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हिमाचल प्रदेश में सियासी संकट ,कांग्रेस का बीजेपी पर हमला, शिमला पहुंचे भूपेश बघेल

political crisis in Himachal हिमाचल प्रदेश में उपजे सियासी संकट का असर देश की राजनीति पर भी पड़ा है. कांग्रेस इस घटना के बाद केंद्र सरकार के खिलाफ हमलावर है.वहीं छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल सियासी संकट को रोकने के लिए शिमला में ही हैं.

political crisis in Himachal pradesh
हिमाचल प्रदेश में सियासी संकट
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 28, 2024, 7:26 PM IST

रायपुर : बिहार के बाद अब हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के लिए राजनीतिक संकट गहरा रहा है.जिसे लेकर कांग्रेस ने केंद्र पर गंभीर आरोप लगाए हैं. कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने हिमाचल प्रदेश की राजनीति पर बयान दिया है. प्रियंका गांधी के आरोपों को छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने प्रियंका गांधी के आरोपों को अपने पेज पर साझा किया.आपको बता दें कि हिमाचल में बने सियासी संकट को टालने के लिए छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल शिमला में ही हैं.

भूपेश बघेल ने किया हमला : भूपेश बघेल ने प्रियंका गांधी के आरोपों को पोस्ट करते हुए लिखा कि " लोकतंत्र में आम जनता को अपनी पसंद की सरकार चुनने का अधिकार है. हिमाचल की जनता ने अपने इसी अधिकार का इस्तेमाल किया. स्पष्ट बहुमत से कांग्रेस की सरकार बनाई. लेकिन भाजपा धनबल, एजेंसियों की ताकत और केंद्र की सत्ता का दुरुपयोग करके हिमाचल वासियों के इस अधिकार को कुचलना चाहती है. इस मकसद के लिए जिस तरह भाजपा सरकारी सुरक्षा और मशीनरी का इस्तेमाल कर रही है. वह देश के इतिहास में अभूतपूर्व है. 25 विधायकों वाली पार्टी यदि 43 विधायकों के बहुमत को चुनौती दे रही है. तो इसका मतलब साफ है कि वो प्रतिनिधियों के खरीद-फरोख्त पर निर्भर है. इनका यह रवैया अनैतिक और असंवैधानिक है. हिमाचल और देश की जनता सब देख रही है.जो भाजपा प्राकृतिक आपदा के समय प्रदेशवासियों के साथ खड़ी नहीं हुई, अब प्रदेश को राजनीतिक आपदा में धकेलना चाहती है.''

क्या है हिमाचल का सियासी संकट ?: हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस अपनी सरकार बचाने के लिए संघर्ष कर रही है. जिसमें हाईप्रोफाइल मंत्री विक्रमादित्य सिंह का इस्तीफा और विधानसभा अध्यक्ष द्वारा 15 बीजेपी विधायकों को निलंबित करना शामिल है. यह संकट हिमाचल प्रदेश की एकमात्र सीट के लिए राज्यसभा चुनाव में मंगलवार को छह कांग्रेस विधायकों के क्रॉस वोटिंग से पैदा हुआ था.जिसमें कांग्रेस के दिग्गज अभिषेक मनु सिंघवी को मंगलवार को ड्रा के जरिए बीजेपी के हर्ष महाजन ने हरा दिया, क्योंकि दोनों उम्मीदवारों को 34-34 वोट मिले थे. कांग्रेस विधायकों की क्रॉस वोटिंग के कारण अभिषेक मनु सिंघवी को बराबरी में संतोष करना पड़ा.इसके बाद टॉस के माध्यम से फैसला हुआ.

कांग्रेस की हार के कारण बढ़ी चिंता : राज्यसभा चुनाव परिणाम का मतलब यह हुआ कि कांग्रेस 14 महीने पहले विधानसभा में 40 सीटें जीतकर राज्य में सत्ता में आई थी. आधे आंकड़े तक पहुंचने में असफल रही. बजट अभी भी सदन में लंबित था. विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा था. चुनाव में बीजेपी ने 2022 में 68 में से 25 सीटें जीतीं. वहीं तीन स्वतंत्र विधायक हैं.जिनके बारे में माना जाता था कि क्रॉस-वोटिंग संकट उत्पन्न होने से पहले वे सत्तारूढ़ कांग्रेस के साथ थे.इसलिए बीजेपी ने सदन में बजट को लेकर मतदान कराना चाहती थी.

क्या चाहती थी बीजेपी ? : राज्यसभा में सीट जीतने के बाद बीजेपी सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के बजट को ध्वनि मत से पारित करने से रोकना चाह रही थी.इसके लिए बीजेपी बजट पर मतदान चाहती थी. बीजेपी ये साबित करना चाहती थी कि कांग्रेस ने राज्य विधानसभा में अपना बहुमत खो दिया है.लेकिन बुधवार दोपहर कांग्रेस सरकार का संकट फिलहाल टल गया. क्योंकि वित्त विधेयक ध्वनि मत से पारित हो गया. इस दौरान सदन में बीजेपी का कोई सदस्य मौजूद नहीं था. इसके बाद स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया.

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भूपेश बघेल ने किया हमला : भूपेश बघेल ने प्रियंका गांधी के आरोपों को पोस्ट करते हुए लिखा कि " लोकतंत्र में आम जनता को अपनी पसंद की सरकार चुनने का अधिकार है. हिमाचल की जनता ने अपने इसी अधिकार का इस्तेमाल किया. स्पष्ट बहुमत से कांग्रेस की सरकार बनाई. लेकिन भाजपा धनबल, एजेंसियों की ताकत और केंद्र की सत्ता का दुरुपयोग करके हिमाचल वासियों के इस अधिकार को कुचलना चाहती है. इस मकसद के लिए जिस तरह भाजपा सरकारी सुरक्षा और मशीनरी का इस्तेमाल कर रही है. वह देश के इतिहास में अभूतपूर्व है. 25 विधायकों वाली पार्टी यदि 43 विधायकों के बहुमत को चुनौती दे रही है. तो इसका मतलब साफ है कि वो प्रतिनिधियों के खरीद-फरोख्त पर निर्भर है. इनका यह रवैया अनैतिक और असंवैधानिक है. हिमाचल और देश की जनता सब देख रही है.जो भाजपा प्राकृतिक आपदा के समय प्रदेशवासियों के साथ खड़ी नहीं हुई, अब प्रदेश को राजनीतिक आपदा में धकेलना चाहती है.''

क्या है हिमाचल का सियासी संकट ?: हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस अपनी सरकार बचाने के लिए संघर्ष कर रही है. जिसमें हाईप्रोफाइल मंत्री विक्रमादित्य सिंह का इस्तीफा और विधानसभा अध्यक्ष द्वारा 15 बीजेपी विधायकों को निलंबित करना शामिल है. यह संकट हिमाचल प्रदेश की एकमात्र सीट के लिए राज्यसभा चुनाव में मंगलवार को छह कांग्रेस विधायकों के क्रॉस वोटिंग से पैदा हुआ था.जिसमें कांग्रेस के दिग्गज अभिषेक मनु सिंघवी को मंगलवार को ड्रा के जरिए बीजेपी के हर्ष महाजन ने हरा दिया, क्योंकि दोनों उम्मीदवारों को 34-34 वोट मिले थे. कांग्रेस विधायकों की क्रॉस वोटिंग के कारण अभिषेक मनु सिंघवी को बराबरी में संतोष करना पड़ा.इसके बाद टॉस के माध्यम से फैसला हुआ.

कांग्रेस की हार के कारण बढ़ी चिंता : राज्यसभा चुनाव परिणाम का मतलब यह हुआ कि कांग्रेस 14 महीने पहले विधानसभा में 40 सीटें जीतकर राज्य में सत्ता में आई थी. आधे आंकड़े तक पहुंचने में असफल रही. बजट अभी भी सदन में लंबित था. विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा था. चुनाव में बीजेपी ने 2022 में 68 में से 25 सीटें जीतीं. वहीं तीन स्वतंत्र विधायक हैं.जिनके बारे में माना जाता था कि क्रॉस-वोटिंग संकट उत्पन्न होने से पहले वे सत्तारूढ़ कांग्रेस के साथ थे.इसलिए बीजेपी ने सदन में बजट को लेकर मतदान कराना चाहती थी.

क्या चाहती थी बीजेपी ? : राज्यसभा में सीट जीतने के बाद बीजेपी सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के बजट को ध्वनि मत से पारित करने से रोकना चाह रही थी.इसके लिए बीजेपी बजट पर मतदान चाहती थी. बीजेपी ये साबित करना चाहती थी कि कांग्रेस ने राज्य विधानसभा में अपना बहुमत खो दिया है.लेकिन बुधवार दोपहर कांग्रेस सरकार का संकट फिलहाल टल गया. क्योंकि वित्त विधेयक ध्वनि मत से पारित हो गया. इस दौरान सदन में बीजेपी का कोई सदस्य मौजूद नहीं था. इसके बाद स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया.

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