नई दिल्ली : कांग्रेस प्रबंधकों ने सोमवार को तब राहत की सांस ली जब वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने आलाकमान को बताया कि वह कहीं नहीं जा रहे हैं. मध्य प्रदेश के प्रभारी एआईसीसी महासचिव जितेंद्र सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि 'कमलनाथ एक अनुभवी नेता हैं जो दशकों से गांधी परिवार के करीबी रहे हैं. उन्होंने विभिन्न क्षमताओं में पार्टी के लिए बहुत योगदान दिया और वह कांग्रेस की विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध हैं. मुझे नहीं लगता कि वह कहीं जा रहे हैं.'
एआईसीसी पदाधिकारी की टिप्पणी उन खबरों पर मीडिया के साथ-साथ पार्टी के भीतर कई दिनों की गहन अटकलों के बाद आई है कि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ कांग्रेस से नाराज हैं और अपने बेटे छिंदवाड़ा सीट से लोकसभा सांसद नकुलनाथ के साथ भाजपा में शामिल होने की योजना बना रहे हैं. यह भी आशंका थी कि कमलनाथ अपने साथ कई विधायकों और वरिष्ठ नेताओं को ले जाएंगे.
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, लोकसभा चुनाव से पहले कमलनाथ के पार्टी छोड़ने की खबरों से पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे चिंतित हो गए थे, जिन्होंने संकट प्रबंधकों से इस मुद्दे को हल करने के लिए कहा था. इसके बाद पिछले 24 घंटों में कांग्रेस के संकटमोचकों और कमलनाथ के बीच पर्दे के पीछे बातचीत का सिलसिला चला.
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, हाल ही में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के भाजपा से हारने के बाद कमलनाथ इस बात से नाराज थे कि उनकी जगह युवा जीतू पटवारी को राज्य इकाई का नया प्रमुख बना दिया गया.
इसके अलावा, जब अनुभवी ने कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी के सामने अपना मामला रखा तो उन्हें राज्यसभा सीट से वंचित कर दिया गया. दिग्गज यह भी आश्वासन चाहते थे कि उनके गढ़ छिंदवाड़ा से लोकसभा टिकट फिर से उनके बेटे नकुलनाथ को दिया जाएगा, जिन्होंने कुछ दिन पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने बायो से कांग्रेस का जिक्र हटा दिया था.
एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, 'कमलनाथ को साफ संदेश दे दिया गया कि किसी भी पद या पार्टी टिकट के लिए कोई बातचीत नहीं की जाएगी. कमलनाथ से यह भी कहा गया कि अगर उनके बेटे नकुलनाथ भाजपा में शामिल हुए तो यह ठीक नहीं होगा और पूर्व मुख्यमंत्री वफादारी का हवाला देकर कांग्रेस में बने रहे.'
उन्होंने कहा कि 'इसके अलावा कमलनाथ के भाजपा में शामिल होने की संभावना से राज्य में भगवा पार्टी के नेताओं में काफी नाराजगी होगी. वह राज्य में मजबूत भाजपा के लिए कोई बड़ा लाभ नहीं होगा.' राज्य स्तर पर, कमलनाथ को अपने समर्थक और वरिष्ठ नेता सज्जन सिंह वर्मा को सार्वजनिक रूप से इस बात से इनकार करने के लिए तैनात करने के लिए कहा गया था कि पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस में थे. वर्मा ने कमलनाथ से मुलाकात की और आवश्यक कार्रवाई की.
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार 2018 में मुख्यमंत्री रहे कमलनाथ 2019 के राष्ट्रीय चुनावों में कांग्रेस के लिए अच्छा प्रदर्शन सुनिश्चित नहीं कर सके, जिसमें भाजपा ने मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से 28 सीटें जीतीं. कमलनाथ केवल एक लोकसभा सीट छिंदवाड़ा जीतने में कामयाब रहे, जहां से उनके बेटे नकुलनाथ कांग्रेस के उम्मीदवार थे.
पूरे प्रदेश में सकारात्मक संदेश देने के लिए आलाकमान ने अब 20 फरवरी को राजधानी भोपाल में पार्टी के सभी विधायकों और वरिष्ठ नेताओं की बैठक बुलाई है और इसमें कमलनाथ को भी शामिल होने के लिए कहा है. जितेंद्र सिंह ने कहा कि 'हम आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर चर्चा करेंगे. इस बार हम संसदीय चुनाव को एकतरफा नहीं होने देंगे. कांग्रेस अच्छे उम्मीदवार उतारेगी और हम निश्चित रूप से अपनी संख्या में सुधार करेंगे.'