नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने मंगलवार को दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और उन्हें राज्य की वित्तीय स्थिति से अवगत कराया. यह मुलाकात अमित शाह के आवास पर हुई. बैठक के बाद एक्स पर एक पोस्ट में सीएम नायडू ने कहा, 'नई दिल्ली में मैंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाहजी से मुलाकात की और उन्हें पिछले पांच वर्षों में आंध्र प्रदेश की भयावह वित्तीय स्थिति से अवगत कराया.'
Today in New Delhi, I met with the Hon'ble Union Home Minister, Shri @AmitShah Ji, to apprise him of the devastating condition of finances that Andhra Pradesh had slipped into over the past five years. I also discussed the findings of the four White Papers released, outlining the… pic.twitter.com/xDrcOZR1jO
— N Chandrababu Naidu (@ncbn) July 16, 2024
सीएम नायडू ने कहा, 'मैंने जारी किए गए चार श्वेत पत्रों के निष्कर्षों पर भी चर्चा की. इसमें वित्त वर्ष 2019-24 के बीच जमा हुए चौंका देने वाले कर्ज को रेखांकित किया गया है. इसमें हमारे राज्य के वित्त को नियंत्रण से बाहर कर दिया है. पिछली सरकार की आर्थिक अक्षमता, घोर कुप्रबंधन और बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार ने हमारे राज्य को अपूरणीय क्षति पहुंचाई है.'
उन्होंने कहा, 'हमारे लोगों द्वारा एनडीए को दिए गए जनादेश का सम्मान करते हुए, केंद्र और राज्य सरकारें एक व्यापक सुधार योजना तैयार करेंगी और हमारे राज्य की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाएंगी. हम लोगों की आकांक्षाओं को मिलकर पूरा करेंगे.' इससे पहले, आंध्र के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने सोमवार को पूर्ववर्ती जगन मोहन रेड्डी सरकार पर अपने कार्यकाल के दौरान प्राकृतिक संसाधनों की लूट, मुकदमेबाजी शुरू करने और राज्य में भूमि और खनिजों का दोहन करने का आरोप लगाया.
उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके प्रशासन के तहत जंगलों की कटाई की गई. उन्होंने कहा, 'हमने उनके भ्रष्टाचार के रिकॉर्ड की पहचान की है.' इससे पहले 9 जुलाई को मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली आंध्र प्रदेश सरकार ने अपने बिजली क्षेत्र पर एक श्वेतपत्र जारी किया. इसमें इसकी स्थिति पर चर्चा की गई तथा जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती सरकार के खिलाफ आरोप लगाए गए.
श्वेतपत्र के अनुसार उपभोक्ताओं पर बिजली शुल्क का बोझ अभूतपूर्व रूप से बढ़ गया, राज्य बिजली उपयोगिताओं का कर्ज बढ़ गया. साथ ही अकुशल शासन के चलते राजस्व का नुकसान हुआ. आंध्र प्रदेश बिजली उपयोगिताओं का कुल ऋण 2018-19 में 62,826 करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में 112,422 करोड़ रुपये हो गया, जो 49,596 करोड़ रुपये या 79 प्रतिशत की वृद्धि है.
श्वेतपत्र में यह भी आरोप लगाया गया है कि निवेशकों का विश्वास खत्म हो गया है और आंध्र प्रदेश की ब्रांड छवि खराब हुई है. श्वेतपत्र में कहा गया है कि रेड्डी सरकार के दौरान घरेलू उपभोक्ताओं के लिए औसत टैरिफ 3.87 रुपये प्रति यूनिट से बढ़कर 5.63 रुपये प्रति यूनिट हो गया, जो 45 प्रतिशत की वृद्धि है.
इसमें यह भी कहा गया है कि ताप विद्युत संयंत्रों के चालू होने में देरी के कारण कुल 12,818 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ा है. इसमें विशेष रूप से पोलावरम जलविद्युत परियोजना के चालू होने में देरी का उल्लेख किया गया है.