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संस्कृत भाषा से ऐतराज! प्रिंसिपल के खिलाफ छात्राओं खोला मोर्चा, जानें क्या है माजरा - Controversy over Sanskrit

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 3 hours ago

Controversy over teaching of Sanskrit language. किसी स्कूल में कोर्स के अनुसार सभी भाषा की पढ़ाई कराई जाती है. ऐसे में अगर किसी भाषा की पढ़ाई करने से बच्चों को रोका जाए तो इसे क्या कहेंगे. क्या ये भाषाई तानाशाही कही जाएगी. कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है धनबाद के सरकारी स्कूल में.

Controversy over teaching of Sanskrit language in government school of Dhanbad
ग्राफिक्स इमेज (Etv Bharat)

धनबादः हमें संस्कृत भाषा का अध्ययन इसलिए करना चाहिए, क्योंकि संस्कृत हमारी सांस्कृतिक भाषा है. संस्कृत संसार की सबसे पुरानी भाषा है. सभी भारतीय भाषाओं की उत्पत्ति संस्कृत से ही हुई है. इस प्रकार संस्कृत सब भारतीय भाषाओं की जननी है. प्राचीन भारत में जितनी साहित्य की रचना हुई है वह सब संस्कृत में ही हुई है. संस्कृत में अनेक धर्म-शास्त्र और ग्रंथ हैं, उन सब का अध्ययन करने के लिए संस्कृत की आवश्यकता पड़ती है. संस्कृत एक देव भाषा है.

संस्कृत पर अनेक शोध हो रहे हैं और संस्कृत में भी अनेक शोध ग्रंथ हैं. संस्कृत हमारे भारत का गौरव है. यह भाषा पूरी तरह लुप्त ना हो इसके लिए हमें संस्कृत का अध्ययन करना चाहिए, ताकि हम अपनी इस प्राचीन भाषा को संजोकर रख सकें और अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए एक गौरवशाली परंपरा देकर जाएं. इसलिए सरकार ने भी आजादी के बाद से ही स्कूलों में संस्कृत भाषा की पढ़ाई को अनिवार्य कर दिया है, लेकिन धनबाद में एक ऐसा स्कूल है. जहां की प्रभारी प्राचार्या ही नहीं चाहती कि उनके स्कूल के बच्चे संस्कृत भाषा की पढ़ाई करें.

ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्टः प्रिंसिपल के खिलाफ छात्राएं डीसी ऑफिस पहुंची (controversy-over-teaching-of-sanskrit-language-in-government-school-of-dhanbad)

जी हां हम बात कर रहे हैं धनबाद के बैंक मोड़ के पास में टेलीफोन रोड एक्सचेंज स्थित एसएसएलएनटी सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस की. यहां की प्रभारी प्राचार्य अंजना महतो हैं. वह हिंदी की भी टीचर हैं और स्कूल की छात्राओं को क्लास में हिंदी भी पढ़ातीं हैं. लेकिन 11वीं आर्ट्स कक्षा की छात्राओं को संस्कृत पढ़ने से मना करती हैं. ऐसा नहीं है कि स्कूल में संस्कृत की शिक्षिका नहीं हैं.

संस्कृत की शिक्षिका होने और बेहतर पढ़ाने के बावजूद भी छात्राओं को कहती हैं कि वे संस्कृत की पढ़ाई ना करें, वरना सबको टीसी देकर स्कूल से निकाल दिया जाएगा. उनके द्वारा टीसी देने के बाद दूसरे स्कूल में एडमिशन भी नहीं होगा. प्राचार्या की प्रताड़ना की शिकार स्कूल की दर्जनों छात्राओं ने धनबाद डीसी माधवी मिश्रा से मिलकर स्कूल के प्रभारी प्राचार्या के खिलाफ शिकायत की है. डीसी ने आश्वासन दिया है कि स्कूल में संस्कृत की पढ़ाई होगी, वे लोग चिंता ना करें. इसमें आगे की कार्रवाई के लिए जिला शिक्षा अधीक्षक को आदेश दिया गया है.

ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्टः डीसी से मुलाकात के छात्राओं से बात की संवाददाता नरेंद्र कुमार ने (ETV Bharat)

एडमिशन और रजिस्ट्रेशन फीस भी लेती हैं अधिक और नहीं देती हैं रसीद

स्कूल की 11वीं क्लास की छात्रा राखी कुमारी ने कहा कि एडमिशन और रजिस्ट्रेशन फीस अधिक लेती हैं और रसीद भी नहीं देती हैं. नियमानुसार रजिस्ट्रेशन फीस 2400 रुपए है लेकिन 2500 रुपया लिया जाता है. वहीं एडमिशन फीस 839 रुपए है लेकिन 900 रुपया लिया जाता है. इतना ही नहीं गवर्नमेंट स्कूल में डायरी देने का प्रावधान नहीं है. इसके बावजूद स्कूल की प्रभारी प्राचार्य खुद से डायरी छपवा कर 85 रुपया में स्कूल की छात्राओं से बेच रही हैं.

शिकायत के लिए चेंबर में जाते ही प्रभारी प्राचार्या छात्राओं से कहती हैं गेट आउट

11वीं क्लास की छात्रा ज्योति मिश्रा ने कहा कि इस क्लास की कई छात्राएं संस्कृत पढ़ना चाहती हैं, लेकिन प्रभारी प्राचार्या कहती हैं कि इस स्कूल में पढ़ना है तो हिंदी की पढ़ाई करो. यहां संस्कृत की पढ़ाई नहीं होगी. प्रभारी प्राचार्य छात्राओं को मानसिक रूप से भी प्रताड़ित कर रही हैं. इस स्कूल में हिंदी, बांग्ला, उर्दू और संथाली सभी भाषा की पढ़ाई होती है लेकिन संस्कृत की पढ़ाई नहीं होती है.

स्कूल की छात्राओं के आरोपों को लेकर प्रभारी प्राचार्या अंजना महतो ने कहा कि छात्राओं के द्वारा लगाए गए आरोप निराधार हैं. स्कूल के कुछ टीचर हमारे खिलाफ षड्यंत्र रच रहें हैं. इस मामले को लेकर डीईओ निशु कुमारी ने कहा कि मामले को लेकर डीसी के द्वारा जांच के निर्देश दिए गये हैं. इस मामले में जांच की जा रही है.

इसे भी पढ़ें- 12वीं के छात्र को अनाज तौलने का जिम्मा सौंप सरकारी गोदाम का एजीएम हुआ नदारद, डीएसओ ने कहा - देखेंगे - Government grain warehouse Giridih

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इसे भी पढ़ें- पेड़ के नीचे पल रहा भारत का भविष्य! जर्जर हालत में स्कूल भवन - Dilapidated school in Dumka

धनबादः हमें संस्कृत भाषा का अध्ययन इसलिए करना चाहिए, क्योंकि संस्कृत हमारी सांस्कृतिक भाषा है. संस्कृत संसार की सबसे पुरानी भाषा है. सभी भारतीय भाषाओं की उत्पत्ति संस्कृत से ही हुई है. इस प्रकार संस्कृत सब भारतीय भाषाओं की जननी है. प्राचीन भारत में जितनी साहित्य की रचना हुई है वह सब संस्कृत में ही हुई है. संस्कृत में अनेक धर्म-शास्त्र और ग्रंथ हैं, उन सब का अध्ययन करने के लिए संस्कृत की आवश्यकता पड़ती है. संस्कृत एक देव भाषा है.

संस्कृत पर अनेक शोध हो रहे हैं और संस्कृत में भी अनेक शोध ग्रंथ हैं. संस्कृत हमारे भारत का गौरव है. यह भाषा पूरी तरह लुप्त ना हो इसके लिए हमें संस्कृत का अध्ययन करना चाहिए, ताकि हम अपनी इस प्राचीन भाषा को संजोकर रख सकें और अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए एक गौरवशाली परंपरा देकर जाएं. इसलिए सरकार ने भी आजादी के बाद से ही स्कूलों में संस्कृत भाषा की पढ़ाई को अनिवार्य कर दिया है, लेकिन धनबाद में एक ऐसा स्कूल है. जहां की प्रभारी प्राचार्या ही नहीं चाहती कि उनके स्कूल के बच्चे संस्कृत भाषा की पढ़ाई करें.

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जी हां हम बात कर रहे हैं धनबाद के बैंक मोड़ के पास में टेलीफोन रोड एक्सचेंज स्थित एसएसएलएनटी सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस की. यहां की प्रभारी प्राचार्य अंजना महतो हैं. वह हिंदी की भी टीचर हैं और स्कूल की छात्राओं को क्लास में हिंदी भी पढ़ातीं हैं. लेकिन 11वीं आर्ट्स कक्षा की छात्राओं को संस्कृत पढ़ने से मना करती हैं. ऐसा नहीं है कि स्कूल में संस्कृत की शिक्षिका नहीं हैं.

संस्कृत की शिक्षिका होने और बेहतर पढ़ाने के बावजूद भी छात्राओं को कहती हैं कि वे संस्कृत की पढ़ाई ना करें, वरना सबको टीसी देकर स्कूल से निकाल दिया जाएगा. उनके द्वारा टीसी देने के बाद दूसरे स्कूल में एडमिशन भी नहीं होगा. प्राचार्या की प्रताड़ना की शिकार स्कूल की दर्जनों छात्राओं ने धनबाद डीसी माधवी मिश्रा से मिलकर स्कूल के प्रभारी प्राचार्या के खिलाफ शिकायत की है. डीसी ने आश्वासन दिया है कि स्कूल में संस्कृत की पढ़ाई होगी, वे लोग चिंता ना करें. इसमें आगे की कार्रवाई के लिए जिला शिक्षा अधीक्षक को आदेश दिया गया है.

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एडमिशन और रजिस्ट्रेशन फीस भी लेती हैं अधिक और नहीं देती हैं रसीद

स्कूल की 11वीं क्लास की छात्रा राखी कुमारी ने कहा कि एडमिशन और रजिस्ट्रेशन फीस अधिक लेती हैं और रसीद भी नहीं देती हैं. नियमानुसार रजिस्ट्रेशन फीस 2400 रुपए है लेकिन 2500 रुपया लिया जाता है. वहीं एडमिशन फीस 839 रुपए है लेकिन 900 रुपया लिया जाता है. इतना ही नहीं गवर्नमेंट स्कूल में डायरी देने का प्रावधान नहीं है. इसके बावजूद स्कूल की प्रभारी प्राचार्य खुद से डायरी छपवा कर 85 रुपया में स्कूल की छात्राओं से बेच रही हैं.

शिकायत के लिए चेंबर में जाते ही प्रभारी प्राचार्या छात्राओं से कहती हैं गेट आउट

11वीं क्लास की छात्रा ज्योति मिश्रा ने कहा कि इस क्लास की कई छात्राएं संस्कृत पढ़ना चाहती हैं, लेकिन प्रभारी प्राचार्या कहती हैं कि इस स्कूल में पढ़ना है तो हिंदी की पढ़ाई करो. यहां संस्कृत की पढ़ाई नहीं होगी. प्रभारी प्राचार्य छात्राओं को मानसिक रूप से भी प्रताड़ित कर रही हैं. इस स्कूल में हिंदी, बांग्ला, उर्दू और संथाली सभी भाषा की पढ़ाई होती है लेकिन संस्कृत की पढ़ाई नहीं होती है.

स्कूल की छात्राओं के आरोपों को लेकर प्रभारी प्राचार्या अंजना महतो ने कहा कि छात्राओं के द्वारा लगाए गए आरोप निराधार हैं. स्कूल के कुछ टीचर हमारे खिलाफ षड्यंत्र रच रहें हैं. इस मामले को लेकर डीईओ निशु कुमारी ने कहा कि मामले को लेकर डीसी के द्वारा जांच के निर्देश दिए गये हैं. इस मामले में जांच की जा रही है.

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