अयोध्या: राम जन्मभूमि परिसर में निर्माणाधीन मंदिरों के लिए राजस्थान और गुजरात से कारीगरों व वर्करों की वापसी हो चुकी है. इसके साथ ही युद्ध स्तर पर सभी निर्माण कार्य को शुरू कर दिया गया है. करीब 2000 कारीगर इसमें लगे हैं. आगामी 22 जनवरी को राम जन्मभूमि परिसर में एक बार फिर उत्सव मनाए जाने की तैयारी है. इसके पहले राम मंदिर के शिखर और अन्य मंदिरों के कार्य को पूरा करने का लक्ष्य है. इसको लेकर 25 नवंबर को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की अहम बैठक भी होने जा रही है, जिसमें मंदिर निर्माण का विवरण प्रस्तुत किया जाएगा. इसके साथ ही 22 जनवरी की कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने को लेकर भी मंथन होगा.
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की एक दिवसीय बैठक 25 नवंबर को अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास के आश्रम मणिरामदास छावनी में की जाएगी. जिसमें नव सदस्यों की पहुंचने की संभावना है और अन्य सदस्य वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़ेंगे. मिली जानकारी के मुताबिक बैठक में मुख्य रूप से राम मंदिर के प्रथम तल पर राम दरबार के अलावा सप्त मंडपम व परकोटे में निर्माणाधीन मंदिरों में मूर्तियों की प्रतिष्ठा का भी प्रस्ताव होगा और 22 जनवरी के वार्षिक आयोजन पर भी मंथन किया जाएगा.
ट्रस्ट के सदस्य डॉक्टर अनिल मिश्रा के मुताबिक राम मंदिर निर्माण का कार्य अपनी गति से किया जा रहा है. आगामी समय में होने वाले आयोजनों को लेकर इस बैठक में मंथन किया जाएगा. इसके साथी परिसर में यात्री सुविधाओं को सुगम बनाए जाने को लेकर भी चर्चा की जाएगी. कहा कि बैठक में सभी सदस्यों की राय पर कोई भी निर्णय लिया जाता है. बताया कि बैठक से पहले ट्रस्टी राम मंदिर परिसर में निर्माण कार्य का जायजा लेंगे.
राम जन्मभूमि परिसर में राम मंदिर के शिखर निर्माण के साथ मंदिर के 800 मीटर की परिधि में परकोटे का निर्माण किया जा रहा है. यहां 6 मंदिरों के निर्माण का कार्य भी चल रहा है. इसके अलावा परिसर शेषावतार और सप्त मंडपम का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें महर्षि वाल्मीकि, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषाद राज, माता अहिल्या और शबरी की मूर्ति को स्थापित किया जाएगा. ट्रस्ट के मुताबिक इन कार्यों को पूरा करने के लिए लगभग 2000 मजदूर कार्य कर रहे हैं.