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क्या उन घटनाओं के लिए अकेले मनमोहन सिंह जिम्मेदार हैं? मणिशंकर अय्यर के बयान पर बोले चव्हाण - MANI SHANKAR AIYAR

कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने मणिशंकर अय्यर के हालिया बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए असहमति जताई है और इसे गलत बताया.

congress Prithviraj Chavan reaction on Mani Shankar Aiyar controversial statement
मणिशंकर अय्यर - प्रणब मुखर्जी - मनमोहन सिंह (File Photo - ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 3 hours ago

मुंबई: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने अपने बयान से एक बार फिर नया विवाद खड़ा कर दिया है. अय्यर ने अपनी किताब 'अ मॅव्हरिक इन पॉलिटिक्स' (A Maverick in Politics) में कहा है कि अगर 2012 में प्रणब मुखर्जी को प्रधानमंत्री बनाया गया होता तो 2014 में यूपीए की हार नहीं होती. अय्यर ने कहा है कि यह उनकी निजी राय हो सकती है. 2012 में मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री पद पर बरकरार रखा गया और प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति भवन भेज दिया गया. इस फैसले से तीसरी बार यूपीए सरकार बनने की संभावना खत्म हो गई.

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के काम की तारीफ की है. मणिशंकर के दावे पर ईटीवी भारत से बात करते हुए चव्हाण ने कहा, "मैंने अभी तक वह बयान नहीं देखा है. मैं इससे सहमत नहीं हूं. यह गलत है."

यूपीए कार्यकाल के दौरान पृथ्वीराज चव्हाण प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री थे. इस बारे में पूछे जाने पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता चव्हाण ने कहा, "2010 के बाद मुझे प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री का पद नहीं मिला. यूपीए-2 में मैं सिर्फ एक साल के लिए वहां था. 2009 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में सांसदों की संख्या 145 से 206 हो गई. हमारी सरकार बिना कम्युनिस्ट पार्टियों के सपोर्ट से बनी. 2014 के लिए उनका (मणिशंकर) बयान निजी हो सकता है. उस दौरान मैं वहां नहीं था. कई घटनाएं हुई थीं."

उन्होंने सवाल किया कि क्या उन घटनाओं के लिए अकेले मनमोहन सिंह जिम्मेदार हैं? उस समय इस बात को लेकर भ्रम था कि राहुल गांधी या मनमोहन सिंह कौन नेतृत्व कर रहे हैं. 2014 में मनमोहन सिंह नहीं, बल्कि राहुल गांधी नेतृत्व कर रहे थे.

वहीं, कांग्रेस नेता और विधायक अभिजीत वंजारी ने मणिशंकर अय्यर के बयान की आलोचना की. ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने कहा, 'मणिशंकर अय्यर अब बहुत बुजुर्ग हो गए हैं. जब आप बूढ़े हो जाते हैं, तो बुजुर्ग लोग मजाक उड़ाना शुरू कर देते हैं. उनके साथ भी यही हुआ. इस कारण से ऐसी टिप्पणी कर माहौल खराब करने की बजाय, उन्हें शांत रहना चाहिए. मैं चाहता हूं कि वे घर पर बैठें और अपने पोते-पोतियों के साथ खेलें."

वंजारी ने कहा, कांग्रेस पार्टी को ऐसे बयान देने वाले नेताओं पर ध्यान देना चाहिए और उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. ऐसा करने से नए जोश के साथ काम करने वाले कार्यकर्ताओं का हौसला नहीं टूटेगा.

अय्यर ने अपनी किताब में क्या कहा
अय्यर ने किताब में दावा किया है कि 2012 में प्रणब मुखर्जी को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की कमान सौंप दी जानी चाहिए थी. अगर ऐसा होता, तो यूपीए सरकार लकवाग्रस्त नहीं होती. तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कई बार बाईपास सर्जरी करानी पड़ी थी. वे शारीरिक रूप से थक चुके थे और उनका काम धीमा पड़ गया था. ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी बीमार पड़ गईं. इसके कारण प्रधानमंत्री और पार्टी अध्यक्ष दोनों ही कार्यालयों में गति की कमी हो गई. यूपीए को झटका लगा.

अय्यर ने एक इंटरव्यू में सोनिया गांधी से जुड़ा एक किस्सा भी सुनाया है. अय्यर ने कहा, "एक बार जब उन्होंने सोनिया गांधी को क्रिसमस की बधाई दी तो सोनिया गांधी ने कहा कि मैं ईसाई नहीं हूं. बाद में मैंने अपने शब्द वापस ले लिए, क्योंकि मुझे लगा कि शायद सोनिया गांधी को उन्हें ईसाई कहना पसंद नहीं आया."

अय्यर ने यह भी बताया कि उन्हें एक दशक में सोनिया गांधी से आमने-सामने चर्चा करने का एक भी मौका नहीं मिला है. राहुल गांधी के साथ एक अवसर को छोड़कर, मुझे उनके साथ विस्तृत चर्चा करने का मौका नहीं मिला है. उन्होंने यह भी कहा है कि वह दो मौकों पर प्रियंका गांधी से संवाद कर पाए हैं. मेरे जीवन में भी एक बड़ी समस्या है. मेरा राजनीतिक करियर गांधी परिवार ने बनाया और बिगाड़ा है. अगर मैं ऐसा कहूं तो भी गलत नहीं होगा.

यह भी पढ़ें- PM म्यूजियम ने राहुल गांधी को लिखा लेटर- नेहरू, लेडी माउंटबेटेन से संबंधित दस्तावेज वापस करें

मुंबई: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने अपने बयान से एक बार फिर नया विवाद खड़ा कर दिया है. अय्यर ने अपनी किताब 'अ मॅव्हरिक इन पॉलिटिक्स' (A Maverick in Politics) में कहा है कि अगर 2012 में प्रणब मुखर्जी को प्रधानमंत्री बनाया गया होता तो 2014 में यूपीए की हार नहीं होती. अय्यर ने कहा है कि यह उनकी निजी राय हो सकती है. 2012 में मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री पद पर बरकरार रखा गया और प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति भवन भेज दिया गया. इस फैसले से तीसरी बार यूपीए सरकार बनने की संभावना खत्म हो गई.

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के काम की तारीफ की है. मणिशंकर के दावे पर ईटीवी भारत से बात करते हुए चव्हाण ने कहा, "मैंने अभी तक वह बयान नहीं देखा है. मैं इससे सहमत नहीं हूं. यह गलत है."

यूपीए कार्यकाल के दौरान पृथ्वीराज चव्हाण प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री थे. इस बारे में पूछे जाने पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता चव्हाण ने कहा, "2010 के बाद मुझे प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री का पद नहीं मिला. यूपीए-2 में मैं सिर्फ एक साल के लिए वहां था. 2009 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में सांसदों की संख्या 145 से 206 हो गई. हमारी सरकार बिना कम्युनिस्ट पार्टियों के सपोर्ट से बनी. 2014 के लिए उनका (मणिशंकर) बयान निजी हो सकता है. उस दौरान मैं वहां नहीं था. कई घटनाएं हुई थीं."

उन्होंने सवाल किया कि क्या उन घटनाओं के लिए अकेले मनमोहन सिंह जिम्मेदार हैं? उस समय इस बात को लेकर भ्रम था कि राहुल गांधी या मनमोहन सिंह कौन नेतृत्व कर रहे हैं. 2014 में मनमोहन सिंह नहीं, बल्कि राहुल गांधी नेतृत्व कर रहे थे.

वहीं, कांग्रेस नेता और विधायक अभिजीत वंजारी ने मणिशंकर अय्यर के बयान की आलोचना की. ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने कहा, 'मणिशंकर अय्यर अब बहुत बुजुर्ग हो गए हैं. जब आप बूढ़े हो जाते हैं, तो बुजुर्ग लोग मजाक उड़ाना शुरू कर देते हैं. उनके साथ भी यही हुआ. इस कारण से ऐसी टिप्पणी कर माहौल खराब करने की बजाय, उन्हें शांत रहना चाहिए. मैं चाहता हूं कि वे घर पर बैठें और अपने पोते-पोतियों के साथ खेलें."

वंजारी ने कहा, कांग्रेस पार्टी को ऐसे बयान देने वाले नेताओं पर ध्यान देना चाहिए और उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. ऐसा करने से नए जोश के साथ काम करने वाले कार्यकर्ताओं का हौसला नहीं टूटेगा.

अय्यर ने अपनी किताब में क्या कहा
अय्यर ने किताब में दावा किया है कि 2012 में प्रणब मुखर्जी को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की कमान सौंप दी जानी चाहिए थी. अगर ऐसा होता, तो यूपीए सरकार लकवाग्रस्त नहीं होती. तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कई बार बाईपास सर्जरी करानी पड़ी थी. वे शारीरिक रूप से थक चुके थे और उनका काम धीमा पड़ गया था. ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी बीमार पड़ गईं. इसके कारण प्रधानमंत्री और पार्टी अध्यक्ष दोनों ही कार्यालयों में गति की कमी हो गई. यूपीए को झटका लगा.

अय्यर ने एक इंटरव्यू में सोनिया गांधी से जुड़ा एक किस्सा भी सुनाया है. अय्यर ने कहा, "एक बार जब उन्होंने सोनिया गांधी को क्रिसमस की बधाई दी तो सोनिया गांधी ने कहा कि मैं ईसाई नहीं हूं. बाद में मैंने अपने शब्द वापस ले लिए, क्योंकि मुझे लगा कि शायद सोनिया गांधी को उन्हें ईसाई कहना पसंद नहीं आया."

अय्यर ने यह भी बताया कि उन्हें एक दशक में सोनिया गांधी से आमने-सामने चर्चा करने का एक भी मौका नहीं मिला है. राहुल गांधी के साथ एक अवसर को छोड़कर, मुझे उनके साथ विस्तृत चर्चा करने का मौका नहीं मिला है. उन्होंने यह भी कहा है कि वह दो मौकों पर प्रियंका गांधी से संवाद कर पाए हैं. मेरे जीवन में भी एक बड़ी समस्या है. मेरा राजनीतिक करियर गांधी परिवार ने बनाया और बिगाड़ा है. अगर मैं ऐसा कहूं तो भी गलत नहीं होगा.

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