छिंदवाड़ा: जो जिला राजनीति में भोपाल से लेकर दिल्ली तक लाइमलाइट में रहा, वहां पर शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं के क्या हाल हैं, यह तस्वीर बताने के लिए काफी है. जिले में करीब 500 स्कूलों की हालत जर्जर है. कई स्कूलों के बच्चे या तो गौशाला में बैठकर पढ़ने को मजबूर है या फिर रंगमंच का सहारा लिया जा रहा है, ताकि बच्चों को पढ़ाया जा सके.
आदिवासी इलाकों के बुरे हाल, स्कूल बिल्डिंग के लिए हाहाकार
जिले के सरकारी स्कूलों के बुरे हाल हैं. अब तो हालात यह हो गए हैं कि इन स्कूल भवनों में बैठकर पढ़ना भी मुश्किल हो रहा है. तामिया विकासखंड के स्कूलों की बात करें तो यहां के प्राथमिक-माध्यमिक शाला भवन जर्जर होने के कारण अब इनमें कक्षाएं लगाने से मना कर दिया गया है. अब इन कक्षाओं को गौशाला, रंगमंच, आंगनबाड़ी या घरों में लगाया जा रहा है. तामिया विकासखंड के चावलपानी के आसपास के प्राथमिक शालाओं की स्थिति बेहद खराब है. चावलपानी संकुल के अंतर्गत आने वाली प्राथमिक शाला भवनों की स्थिति जर्जर होने के कारण ऐसे हालात बने हैं. प्राथमिक शाला पाठई, टोला रानीकछार, बुड्ढी आमढाना सहित अन्य स्कूलों में ऐसे हालात देखे जा सकते हैं.
कहीं गौशाला कहीं रंगमंच का लिया जा सहारा
प्राथमिक शाला पाठई की बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है. अब इस स्कूल के बच्चों को वृंदावन गौशाला में बैठाकर पढ़ाया जा रहा है. यही हाल टोला रानीकछार के भवन का है यहां पर पिछले दो सालों से भवन जर्जर होने के कारण इसकी कक्षाओं का संचालन रंग-मंच पर किया जा रहा है. ग्राम पंचायत हरकपुरा के प्राथमिक शाला बुट्टी आमढाना में पिछले 2 वर्षों से शाला का संचालन गांव के घरों में किया जा रहा है.
चार साल से दिए जा रहे आवेदन, किसी ने नहीं दिया ध्यान
प्राथमिक शाला पाठई की प्रधान पाठक सरिता बेलवंशी ने बताया कि, ''स्कूल बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है और वह किसी भी वक्त गिर सकती है. क्योंकि पूरी छत से पानी टपकता है, दीवारें प्लास्टर छोड़ चुकी हैं. कभी भी किसी भी प्रकार की घटना घट सकती है.'' प्राथमिक शाला देवगांव खुर्द के शिक्षक हरिशंकर वर्मा का कहना है कि बिल्डिंग कि, ''छत से लगातार पानी टपक रहा है. छत से लोहे की छड़ बाहर निकल कर आ गई है. दीवारों ने प्लास्टर छोड़ दिया है, जिनके कारण शाला का संचालन गांव की ही आंगनबाड़ी केंद्र में कर रहे हैं.''
कछार में स्कूल बिल्डिंग पूरी तरह से क्षतिग्रस्त
प्राथमिक शाला रानी कछार के प्रधानपाठक रमेश बेलवंशी ने बताया कि, ''बिल्डिंग दो वर्ष पहले पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गई है, जिसकी सूचना हमने जन शिक्षा केंद्र में लिखित रूप से आवेदन एवं प्रस्ताव दे दिए हैं. परंतु अभी तक भवन निर्माण की कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई है. ग्रामीणों की मदद से शाला का संचालन रंगमंच में पिछले दो सालों कर रहे हैं.''
जनप्रतिनिधि और अधिकारियों भी सिस्टम के सामने कमजोर साबित
जनपद पंचायत सदस्य देवी पटेल ने बताया कि, ''क्षेत्र में 5 ग्राम पंचायतें आती हैं जिनके अंतर्गत आने वाली जितनी भी प्राथमिक शालाएं हैं, उन सभी की बिल्डिंग जर्जर एवं ध्वस्त हो चुकी हैं. ऐसी स्थिति में स्कूलों का संचालन शिक्षक अपनी व्यवस्था के अनुसार कर रहे हैं. इसकी लिखित रूप से शिकायत जनपद पंचायत तामिया में की है. प्राथमिक शाला है इस बात पर किसी का ध्यान नहीं है.'' तामिया के बीआरसी किशोर पांडे का कहना है कि, ''जर्जर स्कूल भवन होने के कारण ऐसे सरकारी भवन जो सुरक्षित है वहां शालाएं लगाई जा रही हैं. ग्राम पंचायत चांवलपानी में आने वाले स्कूलों में भी यह व्यवस्था की गई है.''