रांचीः 15 नवंबर 2000 को बिहार से अलग होकर 28वें राज्य के रुप में भारत के मानचित्र पर उभरे झारखंड ने 24 वर्ष के सफर में कई उतार चढ़ाव देखे. खासकर, राजनीति के मैदान में झारखंड को पैर जमाने में 14 वर्ष लग गये.
पहली बार साल 2014 में रघुवर दास के नेतृत्व में बहुमत की सरकार बनी. जेवीएम के छह विधायकों के शामिल होने पर भाजपा ने अपने बूते बहुमत के 41 का आंकड़ा पूरा कर लिया. इसकी बदौलत पहली बार किसी सरकार ने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया. 2019 के चुनाव परिणाम से लगा था कि हेमंत सोरेन भी पांच साल का कार्यकाल पूरा कर लेंगे.
क्योंकि झामुमो, कांग्रेस और राजद के गठबंधन को बहुमत मिला था. लेकिन 31 जनवरी 2024 को जमीन घोटाला मामले में जेल जाने की वजह से हेमंत सोरेन का पांच साल का कार्यकाल पूरा करने का सपना अधूरा रह गया. इसके बावजूद हेमंत सोरेन ने झारखंड की राजनीति में ऐसे दो रिकॉर्ड बनाए हैं जो इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गये हैं.
सीएम हेमंत ने बनाए दो कीर्तिमान
झारखंड बनने के बाद पिछले 24 वर्षों में झारखंड ने कुल 12 मुख्यमंत्री देखे हैं. इनमें हेमंत सोरेन पहले ऐसा नेता हैं जिनको सबसे ज्यादा समय तक सीएम की कुर्सी पर बैठने का मौका मिला. 23 नवंबर 2024 को सीएम की कुर्सी पर बैठने की अवधि 5 साल और 11 माह हो जाएगी. यह अलग बात है कि बहुमत के बावजूद पांच साल का कार्यकाल पूरा करने का रघुवर दास का रिकॉर्ड नहीं तोड़ पाए. लेकिन एक रिकॉर्ड से चूककर नया रिकॉर्ड बनाने में सफल रहे.
दरअसल, हेमंत सोरेन ऐसे तीसरे नेता हैं जो अलग-अलग समय में तीन बार सीएम की कुर्सी पर बैठे हैं. हेमंत सोरेन से पहले उनके पिता सह झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन और भाजपा नेता अर्जुन मुंडा अलग-अलग समय पर तीन-तीन बार सीएम रह चुके हैं.
पहली बार कांग्रेस के समर्थन से उन्होंने 13 जुलाई 2013 को सीएम की कुर्सी संभाली थी. उन्हीं के सीएम रहते चतुर्थ झारखंड विधानसभा का चुनाव हुआ था. लेकिन बहुमत नहीं मिलने पर 13 दिसंबर 2014 को उन्हें सीएम पद छोड़ना पड़ा.
2019 में बहुमत आने पर हेमंत सोरेन दोबारा 29 दिसंबर को सीएम बने लेकिन गिरफ्तारी की वजह से 31 जनवरी 2024 को पद छोड़ना पड़ा. फिर पांच माह जेल में रहने के दौरान 28 जून को बेल मिलने पर उन्होंने 4 जुलाई 2024 को तीसरी बार सीएम की कुर्सी संभाली. अगर 23 नवंबर को चुनावी नतीजे उनके पक्ष में आते हैं तो हेमंत सोरेन के नाम ना सिर्फ सबसे ज्यादा समय तक सीएम बनने का बल्कि चौथी बार सीएम बनने का कीर्तिमान भी जुड़ जाएगा.
हेमंत सोरेन का जीवन परिचय
हेमंत सोरेन का जन्म बिहार (अब झारखंड में) के रामगढ़ जिला के नेमरा में हुआ है. माता रूपी सोरेन और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के वे दूसरे पुत्र हैं. हेमंत के दो भाई और एक बहन हैं. उनकी शैक्षणिक योग्यता पटना हाई स्कूल, पटना, बिहार से इंटरमीडिएट है. चुनाव आयोग के समक्ष दायर हलफनामे के अनुसार हेमंत सोरेन ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीआईटी मेसरा, रांची में दाखिला लिया लेकिन उन्होंने अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ दी.
सियासी सफर
हेमंत सोरेन ने 2003 में छात्र राजनीति में कदम रखा. 2005 के विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन दुमका विधानसभा सीट से जेएमएम के अधिकृत प्रत्याशी के रूप में उतरे लेकिन उन्हें शिबू सोरेन के पुराने साथी स्टीफन मरांडी ने हरा दिया. दुमका विधानसभा सीट से स्टीफन मरांडी जेएमएम के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ते और जीतते रहे. 2005 में पार्टी ने स्टीफन मरांडी की जगह हेमंत सोरेन को उतारा. इसी वजह से स्टीफन मरांडी बागी होकर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतर गए, जिसमें उनकी जीत हुई.
2009 में दर्ज की पहली जीत
साल 2009 में हेमंत सोरेन के बड़े भाई दुर्गा सोरेन का निधन हो गया. इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने पहली बार दुमका विधानसभा सीट से जीत दर्ज की. उस समय हेमंत राज्यसभा सदस्य थे. झारखंड विधानसभा चुनाव में जीत के बाद उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. 2010 में बीजेपी और जेएमएम के गठबंधन से बनी सरकार में हेमंत सोरेन उपमुख्यमंत्री बने.
पुरस्कार एवं सम्मान
हेमंत सोरेन को झारखंड राज्य के दुमका और बरहेट निर्वाचन क्षेत्र के लिए उनके असाधारण कार्य के लिए 2019 में चैंपियंस ऑफ चेंज अवार्ड से सम्मानित किया गया था. यह पुरस्कार 20 जनवरी 2020 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा प्रदान किया गया.
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