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'बागी विधायकों के साथ बातचीत से झारखंड संकट जल्द सुलझने की उम्मीद' - Jharkhand rebel MLA

Congress Jharkhand crisis : कांग्रेस नेताओं को उम्मीद है कि झारखंड संकट जल्द ही सुलझ जाएगा. दरअसल नाराज झारखंड कांग्रेस के 12 में से करीब आठ विधायक पिछले कुछ दिनों से राष्ट्रीय राजधानी में डेरा डाले हुए हैं. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता अमित अग्निहोत्री की रिपोर्ट.

Congress Jharkhand crisis
झारखंड संकट
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 20, 2024, 4:50 PM IST

नई दिल्ली: कांग्रेस प्रबंधकों को उम्मीद है कि झारखंड संकट जल्द ही सुलझ जाएगा और उन्होंने बागी विधायकों से कहा है कि मंत्री पद की नियुक्तियां नहीं बदली जाएंगी लेकिन उनकी अन्य मांगों पर ध्यान दिया जाएगा.

गठबंधन सरकार में पार्टी कोटे से सभी चार मंत्रियों को दोबारा मंत्री बनाए जाने से नाराज झारखंड कांग्रेस के 12 में से करीब आठ विधायक पिछले कुछ दिनों से राष्ट्रीय राजधानी में डेरा डाले हुए हैं.

एआईसीसी के झारखंड प्रभारी महासचिव गुलाम अहमद मीर ने ईटीवी भारत से कहा कि 'मैंने उनमें से प्रत्येक से बात की है. बातचीत अभी भी चल रही है. हमें उम्मीद है कि उनके मुद्दे जल्द ही सुलझ जाएंगे और विधायक घर लौट सकेंगे.'

18 फरवरी को आलाकमान ने मध्य प्रदेश कांग्रेस विधायक दल के नेता उमंग सिंघार, एक आदिवासी नेता और झारखंड के प्रभारी पूर्व एआईसीसी सचिव को बागी विधायकों के साथ बातचीत करने के लिए दिल्ली जाने के लिए कहा था.

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, सिंघार ने विद्रोहियों के साथ कई दौर की चर्चा की है और उनमें से अधिकांश को एआईसीसी के दृष्टिकोण के बारे में समझाने में सफल रहे हैं.

एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, 'अधिकांश विधायकों ने आलाकमान की स्थिति को समझ लिया है लेकिन एक-दो विधायक अभी भी अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं. उनसे बातचीत चल रही है.'

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, बागी विधायकों को स्पष्ट रूप से बताया गया है कि इस समय मंत्री पद पर कोई बदलाव संभव नहीं है क्योंकि झारखंड विधानसभा सत्र 23 फरवरी से शुरू हो रहा है.

एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, 'उन्हें बताया गया कि चंपई सोरेन सरकार कठिन राजनीतिक परिस्थिति में बनी है और एक बार मंत्रियों के शपथ लेने के बाद उन्हें रातोरात बदलना संभव नहीं होगा. झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन सरकार को सत्र के दौरान और सरकार के बचे एक साल के दौरान भी एकजुटता दिखानी होगी. फिर लोकसभा चुनाव भी नजदीक आ रहे हैं. हालांकि, आलाकमान उनकी अन्य मांगों जैसे पार्टी में कुछ नियुक्तियां और विभिन्न सरकारी बोर्डों और निगमों के लिए कुछ नामांकन को उचित समय पर संबोधित करने के लिए तैयार है.'

सत्तारूढ़ गठबंधन के पास 81 सदस्यीय सदन में झामुमो के 29, कांग्रेस के 17 और राजद के एक सहित 47 विधायक हैं. पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को हाल ही में कथित भ्रष्टाचार के एक मामले में ईडी द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री चुना गया था. कांग्रेस और झामुमो दोनों विधायकों को भाजपा के अवैध शिकार के प्रयासों से सुरक्षित करने के लिए हैदराबाद ले जाना पड़ा.

बागी विधायक मांग कर रहे हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस कोटे से चार मंत्रियों आलमगीर आलम, रामेश्वर ओरांव, बन्ना गुप्ता और बादल पत्रलेख की जगह नए चेहरों को लाया जाए. आलम सीएलपी नेता भी हैं.

बागी विधायक मांग कर रहे हैं कि कांग्रेस को एक और मंत्री पद की मांग करनी चाहिए, एक व्यक्ति एक पद नियम लागू करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नए मंत्री आदिवासी राज्य के विभिन्न प्रभागों का प्रतिनिधित्व करें.

दिल्ली में डेरा डाले आठ बागी विधायकों में से एक ने कहा, 'अभी तक बातचीत सही दिशा में चल रही है. हमें जल्द ही समाधान की उम्मीद है. हमने लिखित रूप से और उचित कारणों के साथ अपनी मांगें आलाकमान को दे दी हैं. समस्याओं से आलाकमान भी वाकिफ है. मंत्रियों के कामकाज को लेकर राज्य इकाई प्रमुख की टिप्पणियां सार्वजनिक हो चुकी हैं. यदि हम समान मंत्रियों के साथ चुनाव में जाते हैं, तो इससे पार्टी की संभावनाओं को नुकसान होगा. अब नये चेहरों को लाने का समय आ गया है.'

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गठबंधन सरकार में पार्टी कोटे से सभी चार मंत्रियों को दोबारा मंत्री बनाए जाने से नाराज झारखंड कांग्रेस के 12 में से करीब आठ विधायक पिछले कुछ दिनों से राष्ट्रीय राजधानी में डेरा डाले हुए हैं.

एआईसीसी के झारखंड प्रभारी महासचिव गुलाम अहमद मीर ने ईटीवी भारत से कहा कि 'मैंने उनमें से प्रत्येक से बात की है. बातचीत अभी भी चल रही है. हमें उम्मीद है कि उनके मुद्दे जल्द ही सुलझ जाएंगे और विधायक घर लौट सकेंगे.'

18 फरवरी को आलाकमान ने मध्य प्रदेश कांग्रेस विधायक दल के नेता उमंग सिंघार, एक आदिवासी नेता और झारखंड के प्रभारी पूर्व एआईसीसी सचिव को बागी विधायकों के साथ बातचीत करने के लिए दिल्ली जाने के लिए कहा था.

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, सिंघार ने विद्रोहियों के साथ कई दौर की चर्चा की है और उनमें से अधिकांश को एआईसीसी के दृष्टिकोण के बारे में समझाने में सफल रहे हैं.

एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, 'अधिकांश विधायकों ने आलाकमान की स्थिति को समझ लिया है लेकिन एक-दो विधायक अभी भी अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं. उनसे बातचीत चल रही है.'

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, बागी विधायकों को स्पष्ट रूप से बताया गया है कि इस समय मंत्री पद पर कोई बदलाव संभव नहीं है क्योंकि झारखंड विधानसभा सत्र 23 फरवरी से शुरू हो रहा है.

एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, 'उन्हें बताया गया कि चंपई सोरेन सरकार कठिन राजनीतिक परिस्थिति में बनी है और एक बार मंत्रियों के शपथ लेने के बाद उन्हें रातोरात बदलना संभव नहीं होगा. झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन सरकार को सत्र के दौरान और सरकार के बचे एक साल के दौरान भी एकजुटता दिखानी होगी. फिर लोकसभा चुनाव भी नजदीक आ रहे हैं. हालांकि, आलाकमान उनकी अन्य मांगों जैसे पार्टी में कुछ नियुक्तियां और विभिन्न सरकारी बोर्डों और निगमों के लिए कुछ नामांकन को उचित समय पर संबोधित करने के लिए तैयार है.'

सत्तारूढ़ गठबंधन के पास 81 सदस्यीय सदन में झामुमो के 29, कांग्रेस के 17 और राजद के एक सहित 47 विधायक हैं. पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को हाल ही में कथित भ्रष्टाचार के एक मामले में ईडी द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री चुना गया था. कांग्रेस और झामुमो दोनों विधायकों को भाजपा के अवैध शिकार के प्रयासों से सुरक्षित करने के लिए हैदराबाद ले जाना पड़ा.

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बागी विधायक मांग कर रहे हैं कि कांग्रेस को एक और मंत्री पद की मांग करनी चाहिए, एक व्यक्ति एक पद नियम लागू करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नए मंत्री आदिवासी राज्य के विभिन्न प्रभागों का प्रतिनिधित्व करें.

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