अहमदाबाद: कभी-कभी माता-पिता की लापरवाही से बच्चों का जीवन खतरा में पड़ जाता है. ऐसा ही एक मामला राजस्थान में हुआ है. राजस्थान में एक साल के बच्चे की सांस की नली से होते हुए मक्के का दाना फेफड़ों में पहुंच गया, जिससे बच्चे की जान खतरे में पड़ गई थी. हालांकि, अहमदाबाद सिविल अस्पताल के अधीक्षक और बाल चिकित्सा सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. राकेश जोशी और उनकी टीम ने दूरबीन से ऑपरेशन कर फेफड़े में फंसे मक्के के दाने को निकाला और बच्चे को नई जिंदगी दी.
राजस्थान के राजसमंद के रहने वाले कानसिंह रावत और संतोष देवी मध्यम वर्गीय परिवार से आते हैं. उनके एक साल के बच्चे को कुछ दिन पहले अचानक खांसी-जुकाम के साथ सांस लेने में दिक्कत हो गई थी. उन्होंने राजस्थान के ब्यावर और अजमेर में बाल चिकित्सा डॉक्टरों से संपर्क किया. सीटी स्कैन के बाद बच्चे की हालत देखकर वहां के डॉक्टरों ने बच्चे को तुरंत अहमदाबाद सिविल अस्पताल (गुजरात) ले जाने को कहा.
सिविल अस्पताल में तुरंत शुरू हुई जांच
जब बच्चे को अहमदाबाद सिविल अस्पताल लाया गया तो बच्चे की गंभीर हालत को देखते हुए अस्पताल के अधीक्षक और सिविल अस्पताल के बाल चिकित्सा सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. राकेश जोशी और उनकी टीम ने बिना किसी देरी के बच्चे की जांच की. जांच के दौरान, बच्चे में न्यूमोमेडियास्टिनम के प्रारंभिक निष्कर्षों के साथ श्वसन संबंधी परेशानी पाई गई.
यह संदेह सच साबित हुआ कि बच्चे ने कुछ निगल लिया है. बच्चे की आपातकालीन सर्जरी करने का निर्णय लिया गया. बच्चे की ब्रोंकोस्कोपी सर्जरी की गई. बच्चे के फेफड़ों में एक अज्ञात पदार्थ पाया गया, जो बाद में मकई का दाना निकला.
सिविल अस्पताल अधीक्षक एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डाॅ. राकेश जोशी, विभागाध्यक्ष डाॅ. रमिला और उनकी टीम आपातकालीन बाल सर्जरी करके एक बच्चे की जान बचाने में कामयाब रही. चार दिनों के पोस्ट-ऑपरेटिव उपचार के बाद, इंटरकोस्टल ट्यूब को हटाने के बाद बच्चे को बिना किसी अन्य जटिलता के छुट्टी दे दी गई.
यह समाज के लिए चेतावनी भरा मामला
डॉ. राकेश जोशी का कहना है कि गलती से बच्चे की सांस की नली में मक्के का दाना फंस गया था, जिससे बच्चे की सांसें अचानक तेज हो गईं. सांसें इतनी बढ़ गईं कि बच्चे के फेफड़ों में छेद हो गया. उन्होंने कहा कि शरीर में त्वचा के नीचे हवा की एक परत बन जाती है. बच्चे के फेफड़ों और हृदय के आसपास हवा भर जाने से उसकी हालत गंभीर लग रही थी. ब्रोंकोस्कोपी से पता चला कि बच्चे के बाएं फेफड़े में मक्के का दाना फंसा हुआ है. सर्जरी के बाद बच्चा धीरे-धीरे ठीक होने लगा.
डॉ. राकेश जोशी ने कहा, "माता-पिता को इस बात को लेकर लगातार सतर्क रहना चाहिए कि छोटे बच्चे क्या खा रहे हैं और वे गलती से कुछ और न निगल लें."
उन्होंने कहा कि छोटे बच्चों के हर माता-पिता को इस बात को बहुत ही ध्यान में रखना चाहिए. बच्चों के माता-पिता को इस बात को लेकर लगातार सतर्क रहना चाहिए कि छोटे बच्चे क्या खा रहे हैं और वे गलती से ऐसी चीजें न निगल लें.
डॉक्टरों ने मेरे बच्चे को नई जिंदगी दी
बच्चे के पिता कानसिंह रावत सिविल हॉस्पिटल स्टाफ को धन्यवाद देते हुए कहते हैं कि वाकई अहमदाबाद सिविल हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने मेरे बच्चे को नई जिंदगी दी है. डॉक्टरों ने हमारे बच्चे की जान बेहद गंभीर स्थिति से बचा ली है. हर माता-पिता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका बच्चा ऐसी गलती न करे.
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