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बजट 2024: सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस को मिला एक और मुद्दा, संघवाद का लिया सहारा - Congress Budget 2024 - CONGRESS BUDGET 2024

Congress Budget 2024: केंद्रीय बजट 2024 में भेदभाव का आरोप लगाकर कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं. कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल के रूप में बजट विरोधी प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रही है, जबकि समान विचारधारा वाले दल भी उसका समर्थन कर रहे हैं.

Congress Budget 2024
कांग्रेस (File Photo)
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By Amit Agnihotri

Published : Jul 24, 2024, 7:13 PM IST

नई दिल्ली: कांग्रेस संसद में खुद को मुख्य विपक्षी दल के रूप में पेश करने और केंद्रीय वित्त के वितरण को लेकर क्षेत्रीय दलों का समर्थन जुटाकर इंडिया गठबंधन में एकता को बढ़ावा देने के लिए बजटीय आवंटन में संघवाद के उल्लंघन को उजागर कर रही है. पिछले कुछ महीनों में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, दिल्ली और पंजाब जैसे कई राज्यों ने केंद्र सरकार द्वारा राजस्व के वितरण में अपना उचित हिस्सा नहीं मिलने पर चिंता जताई है, जहां विपक्ष दलों की सरकार है.

केंद्रीय बजट 2024-25 ने कांग्रेस और विपक्ष को संसद में संघवाद के उल्लंघन का मुद्दा उठाने का एक और मौका दिया. राज्यसभा में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में राहुल गांधी अब यह मुद्दा उठा सकते हैं. मंगलवार 23 जुलाई को बजट पेश होने के बाद से खड़गे और राहुल दोनों ने वित्तीय आवंटन पर अपनी टिप्पणियों के लिए संघवाद के सिद्धांत का सहारा लिया है. उनका कहना है कि एनडीए सरकार ने जानबूझकर बजट में विपक्ष शासित राज्यों की अनदेखी की, जबकि आंध्र प्रदेश और बिहार के लिए अपने खजाने खोल दिए, क्योंकि इन राज्यों में एनडीए के दो प्रमुख सहयोगी दलों टीडीपी और जेडीयू-बीजेपी गठबंधन की सरकार है.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक से एमएलसी बीके हरि प्रसाद ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि उन्होंने (मोदी सरकार) सत्ता में बने रहने के लिए बिहार और आंध्र प्रदेश को भारी धनराशि दी है. सहयोगी दलों ने उनसे भारी मांग की थी और उन्होंने सरकार इसके लिए बाध्य किया. सरकार के लिए कर्नाटक, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों की ऐसी मांगों को नजरअंदाज करना आसान था, जो जीएसटी और अन्य टैक्स के रूप में केंद्रीय कोष में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं, लेकिन बदले में उन्हें बहुत कम मिलता है.

उन्होंने आगे कहा कि कई बार राज्य सरकारें प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली क्षति से निपटने के लिए केंद्र से अतिरिक्त फंड की मांग करती हैं, जैसा कि कर्नाटक, तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश में हुआ. केंद्र सरकार दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राज्यों की मदद करने के लिए बाध्य है. राज्यों को उनका उचित हिस्सा मिलना चाहिए. यह संविधान के अनुच्छेद 38 और 39 में निहित संघीय सिद्धांत है. लेकिन सरकार अपने तुच्छ राजनीतिक उद्देश्यों के लिए संविधान के खिलाफ जा रहे हैं.

कांग्रेस कार्यसमिति के स्थायी आमंत्रित सदस्य हरि प्रसाद के अनुसार, मुख्य विपक्षी दल के रूप में कांग्रेस द्वारा बजट विरोधी प्रदर्शनों का नेतृत्व करना उचित है, लेकिन समान विचारधारा वाले लोग भी इस पुरानी पार्टी का समर्थन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय दल भी कांग्रेस के रुख का समर्थन कर रहे हैं, क्योंकि यह उनके भी हित में है. साथ ही इन दलों के लिए अपने लोगों की आवाज उठाने का मौका देता है. संघवाद के मुद्दे ने निश्चित रूप से संसद में इंडिया गठबंधन को मजबूत किया है.

बुधवार को, इंडिया गठबंधन के सभी प्रमुख घटक एनसीपी-एसपी, शिवसेना-यूबीटी, डीएमके, टीएमसी, जेएमएम और आप ने एक स्वर में आरोप लगाया कि बजट 2024-25 पक्षपातपूर्ण है.

तेलंगाना कांग्रेस के प्रभारी सचिव रोहित चौधरी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि तेलंगाना के लोगों ने भाजपा को 17 में से 8 लोकसभा सीटें दीं, जो 2019 से चार ज्यादा हैं. फिर भी बजट में राज्य के लिए कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई. मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर अधिक फंड की मांग की थी, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ. केंद्रीय फंड को राज्यों के साथ उनके प्रदर्शन और जरूरत के आधार पर उचित रूप से साझा किया जाना चाहिए.

वहीं, महाराष्ट्र से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि पंजाब, राजस्थान, यूपी और महाराष्ट्र के लिए बजट में कुछ नहीं है. केंद्र सरकार का यह कैसा बदला है? केंद्रीय बजट में किए गए भेदभाव के खिलाफ इंडिया गठबंधन एकजुट है. हम केंद्र के भेदभावपूर्ण और अनुचित रवैये को खारिज करते हैं.

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केंद्रीय बजट 2024-25 ने कांग्रेस और विपक्ष को संसद में संघवाद के उल्लंघन का मुद्दा उठाने का एक और मौका दिया. राज्यसभा में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में राहुल गांधी अब यह मुद्दा उठा सकते हैं. मंगलवार 23 जुलाई को बजट पेश होने के बाद से खड़गे और राहुल दोनों ने वित्तीय आवंटन पर अपनी टिप्पणियों के लिए संघवाद के सिद्धांत का सहारा लिया है. उनका कहना है कि एनडीए सरकार ने जानबूझकर बजट में विपक्ष शासित राज्यों की अनदेखी की, जबकि आंध्र प्रदेश और बिहार के लिए अपने खजाने खोल दिए, क्योंकि इन राज्यों में एनडीए के दो प्रमुख सहयोगी दलों टीडीपी और जेडीयू-बीजेपी गठबंधन की सरकार है.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक से एमएलसी बीके हरि प्रसाद ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि उन्होंने (मोदी सरकार) सत्ता में बने रहने के लिए बिहार और आंध्र प्रदेश को भारी धनराशि दी है. सहयोगी दलों ने उनसे भारी मांग की थी और उन्होंने सरकार इसके लिए बाध्य किया. सरकार के लिए कर्नाटक, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों की ऐसी मांगों को नजरअंदाज करना आसान था, जो जीएसटी और अन्य टैक्स के रूप में केंद्रीय कोष में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं, लेकिन बदले में उन्हें बहुत कम मिलता है.

उन्होंने आगे कहा कि कई बार राज्य सरकारें प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली क्षति से निपटने के लिए केंद्र से अतिरिक्त फंड की मांग करती हैं, जैसा कि कर्नाटक, तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश में हुआ. केंद्र सरकार दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राज्यों की मदद करने के लिए बाध्य है. राज्यों को उनका उचित हिस्सा मिलना चाहिए. यह संविधान के अनुच्छेद 38 और 39 में निहित संघीय सिद्धांत है. लेकिन सरकार अपने तुच्छ राजनीतिक उद्देश्यों के लिए संविधान के खिलाफ जा रहे हैं.

कांग्रेस कार्यसमिति के स्थायी आमंत्रित सदस्य हरि प्रसाद के अनुसार, मुख्य विपक्षी दल के रूप में कांग्रेस द्वारा बजट विरोधी प्रदर्शनों का नेतृत्व करना उचित है, लेकिन समान विचारधारा वाले लोग भी इस पुरानी पार्टी का समर्थन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय दल भी कांग्रेस के रुख का समर्थन कर रहे हैं, क्योंकि यह उनके भी हित में है. साथ ही इन दलों के लिए अपने लोगों की आवाज उठाने का मौका देता है. संघवाद के मुद्दे ने निश्चित रूप से संसद में इंडिया गठबंधन को मजबूत किया है.

बुधवार को, इंडिया गठबंधन के सभी प्रमुख घटक एनसीपी-एसपी, शिवसेना-यूबीटी, डीएमके, टीएमसी, जेएमएम और आप ने एक स्वर में आरोप लगाया कि बजट 2024-25 पक्षपातपूर्ण है.

तेलंगाना कांग्रेस के प्रभारी सचिव रोहित चौधरी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि तेलंगाना के लोगों ने भाजपा को 17 में से 8 लोकसभा सीटें दीं, जो 2019 से चार ज्यादा हैं. फिर भी बजट में राज्य के लिए कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई. मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर अधिक फंड की मांग की थी, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ. केंद्रीय फंड को राज्यों के साथ उनके प्रदर्शन और जरूरत के आधार पर उचित रूप से साझा किया जाना चाहिए.

वहीं, महाराष्ट्र से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि पंजाब, राजस्थान, यूपी और महाराष्ट्र के लिए बजट में कुछ नहीं है. केंद्र सरकार का यह कैसा बदला है? केंद्रीय बजट में किए गए भेदभाव के खिलाफ इंडिया गठबंधन एकजुट है. हम केंद्र के भेदभावपूर्ण और अनुचित रवैये को खारिज करते हैं.

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