कोटा. छत्तीसगढ़ निवासी कोचिंग छात्र ने 12 फरवरी को कोटा में आत्महत्या कर ली थी. इसके बाद बुधवार को छात्र के परिजन पोस्टमार्टम करवाने के लिए पहुंचे. इस दौरान उन्होंने हॉस्टल के वार्डन और हॉस्टल संचालक को इस पूरी घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया. परिजनों ने आरोप लगाया कि अगर हॉस्टल में सुसाइड रोकने के लिए उचित व्यवस्था होती तो आज उनका बच्चा इस दुनिया में होता. उन्होंने कहा कि अगर छात्र उस दिन रिजल्ट का इंतजार कर रहा था और उसने खाना भी नहीं खाया था. इससे साफ है कि वह तनाव में था. इसके बावजूद भी हॉस्टल के वार्डन ने परिजनों को सूचना नहीं दी. यह लापरवाही हॉस्टल की है. वहीं, जिला कलेक्टर डॉ. रविंद्र गोस्वामी का कहना है कि हॉस्टल के खिलाफ गाइडलाइन की पालना नहीं करने पर कार्रवाई की जाएगी.
हॉस्टल को सीज करे प्रशासन : छात्र के मामा लालाराम प्रताप बुधवार को छत्तीसगढ़ से कोटा पहुंचे थे. उन्होंने मृतक छात्र शुभकुमार चौधरी के पोस्टमार्टम की सहमति दी थी. इसके बाद जवाहर नगर थाना पुलिस ने पोस्टमार्टम करवाया. लालाराम प्रताप ने मीडिया से बातचीत करते हुए हॉस्टल संचालक पर आरोप लगाए. उन्होंने यह भी कहा कि इस हॉस्टल को प्रशासन को तत्काल सीज कर देना चाहिए. साथ इस पूरे मामले की जांच पड़ताल भी करनी चाहिए.
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मां-बाप का इकलौता बेटा था शुभकुमार : उन्होंने आरोप लगाया कि स्टूडेंट कोचिंग नहीं जा रहा था और कोचिंग में उसका ग्राफ नीचे गिर रहा था. तब भी परिजनों को इसकी सूचना नहीं दी गई. ऐसा होता तो परिजन बच्चों को संभाल सकते थे. एक स्टूडेंट का सुसाइड प्रशासन या पुलिस और आम लोगों के लिए घटना है, लेकिन उसके मां-बाप की पूरी जिंदगी खत्म हो जाती है. बता दें कि शुभकुमार कोटा में इंजीनियरिंग एंट्रेस एग्जाम की तैयारी कर रहा था. वह मां-बाप का इकलौता बेटा था.
प्रशासन का ये है कहना : जिला कलेक्टर डॉ. रविंद्र गोस्वामी का कहना है कि हॉस्टल के खिलाफ गाइडलाइन की पालना नहीं करने पर कार्रवाई की जाएगी. वहां के स्टाफ ने गेट कीपर ट्रेनिंग की थी या नहीं, इस संबंध में भी जांच पड़ताल की जा रही है. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कोटा के बड़े एरिया में कई स्टेकहोल्डरों को मिलकर काम करना है.