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सरकार के 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' मनाने के कदम से विपक्ष नाराज, कांग्रेस और NDA में वाकयुद्ध शुरू - Samvidhan Hatya Divas

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By Amit Agnihotri

Published : Jul 12, 2024, 10:20 PM IST

Updated : Jul 12, 2024, 10:37 PM IST

Samvidhan Hatya Divas : भारत सरकार ने हर वर्ष 'संविधान हत्या दिवस' मनाने का ऐलान किया है. सरकार के इस ऐलान के बाद विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे को लेकर सत्ता पक्ष के खिलाफ हमला बोलना शुरू कर दिया. इस बाबत कांग्रेस ने सरकार पर बड़ा आरोप भी लगाया है. पढ़ें पूरी खबर...

Samvidhan Hatya Divas
फोटो (ANI and Getty images)

नई दिल्ली: भारत सरकार ने हर साल 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' मनाने का फैसला किया है. इसको लेकर कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने केंद्र पर पलटवार किया है. कांग्रेस और भाजपा के बीच ‘संविधान’ और ‘आपातकाल’ को लेकर वाकयुद्ध भी शुरू हो गया है. 27 जून को संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान भी भारतीय जनता पार्टी ने हर मोर्चे पर इमरजेंसी की भर्त्सना की थी. जिसको लेकर राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया था, जिसमें कांग्रेस ने सत्तारूढ़ एनडीए पर अपनी प्रशासनिक विफलताओं को छिपाने और बेरोजगारी और मूल्य वृद्धि जैसे वर्तमान ज्वलंत मुद्दों से जनता का ध्यान हटाने के लिए पुराने विवादों को खोदने का प्रयास करने का आरोप लगाया था.

बता दें, लोकसभा का स्पीकर चुने जाने के बाद ओम बिरला ने सदन में एक प्रस्ताव पढ़ा, जिसमें उन्होंने 1975 में कांग्रेस सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल की निंदा की. इस पर कांग्रेस और अन्य विपक्षी सांसदों ने हंगामा किया और जमकर नारेबाजी की. वहीं, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने स्पीकर ओम बिरला से मुलाकात की और आपातकाल पर पढ़े प्रस्ताव पर नाराजगी जताई. राहुल गांधी ने स्पीकर से मुलाकात करते हुए कहा कि, यह विषय स्पष्ट रूप से राजनीतिक था और इससे बचा जा सकता था.

वहीं, शुक्रवार को गृह मंत्रालय की अधिसूचना के बाद विवाद फिर से सामने आया जिसमें कहा गया कि भारतीय लोकतंत्र के काले अध्याय को उजागर करने के लिए हर साल 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मनाया जाएगा. राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने ईटीवी भारत से कहा कि मुझे आश्चर्य है कि बेरोजगारी और मूल्य वृद्धि और हमारी सीमाओं पर चीनी घुसपैठ जैसे ज्वलंत मुद्दों से जनता का ध्यान हटाने के लिए पचास साल पुरानी घटना को याद किया जा रहा है. आपातकाल के बाद कई राष्ट्रीय चुनाव हुए, लेकिन यह भी सच है कि 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से संविधान का रोजाना गला घोंटा जा रहा है. मुझे लगता है कि पिछले दशक को वास्तव में 'संविधान हत्या युग' के रूप में याद किया जाना चाहिए.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा सांसद मणिकम टैगोर ने कहा कि केंद्र का यह कदम ध्यान भटकाने की रणनीति है. टैगोर ने ईटीवी भारत से कहा कि हम सभी जानते हैं कि कांग्रेस पार्टी के 'जय संविधान' अभियान से भाजपा परेशान है. इससे पहले जब हमने विपक्षी गठबंधन का नाम इंडिया रखा था, तो उन्होंने इसके बजाय भारत शब्द का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था. अब जब हम 'जय संविधान' अभियान चला रहे हैं, तो वे फिर से लोगों का ध्यान बेरोजगारी और महंगाई से हटाने की कोशिश कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय चुनावों के दौरान हमारे नेता राहुल गांधी ने 'संविधान बचाओ' अभियान चलाया, जिससे दलित मतदाता दूर हो गए और भाजपा को कड़ी चोट पहुंची. अब वे हमें बदनाम करने के लिए इस तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। लेकिन मतदाता सब कुछ देख सकते हैं. कांग्रेस नेता महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, बिहार और तमिलनाडु सहित आठ राज्यों में संविधान और उसकी भूमिका को उजागर करने की योजना का जिक्र कर रहे थे.

एआईसीसी सचिव बीएम संदीप कुमार के अनुसार, कोई भी यह नहीं कह रहा था कि आपातकाल अच्छा था, लेकिन इसे विपक्ष की ओर से तत्कालीन निर्वाचित सरकार के लिए गंभीर खतरे के तहत लागू किया गया था. इसके अलावा, कुमार ने कहा कि यह कदम संविधान द्वारा ही उठाया गया था और 1977 में इसे सामान्य चुनावों से बदल दिया गया. सदन में आपातकाल पर अध्यक्ष के प्रस्ताव के बाद, विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर अपनी निराशा व्यक्त करने के लिए इंडिया ब्लॉक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था. चुनावों के दौरान विपक्ष ने आरोप लगाया था कि एनडीए सरकार द्वारा संविधान और संवैधानिक एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है, जिसने पिछले एक दशक में 'अघोषित आपातकाल' लागू किया है.

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नई दिल्ली: भारत सरकार ने हर साल 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' मनाने का फैसला किया है. इसको लेकर कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने केंद्र पर पलटवार किया है. कांग्रेस और भाजपा के बीच ‘संविधान’ और ‘आपातकाल’ को लेकर वाकयुद्ध भी शुरू हो गया है. 27 जून को संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान भी भारतीय जनता पार्टी ने हर मोर्चे पर इमरजेंसी की भर्त्सना की थी. जिसको लेकर राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया था, जिसमें कांग्रेस ने सत्तारूढ़ एनडीए पर अपनी प्रशासनिक विफलताओं को छिपाने और बेरोजगारी और मूल्य वृद्धि जैसे वर्तमान ज्वलंत मुद्दों से जनता का ध्यान हटाने के लिए पुराने विवादों को खोदने का प्रयास करने का आरोप लगाया था.

बता दें, लोकसभा का स्पीकर चुने जाने के बाद ओम बिरला ने सदन में एक प्रस्ताव पढ़ा, जिसमें उन्होंने 1975 में कांग्रेस सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल की निंदा की. इस पर कांग्रेस और अन्य विपक्षी सांसदों ने हंगामा किया और जमकर नारेबाजी की. वहीं, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने स्पीकर ओम बिरला से मुलाकात की और आपातकाल पर पढ़े प्रस्ताव पर नाराजगी जताई. राहुल गांधी ने स्पीकर से मुलाकात करते हुए कहा कि, यह विषय स्पष्ट रूप से राजनीतिक था और इससे बचा जा सकता था.

वहीं, शुक्रवार को गृह मंत्रालय की अधिसूचना के बाद विवाद फिर से सामने आया जिसमें कहा गया कि भारतीय लोकतंत्र के काले अध्याय को उजागर करने के लिए हर साल 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मनाया जाएगा. राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने ईटीवी भारत से कहा कि मुझे आश्चर्य है कि बेरोजगारी और मूल्य वृद्धि और हमारी सीमाओं पर चीनी घुसपैठ जैसे ज्वलंत मुद्दों से जनता का ध्यान हटाने के लिए पचास साल पुरानी घटना को याद किया जा रहा है. आपातकाल के बाद कई राष्ट्रीय चुनाव हुए, लेकिन यह भी सच है कि 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से संविधान का रोजाना गला घोंटा जा रहा है. मुझे लगता है कि पिछले दशक को वास्तव में 'संविधान हत्या युग' के रूप में याद किया जाना चाहिए.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा सांसद मणिकम टैगोर ने कहा कि केंद्र का यह कदम ध्यान भटकाने की रणनीति है. टैगोर ने ईटीवी भारत से कहा कि हम सभी जानते हैं कि कांग्रेस पार्टी के 'जय संविधान' अभियान से भाजपा परेशान है. इससे पहले जब हमने विपक्षी गठबंधन का नाम इंडिया रखा था, तो उन्होंने इसके बजाय भारत शब्द का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था. अब जब हम 'जय संविधान' अभियान चला रहे हैं, तो वे फिर से लोगों का ध्यान बेरोजगारी और महंगाई से हटाने की कोशिश कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय चुनावों के दौरान हमारे नेता राहुल गांधी ने 'संविधान बचाओ' अभियान चलाया, जिससे दलित मतदाता दूर हो गए और भाजपा को कड़ी चोट पहुंची. अब वे हमें बदनाम करने के लिए इस तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। लेकिन मतदाता सब कुछ देख सकते हैं. कांग्रेस नेता महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, बिहार और तमिलनाडु सहित आठ राज्यों में संविधान और उसकी भूमिका को उजागर करने की योजना का जिक्र कर रहे थे.

एआईसीसी सचिव बीएम संदीप कुमार के अनुसार, कोई भी यह नहीं कह रहा था कि आपातकाल अच्छा था, लेकिन इसे विपक्ष की ओर से तत्कालीन निर्वाचित सरकार के लिए गंभीर खतरे के तहत लागू किया गया था. इसके अलावा, कुमार ने कहा कि यह कदम संविधान द्वारा ही उठाया गया था और 1977 में इसे सामान्य चुनावों से बदल दिया गया. सदन में आपातकाल पर अध्यक्ष के प्रस्ताव के बाद, विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर अपनी निराशा व्यक्त करने के लिए इंडिया ब्लॉक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था. चुनावों के दौरान विपक्ष ने आरोप लगाया था कि एनडीए सरकार द्वारा संविधान और संवैधानिक एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है, जिसने पिछले एक दशक में 'अघोषित आपातकाल' लागू किया है.

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Last Updated : Jul 12, 2024, 10:37 PM IST
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