नई दिल्ली: संसद में संविधान बनाम अपातकाल की गूंज सुनाई पड़ रही है. विपक्ष संविधान के मुद्दे पर बार-बार सरकार पर आरोप लगा रहा है, वहीं दोबारा लोकसभा अध्यक्ष चुने जाने के बाद ओम बिरला ने सदन में अपातकाल पर प्रस्ताव लाकर सभी को चौंका दिया. इतना ही नहीं, लोकसभा में अपातकाल पर दो मिनट का मौन भी रखा गया. जिसपर कांग्रेस सांसदों ने खूब हंगामा किया.
आंकड़े भले उम्मीद से कम आए हैं पर सरकार के तेवर आक्रामक हैं. 18वीं लोकसभा के अध्यक्ष का चुनाव होने के तुरंत बाद जैसे ही सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रियों का परिचय कराया, उसके बाद स्पीकर ओम बिरला ने 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल की निंदा करते हुए प्रस्ताव पढ़ा. शुरुआत में तो कांग्रेस समझ ही नहीं पाई, मगर जब मौन खत्म हुआ तो कांग्रेस के सांसद विरोध में नारेबाजी करने लगे.
यही नहीं स्पीकर चुनाव में भी इंडिया गठबंधन की पार्टियों के बीच वोटिंग को लेकर एकरूपता नजर नहीं आई. इस पर सत्तापक्ष का कहना है कि यह इंडिया गठबंधन की पार्टियों के बीच फूट की शुरुआत है. ईटीवी भारत से बात करते हुए भाजपा के राज्यसभा सांसद नरेश बंसल ने कहा कि जिस तरह से स्पीकर के चुनाव में कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों को मुंह की खानी पड़ी, उससे संसदीय व्यवस्था में उनका ही मजाक बना.
उन्होंने कहा कि आंकड़े नहीं होते हुए भी इंडिया गठबंधन ने लोकसभा अध्यक्ष के लिए उम्मीदवार खड़े किए. यही नहीं, सत्ताधारी पार्टी के उम्मीदवार की जीत हुई उसके बाद कांग्रेस ने परंपरा का निर्वहन किया, लेकिन उनके ही गठबंधन की पार्टियों ने कुछ और बयानबाजी की. जिसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि इंडिया गठबंधन की सभी पार्टियां एकमत नहीं हैं और न ही कभी होंगी.
लोकसभा अध्यक्ष पर सरकार आम सहमति बनाने में क्या फेल हुई. इस सवाल पर उन्होंने कहा कि सरकार ने सहमति बनाने के लिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश की लेकिन विपक्ष को यह मंजूर नहीं था और परंपरा के खिलाफ जाकर उन्होंने उम्मीदवार खड़े किए.
कांग्रेस की तरफ से आपातकाल पर दो मिनट का मौन और स्पीकर की तरफ से लाए गए प्रस्ताव का विरोध करने पर उन्होंने कहा कि अपातकाल आजाद भारत के इतिहास का काला पन्ना है, जिसका दंश सैकड़ों लोगों ने झेला था. अपातकाल के दौरान जिन लोगों ने जानें गंवाई थीं, उनके लिए दो मिनट का मौन रखा गया तो इसमें विरोध की क्या बात है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की ही पूर्व नेता इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाई थी, जिसमें लोगों की जानें भी गई थीं.
बहरहाल संसद में आज जो कुछ भी हुआ यह विपक्ष के लिए चौंकाने वाला विषय जरूर था. मगर कहीं न कहीं सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि भले ही नंबर कम हों, लेकिन सरकार अपने आक्रामक रुख पर कायम रहेगी.
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