नई दिल्ली : कांग्रेस ने सोमवार को गुजरात इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष अंबरीश डेर के पार्टी छोड़ने को ज्यादा तवज्जो नहीं दी. साथ ही पार्टी ने कहा कि यह राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा को बाधित करने का भाजपा का एक और प्रयास है, जो 7 मार्च को राज्य में प्रवेश करेगी. इस संबंध में एआईसीसी के गुजरात प्रभारी सचिव राम किशन ओझा ने कहा कि यह और कुछ नहीं बल्कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा को बाधित करने का भाजपा का एक और प्रयास है.
उन्होंने कहा कि लोग किसी धमकी या प्रलोभन या किसी अन्य कारण से पार्टी छोड़ रहे होंगे. ओझा ने कहा कि लोगों ने पहले भी कांग्रेस छोड़ी है लेकिन हमारा समर्थन आधार बरकरार है. डेर के जाने से पार्टी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और यात्रा तय कार्यक्रम के अनुसार चलेगी. बता दें कि राजुला निर्वाचन क्षेत्र से विधायक अंबरीश डेर ने सोमवार को कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे को अपना इस्तीफा भेज दिया और कहा कि वह पार्टी के सभी पद छोड़ रहे हैं.
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि जैसे को तैसा की नीति अपनाते हुए गुजरात कांग्रेस ने उन्हें छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है. अहीर समुदाय के नेता डेर ने अपने त्याग पत्र में कहा कि वह कांग्रेस के टिकट पर राज्य विधानसभा के लिए चुने गए और अतीत में उन्हें मिले सभी सहयोग के लिए वह सबसे पुरानी पार्टी के आभारी हैं. सूत्रों के अनुसार, डेर 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान राम मंदिर के उद्घाटन का बहिष्कार करने के आलाकमान के फैसले से नाराज थे. डेर के भाजपा में शामिल होने की उम्मीद है. ऐसी खबरें थीं कि डेर के संरक्षक और पोरबंदर विधायक अर्जुन मोढवाडिया भी आलाकमान से नाराज थे और कांग्रेस पार्टी छोड़ने की योजना बना रहे थे.
पार्टी सूत्रों ने कहा कि उन्हें मना लिया गया. बताया जाता है कि मोढवाडिया के साथ कुछ मुद्दे थे जिनका समाधान कर लिया गया है और वह अब पार्टी के लिए काम कर रहे हैं. इसके जरिए बीजेपी ऐसी तस्वीर पेश करना चाहती है कि लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष को दिक्कत हो रही है, लेकिन ऐसा नहीं है. इसी कड़ी में एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि भाजपा दशकों से राज्य में सत्ता में है लेकिन फिर भी उसे इस तरह की रणनीति का सहारा लेना पड़ता है. पूर्व राज्य कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले हमें छोड़ दिया था, लेकिन इसका पार्टी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा.
सूत्रों ने कहा कि इसी तरह की रुकावटें तब हुईं जब राहुल की यात्रा असम में थी. वहां राज्य सरकार ने अनुमति देने से इनकार कर दिया था, बिहार में जहां जेडी-यू ने कांग्रेस-आरजेडी-वाम गठबंधन सरकार छोड़ दी और भाजपा से हाथ मिला लिया. वहीं झारखंड में भी ऐसा ही हुआ, यहां झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन सरकार को गिराने का प्रयास किया गया और यूपी में रालोद नेता जयंत चौधरी को इंडिया गठबंधन छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था. गुजरात प्रभारी सचिव राम किशन ओझा ने कहा कि राहुल गांधी की यात्रा को अब तक पूरे देश में भारी प्रतिक्रिया मिली है. गुजरात चरण महत्वपूर्ण होगा क्योंकि हमारे नेता प्रतिदिन कई सार्वजनिक बैठकों को संबोधित करेंगे.
उन्होंने कहा कि वह पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के गृह राज्य में केंद्र सरकार से सवाल करते रहे हैं और करेंगे. यात्रा 7 मार्च को दाहोद जिले के झालोद से प्रवेश करेगी और सात जिलों और 26 लोकसभा क्षेत्रों में से 14 को कवर करेगी. यात्रा पंचमहल, छोटा उदेपुर, भरूच, तापी, सूरत और नवसारी जिलों से होकर गुजरेगी और 467 किमी की दूरी तय करेगी. ओझा ने कहा कि इंडिया ब्लॉक के हिस्से के रूप में कांग्रेस-आप गठबंधन गुजरात में बीजेपी का मजबूती से मुकाबला करेगा. समझौते के तहत, गुजरात की कुल 26 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस 24 सीटों पर और आप 2 सीटों पर चुनाव लड़ेगी.
ये भी पढ़ें - रेलवे की नीतियां केवल अमीरों को ध्यान में रखकर बनाई जा रही हैं: राहुल गांधी