रांची: राजधानी के धुर्वा में सीआरपीएफ कैंप 133 बटालियन के जवान बसंत कुमार के आत्महत्या करने के बाद अस्पताल में काफी हंगामा हुआ. परिजनों ने सीआरपीएफ के अधिकारियों पर प्रताड़ना का आरोप लगाया है.
शनिवार की शाम बसंत कुमार अपने कैंप से निकलकर घर पहुंचे और वहां पहुंचते ही उन्होंने आत्महत्या करने की कोशिश की. बसंत कुमार की पत्नी चंचला सिन्हा और उनके बेटे रितुराज ने बताया कि उन्हें जैसे ही घटना का पता चला. वे तुरंत आनन-फानन में अपने पति को लेकर पारस अस्पताल पहुंची, जहां कई घंटों तक इलाज के बाद रविवार को उनकी मौत हो गई. वे काफी दिनों से परेशान थे. उनपर डिपार्टमेंटल प्रेशर था.
बसंत कुमार की मौत के बाद परिजनों ने पारस अस्पताल में काफी हंगामा किया और सीआरपीएफ अधिकारियों पर बसंत को प्रताड़ित करने का भी आरोप लगाया. मृत जवान की पत्नी और बेटे ने बताया कि उनके अधिकारी मृत्युंजय कुमार लगातार प्रताड़ित करते थे. जिससे वे काफी परेशान रहते थे. इसी कारण उन्होंने यह कदम उठाया.
वहीं सीआरपीएफ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बसंत कुमार को पारिवारिक परेशानियां भी थीं. इसी कारण उन्होंने यह कदम उठाया है.
परिजनों ने बताया कि बसंत कुमार दो दशक से अधिक समय से सीआरपीएफ की सेवा में लगातार देश के लिए काम कर रहे थे. झारखंड में भी नक्सल प्रभावित इलाकों में नक्सलियों पर लगाम लगाने में उनकी अहम भूमिका रही है. उन्होंने छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार समेत देश के विभिन्न राज्यों में काम किया है. बसंत कुमार फिलहाल 133 बटालियन कैंप के मेस में कार्यरत थे. जवानों के खाने-पीने की जिम्मेदारी बसंत कुमार पर थी.
पत्नी के अलावा बसंत कुमार की दो बेटियां और एक बेटा भी है. एक बेटी की शादी भी हो चुकी है. जबकि एक बेटा और एक बेटी अविवाहित हैं. बसंत कुमार मूल रूप से बिहार के वैशाली जिले के रहने वाले थे और पिछले 24 सालों से सीआरपीएफ में बतौर जवान अपनी सेवाएं दे रहे थे. हालांकि बसंत कुमार की मौत कैसे हुई यह जांच का विषय है. जगन्नाथपुर थाना की पुलिस पारस अस्पताल पहुंचकर परिजनों और उनसे जुड़े लोगों का बयान दर्ज कर रही है और उसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.
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