नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक व्यक्ति पर उड़ीसा उच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई जमानत की शर्त को खारिज कर दिया है यह कहते हुए कि यह उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा कि वह किसी भी राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं होगा.
सिबा शंकर दास बनाम ओडिशा राज्य और एक अन्य मामले में शीर्ष अदालत ने दास की याचिका पर यह आदेश पारित किया. उन्होंने उच्च न्यायालय द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था. बता दें दास को बेरहामपुर नगर निगम के मेयर के रूप में चुना गया था.
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि दास ने कटक में उड़ीसा उच्च न्यायालय द्वारा पारित 18 जनवरी, 2024 के आदेश को चुनौती दी थी. उड़ीसा उच्च न्यायालय ने अगस्त 2022 को इसे खारिज कर दिया गया, जिसके तहत वर्तमान अपीलकर्ता द्वारा 11 अगस्त के आदेश में शर्त वापस लेने के लिए आवेदन दायर किया गया था.
हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत पर रिहा करने का आदेश देते हुए यह शर्त लगाई थी कि अपीलकर्ता सार्वजनिक रूप से कोई अप्रिय स्थिति पैदा नहीं करेगा और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं होगा. बता दें शीर्ष अदालत ने 22 मार्च को पारित आदेश में कहा था कि हमने पाया है कि ऐसी शर्तें लगाने से अपीलकर्ता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा और ऐसी कोई शर्तें लगाई नहीं जा सकतीं हैं.
शीर्ष अदालत ने अपील की अनुमति देते हुए कहा कि इसलिए हम उच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई शर्त को रद्द करते हैं. और जिस हद तक ऊपर बताया गया है उसे हद तक खारिज करते हैं.
मालूम हो याचिकाकर्ता के वकील ने उच्च न्यायालय के समक्ष तर्क दिया था कि एक राजनीतिक व्यक्ति होने के नाते, उन्हें इस वर्ष के अंत में होने वाले लोकसभा के मद्देनजर राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति दी जानी चाहिए.