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ये है स्वर्ण दूध देने वाली दुनिया की सबसे छोटी गाय, कद केवल ढाई फीट - world smallest punganur cow

पुंगनूर गाय भारत की एक दुर्लभ और प्राचीन गाय की नस्ल है, जो धीरे-धीरे विलुप्त हो रही है. कम संख्या में होने के कारण ये गाय 1 से 10 लाख रुपये में बिकती है. कई बार तो इसकी कीमत और ज्यादा होती है. इस गाय का इतिहास 2000 साल से भी ज्यादा पुराना है. वैसे इसका उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है.

WORLD SMALLEST PUNGANUR COW
'स्वर्ण युक्त दूध देती है पुंगनूर गाय'
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 31, 2024, 9:22 AM IST

छिंदवाड़ा। पुंगनूर गाय को दुनिया की सबसे छोटी गाय होने का रुतबा हासिल है. खास ये है कि पपी की तरह इस गाय को घर के भीतर ही रखा जा सकता है. कुल ढाई फीट की इस गाय की खासियत केवल इसका छोटा कद ही नहीं है बल्कि इस गाय के दूध में कई औषधीय गुण हैं. इसके दूध को स्वर्णयुक्त दूध के तौर पर जाना जाता है. यह गाय आंध्र प्रदेश के चित्तुर जिले के पुंगनूर शहर में पाई जाती है और इसी शहर के नाम पर इस गाय का नाम रखा गया है. जिसका प्राचीन इतिहास है. इस गाय की कीमत लाखों में तो है ही साथ ही अब यह गाय उत्तर और मध्यभारत के हिस्सो में भी पहुंच रही है.

कच्चीढाना गांव पहुंचा पुंगनूर गाय का जोड़ा

पांढुर्णा के कच्चीढाना गांव में मैगनीज खदान से जुड़े संजीव खंडेलवाल गाय और बैल का जोड़ा आंध्र प्रदेश के कन्नूर जिले से खरीद कर लाए हैं. उन्होंने बताया कि गाय और बैल का जोड़ा 2 लाख 80 हजार रुपये में मिला. महाशिवरात्रि के दिन गांव पहुंचे गाय और बैल के जोड़े की खबर जैसे ही इलाके में लोगों को पता चली, लोग इन्हें देखने के लिए तब से हर दिन पहुंच रहे हैं.

world smallest punganur cow
दुनिया की सबसे छोटी पुंगनूर गाय

पपी की तरह घर में ही पाल सकते हैं गाय

दुनिया की सबसे छोटी गाय की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे घर के भीतर ही पपी की तरह पाल सकते हैं. आमतौर पर आजकल घर में पपी पालने का ज्यादा चलन बढ़ गया है, लेकिन उसके फायदे कम और नुकसान ज्यादा होते हैं. पुंगनूर गाय घर में पालने से वास्तु शास्त्र के हिसाब से भी शुभ मानी जाती है और इसके कई फायदे भी होते हैं. सनातन धर्म के अनुसार भी गाय में देवी देवताओं का वास होता है इसलिए घर में पालने के लिए इसे शुभ माना जाता है. इनका कद छोटा महज ढाई फीट होने की वजह से यह आसानी से घर के भीतर किचन से लेकर बेडरूम तक आसानी से कहीं पर भी एडजस्ट हो जाती हैं.

gold milk cow punganur
स्वर्ण दूध देने वाली पुंगनूर गाय

'स्वर्ण युक्त दूध देती है पुंगनूर गाय'

पशु चिकित्सक डॉक्टर सुरेंद्र चौकसे ने बताया कि "पुंगनूर गाय की हाइट ढाई फीट तक ही होती है. यह आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले की प्रजाति है, जो अब धीरे-धीरे उत्तर भारत और मध्य भारत में भी लाई जा रही है. खास बात यह है कि इसके दूध में स्वर्ण पाया जाता है जो सेहत के लिए बेहद लाभकारी है. इसके साथ ही पुंगनूर गाय के दूध में आठ फीसदी तक फैट पाया जाता है जबकि आमतौर पर दूसरी गायों में यह तीन से चार फीसदी होता है. इस गाय का मूत्र भी बिकता है जिसे लोग एंटी वैक्टीरियल गुण होने के कारण किसान अपने खेतों में कीटनाशक के रूप में उपयोग करते हैं".

विलुप्त हो रही है पुंगनूर गाय की प्रजाति

पुंगनूर गाय की प्रजाति विलुप्त होने की कगार पर है. कम संख्या में होने के कारण इसकी कीमत लाखों में है. पुंगनूर गाय का उल्लेख ऋृगवेद में भी मिलता है. यह गाय आंध्र प्रदेश के चित्तुर जिले के पुंगनूर शहर में पाई जाती है और इसी शहर के नाम पर इस गाय का नाम रखा गया है जिसका प्राचीन इतिहास है. इस गाय की कीमत एक से दस लाख रुपये के आसपास बताई जाती है.

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'तिरुपति बालाजी में लगता है पुंगनूर गाय के दूध का भोग'

कच्चीढाना गांव में पुंगनूर गाय की देखभाल करने वाले अंगद ठाकुर ने बताया कि "शिवरात्रि के दिन ही इन गायों को गांव में लाया गया है तब से ही गाय अपनी देसी गायों के साथ आसानी से सरवाइव कर रही है. किसी तरीके से कोई परेशानी नहीं है. शुरुआत में गाय करीब आधा लीटर ही दूध दे रही थी लेकिन अब डेढ़ से 2 लीटर दूध प्रतिदिन दे रही है. जब पुंगनूर गाय खरीदने पहुंचे थे तो वहां के लोगों ने बताया कि तिरुपति बालाजी में भी इन्हीं गायों के दूध का भोग लगाया जाता है. अभी धीरे-धीरे विलुप्त हो रही थी लेकिन अब इन्हें संरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है.".

छिंदवाड़ा। पुंगनूर गाय को दुनिया की सबसे छोटी गाय होने का रुतबा हासिल है. खास ये है कि पपी की तरह इस गाय को घर के भीतर ही रखा जा सकता है. कुल ढाई फीट की इस गाय की खासियत केवल इसका छोटा कद ही नहीं है बल्कि इस गाय के दूध में कई औषधीय गुण हैं. इसके दूध को स्वर्णयुक्त दूध के तौर पर जाना जाता है. यह गाय आंध्र प्रदेश के चित्तुर जिले के पुंगनूर शहर में पाई जाती है और इसी शहर के नाम पर इस गाय का नाम रखा गया है. जिसका प्राचीन इतिहास है. इस गाय की कीमत लाखों में तो है ही साथ ही अब यह गाय उत्तर और मध्यभारत के हिस्सो में भी पहुंच रही है.

कच्चीढाना गांव पहुंचा पुंगनूर गाय का जोड़ा

पांढुर्णा के कच्चीढाना गांव में मैगनीज खदान से जुड़े संजीव खंडेलवाल गाय और बैल का जोड़ा आंध्र प्रदेश के कन्नूर जिले से खरीद कर लाए हैं. उन्होंने बताया कि गाय और बैल का जोड़ा 2 लाख 80 हजार रुपये में मिला. महाशिवरात्रि के दिन गांव पहुंचे गाय और बैल के जोड़े की खबर जैसे ही इलाके में लोगों को पता चली, लोग इन्हें देखने के लिए तब से हर दिन पहुंच रहे हैं.

world smallest punganur cow
दुनिया की सबसे छोटी पुंगनूर गाय

पपी की तरह घर में ही पाल सकते हैं गाय

दुनिया की सबसे छोटी गाय की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे घर के भीतर ही पपी की तरह पाल सकते हैं. आमतौर पर आजकल घर में पपी पालने का ज्यादा चलन बढ़ गया है, लेकिन उसके फायदे कम और नुकसान ज्यादा होते हैं. पुंगनूर गाय घर में पालने से वास्तु शास्त्र के हिसाब से भी शुभ मानी जाती है और इसके कई फायदे भी होते हैं. सनातन धर्म के अनुसार भी गाय में देवी देवताओं का वास होता है इसलिए घर में पालने के लिए इसे शुभ माना जाता है. इनका कद छोटा महज ढाई फीट होने की वजह से यह आसानी से घर के भीतर किचन से लेकर बेडरूम तक आसानी से कहीं पर भी एडजस्ट हो जाती हैं.

gold milk cow punganur
स्वर्ण दूध देने वाली पुंगनूर गाय

'स्वर्ण युक्त दूध देती है पुंगनूर गाय'

पशु चिकित्सक डॉक्टर सुरेंद्र चौकसे ने बताया कि "पुंगनूर गाय की हाइट ढाई फीट तक ही होती है. यह आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले की प्रजाति है, जो अब धीरे-धीरे उत्तर भारत और मध्य भारत में भी लाई जा रही है. खास बात यह है कि इसके दूध में स्वर्ण पाया जाता है जो सेहत के लिए बेहद लाभकारी है. इसके साथ ही पुंगनूर गाय के दूध में आठ फीसदी तक फैट पाया जाता है जबकि आमतौर पर दूसरी गायों में यह तीन से चार फीसदी होता है. इस गाय का मूत्र भी बिकता है जिसे लोग एंटी वैक्टीरियल गुण होने के कारण किसान अपने खेतों में कीटनाशक के रूप में उपयोग करते हैं".

विलुप्त हो रही है पुंगनूर गाय की प्रजाति

पुंगनूर गाय की प्रजाति विलुप्त होने की कगार पर है. कम संख्या में होने के कारण इसकी कीमत लाखों में है. पुंगनूर गाय का उल्लेख ऋृगवेद में भी मिलता है. यह गाय आंध्र प्रदेश के चित्तुर जिले के पुंगनूर शहर में पाई जाती है और इसी शहर के नाम पर इस गाय का नाम रखा गया है जिसका प्राचीन इतिहास है. इस गाय की कीमत एक से दस लाख रुपये के आसपास बताई जाती है.

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कच्चीढाना गांव में पुंगनूर गाय की देखभाल करने वाले अंगद ठाकुर ने बताया कि "शिवरात्रि के दिन ही इन गायों को गांव में लाया गया है तब से ही गाय अपनी देसी गायों के साथ आसानी से सरवाइव कर रही है. किसी तरीके से कोई परेशानी नहीं है. शुरुआत में गाय करीब आधा लीटर ही दूध दे रही थी लेकिन अब डेढ़ से 2 लीटर दूध प्रतिदिन दे रही है. जब पुंगनूर गाय खरीदने पहुंचे थे तो वहां के लोगों ने बताया कि तिरुपति बालाजी में भी इन्हीं गायों के दूध का भोग लगाया जाता है. अभी धीरे-धीरे विलुप्त हो रही थी लेकिन अब इन्हें संरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है.".

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