास्थ्य संबंधी जरुरी टेस्ट कराएं. फैसला सुनाने के दौरान केजरीवाल के वकील ने उनके स्वास्थ्य पर चिंता जताई थी. तब कोर्ट ने कहा था कि आपको जब भी स्वास्थ्य की चिंता होगी आप कोर्ट आ सकते हैं.

कोर्ट ने 30 मई को केजरीवाल की अंतरिम और नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए ईडी को नोटिस जारी किया था. बता दें कि 29 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की सात दिन की अंतरिम जमानत के आवेदन को स्वीकार करने से इंकार करते हुए कहा था कि चूंकि केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने पर फैसला पहले ही सुरक्षित रखा जा चुका है. इसलिए अंतरिम जमानत बढ़ाने की केजरीवाल की याचिका का मुख्य याचिका से कोई संबंध नहीं है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें नियमित जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट जाने की अनुमति भी दी है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को अरविंद केजरीवाल को 1 जून तक की अंतरिम जमानत देते हुए 2 जून को सरेंडर करने का आदेश दिया था. केजरीवाल ने 2 जून को सरेंडर किया था.

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नई दिल्लीः दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली आबकारी घोटाला मामले के आरोपी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. ड्यूटी जज न्याय बिंदु ने दोनों पक्षों की ओर से दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया.

सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से पेश एएसजी एसवी राजू ने कहा कि 45 करोड़ रुपये हवाला के जरिये दिए गए जिनका आम आदमी पार्टी के गुजरात चुनाव के दौरान इस्तेमाल किया गया. राजू ने कहा कि चनप्रीत सिंह ने अरविंद केजरीवाल के गोवा में सेवन स्टार होटल में ठहरने के लिए पैसे लिए। राजू ने सागर पटेल के बयान को पढ़ते हुए कहा कि चनप्रीत सिंह समेत तीन लोगों को पैसे मिले। चनप्रीत सिंह को बड़ी मात्रा में पैसे मिले जिन पैसों को केजरीवाल के ठहरने के लिए सेवन स्टार होटल और गोवा चुनाव में लिए खर्च किए गए.

राजू ने यह भी कहा कि ईडी हवा में कुछ भी नहीं कह रही है. ईडी के पास करंसी नोट के फोटोग्राफ मिले हैं जो कि दिए गए थे. उन्होंने कहा कि विनोद चौहान ने चनप्रीत समेत दूसरे लोगों को पैसे देने का निर्देश दिया था. करंसी नोट के फोटोग्राफ विनोद चौहान के फोन से मिले थे। चनप्रीत विनोद चौहान से फोन पर लगातार बातें करता था. विनोद चौहान के केजरीवाल से अच्छे संबंध थे. राजू ने विनोद चौहान और केजरीवाल के चैट्स का जिक्र किया.

राजू ने कहा कि केजरीवाल कहते हैं कि उनका फोन पवित्र है, मैं पासवर्ड नहीं दूंगा. ईडी को विनोद चौहान का फोन लेना पड़ा. राजू ने कहा कि मनी लाऊंड्रिंग कानून की धारा 70 के मुताबिक अगर आम आदमी पार्टी ने अपराध किया है और केजरीवाल आम आदमी पार्टी को चला रहे हैं तो वे उस अपराध के आरोपी माने जाएंगे. धारा 70 उन पर लागू होती है क्योंकि वे आम आदमी पार्टी का संचालन करते हैं.

राजू ने कहा कि विजय नायर का सरकार से कोई मतलब नहीं था. उनका आबकारी नीति बनाने में कोई योगदान नहीं था, लेकिन उनका बिचौलिये की तरह इस्तेमाल किया गया. विजय नायर का केजरीवाल से निसंदेह नजदीकी संबंध थे. केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ वकील विक्रम चौधरी ने कहा कि इस मामले में अगस्त 2022 में जांच शुरु हुई. जुलाई 2023 तक ईडी के पास केजरीवाल के खिलाफ कुछ साक्ष्य थे, लेकिन उन्होंने पहला समन अक्टूबर 2023 में जारी किया. केजरीवाल को सीबाआई ने गवाह के तौर पर बुलाया. 12 जनवरी को ईडी ने एक ईमेल किया. उस ईमेल में ये नहीं बताया कि केजरीवाल को आम आदमी पार्टी के संयोजक होने के नाते बुलाया जा रहा है. 16 मार्च को चुनाव की घोषणा होती है और उसी दिन समन जारी किए जाते हैं. 20 मार्च को हाईकोर्ट में मामला लिस्ट होता है और हाईकोर्ट ईडी को नोटिस जारी करती है. 21 मार्च को हाईकोर्ट ने कोई अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया. उसके बाद 21 मार्च को ही शाम को ईडी ने केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया.

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चौधरी ने कहा कि हाईकोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी और हिरासत को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला दिया था न कि जमानत याचिका पर. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा था कि केजरीवाल जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट जा सकते हैं और ट्रायल कोर्ट कानून के मुताबिक फैसला करेगा. चौधरी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की जमानत इसलिए खारिज की क्योंकि उन्होंने सीबीआई और ईडी दोनों के मामले में जमानत मांगी थी. जबकि केजरीवाल को सीबीआई के मामल में बतौर गवाह बुलाया गया था.

चौधरी ने कहा कि ये ईडी का काम नहीं है कि वो सीबीआई को निर्देशित करे. वो एक स्वतंत्र एजेंसी है जो अपना फैसला खुद करेगी. उन्होंने कहा कि ईडी ने केजरीवाल को पहले गिरफ्तार क्यों नहीं किया, उन्होंने 21 मार्च को ही क्यों गिरफ्तार किया. सवाल है कि क्या ईडी एक स्वतंत्र एजेंसी है या वो अपने राजनीतिक आकाओं के लिए काम करती है. केजरीवाल एक राजनीतिक व्यक्ति हैं.

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बता दें कि 19 जून को कोर्ट ने केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 3 जुलाई तक बढ़ा दिया था. इसके पहले 5 जून को कोर्ट ने केजरीवाल की सात दिनों की अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दिया था. कोर्ट ने तिहाड़ जेल प्रशासन को निर्देश दिया था कि वो केजरीवाल के स्वास्थ्य संबंधी जरुरी टेस्ट कराएं. फैसला सुनाने के दौरान केजरीवाल के वकील ने उनके स्वास्थ्य पर चिंता जताई थी. तब कोर्ट ने कहा था कि आपको जब भी स्वास्थ्य की चिंता होगी आप कोर्ट आ सकते हैं.

कोर्ट ने 30 मई को केजरीवाल की अंतरिम और नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए ईडी को नोटिस जारी किया था. बता दें कि 29 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की सात दिन की अंतरिम जमानत के आवेदन को स्वीकार करने से इंकार करते हुए कहा था कि चूंकि केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने पर फैसला पहले ही सुरक्षित रखा जा चुका है. इसलिए अंतरिम जमानत बढ़ाने की केजरीवाल की याचिका का मुख्य याचिका से कोई संबंध नहीं है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें नियमित जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट जाने की अनुमति भी दी है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को अरविंद केजरीवाल को 1 जून तक की अंतरिम जमानत देते हुए 2 जून को सरेंडर करने का आदेश दिया था. केजरीवाल ने 2 जून को सरेंडर किया था.

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Last Updated : Jun 20, 2024, 4:59 PM IST
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