जगदलपुर : 1 नवंबर 2000 को मध्यप्रदेश से अलग होकर नया राज्य छत्तीसगढ़ बना . बस्तरवासियों को अपने कामों के लिए पहले 1500 किलोमीटर दूर राजधानी भोपाल जाना पड़ता था. लेकिन राज्य गठन के बाद बस्तर मुख्यालय जगदलपुर से राजधानी की दूरी 300 किलोमीटर हो गई. आज छत्तीसगढ़ ने अपने 24 साल पूरा कर लिए हैं. इन 24 सालों में पिछड़ा क्षेत्र कहे जाने वाले आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बस्तर का विकास हो चुका है.
शिक्षा में कितना बदला बस्तर : छत्तीसगढ़ राज्य गठन के दौरान बस्तर संभाग में स्कूलों की संख्या काफी कम थी.अंदरूनी क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर नीचे था. अंदरूनी क्षेत्रों में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए पोटाकेबिन, आश्रम और छात्रावास शुरू किया गया.इनमें छात्रों के लिए सुविधाएं मुहैया कराई गई. ताकि अंदरूनी क्षेत्रों के आदिवासी बच्चे इन आश्रम शालाओं में रहकर पढ़ाई पूरी कर सकें. हालांकि इन 24 सालों में कुछ स्कूल बंद हुए. लेकिन कुछ स्कूलों को फिर शुरू किया गया. बेहद अंदरूनी इलाकों में आदिवासी पढ़े लिखे युवाओं को शिक्षादूत सरकार ने बनाया. अभी भी कई स्थानों में झोपड़ी बनाकर शिक्षादूत बच्चों का भविष्य सुधार रहे हैं.
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में खुले स्कूल : नक्सल प्रभावित इलाकों में नए स्कूल खोले गए. ताकि बच्चे पढ़ाई कर सकें. इनमें एक गांव का नाम चांदामेटा शामिल है. हालांकि अभी भी कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां शिक्षा बेहतर तरीके से नहीं पहुंच पाया है. जैसे-जैसे भारत विकसित देश की ओर अग्रसर है. वैसे ही अंग्रेजी पढ़ाई भी आवश्यक हो गई है. अंग्रेजी पढ़ाई महंगे फीस से केवल प्राइवेट स्कूलों में होती थी. लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने भी अब शासकीय स्कूल में अंग्रेजी माध्यम शुरू कर दिया है. जिसका नाम स्वामी आत्मानंद रखा है. इस तरह बस्तर में शिक्षा पर बदलाव देखने को मिल रहा है.
स्वास्थ्य में कितना बदला बस्तर : बस्तर में स्वास्थ्य सुविधा सबसे बड़ी चुनौती है. पिछड़ा क्षेत्र होने के कारण बेहतर तरीके से सुविधा बस्तरवासियों को नहीं मिल पा रही है. हालांकि इन 24 सालों में सरकार सुविधा को बढ़ाने के लिए निरन्तर प्रयास में जुटी हुई है. बस्तर में स्वास्थ्य सुविधा बेहतर करने के लिए एक मेडिकल कॉलेज शुरू किया गया है. जिसमें हजारों छात्र पढ़ाई करते हैं. साथ ही बस्तर में जल्द स्वास्थ्य सुविधा मिले इसके लिए 108 संजीवनी एक्सप्रेस, 102 महतारी एक्सप्रेस और डायल 112 भी शुरू किया गया है. वहीं अंदरूनी इलाकों में जहां चार पहिया एम्बुलेंस नहीं पहुंच पाती है. उन क्षेत्रों के लिए बाइक एम्बुलेंस की सुविधा उपलब्ध कराई गई है.
सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल का निर्माण : बस्तर में बड़े बीमारियों के इलाज के लिए रायपुर या पड़ोसी राज्य आन्ध्रप्रदेश के विशाखापटनम लोग जाते हैं. लेकिन लोगों को इलाज बस्तर में ही मिल सके इसके लिए बस्तर के डिमरापाल में एक सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल का निर्माण कराया गया है.अस्पताल फिलहाल अधूरा है. जिसके कारण इसका शुभारंभ नहीं हो पाया है. जिसे जल्द शुरू करने की मांग बस्तर में की जा रही है.
कनेक्टिविटी में कितना बदला बस्तर : 24 सालों में बस्तर के सातों जिलों में लगातार सड़कों का निर्माण जारी है. हजारों किलोमीटर सड़कों का निर्माण पूरे बस्तर संभाग में हुआ है. बस्तर में सबसे चैलेंजिंग सड़कें सुकमा-कोंटा, दोरनापाल-जगरगुंडा, पल्ली-बारसूर, नारायनपुर-ओरछा, बीजापुर-बासागुड़ा, जगदलपुर-सुकमा, दंतेवाड़ा-बीजापुर, बीजापुर-भोपालपट्टनम हैं. इसके अलावा ब्लॉक मुख्यालय से ग्राम पंचायतों तक सड़कों का निर्माण संभव हुआ है. हालांकि वर्तमान की स्थिति में कई ऐसे गांव है जो आज भी जुड़ नहीं पाए हैं. आजादी के 77 साल बाद भी सड़क अंदरूनी क्षेत्रों के ग्रामीणों तक नहीं पहुंच पाया है. लेकिन जिस रफ्तार से सरकार सड़क बनाने का कार्य बस्तर में कर रही है. उससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है जल्द ही अंदरूनी क्षेत्रों के ग्रामीणों को सड़क की सुविधा मिलेगी.
पुल और पुलियों का निर्माण : वहीं बड़े बड़े पुल-पुलियों का निर्माण बस्तर में हुआ है. ताकि पड़ोसी राज्यों से बस्तर जुड़ सके. इनमें भोपालपट्टनम में इंद्रावती नदी पर बना पुल महाराष्ट्र और तेलंगाना को जोड़ता है. साथ ही अबूझमाड़ के छिंदनार में बना पुल शामिल हैं. वहीं कई छोटे बड़े पुल का निर्माण बस्तर संभाग में हुआ है.
एयर और रेल से जुड़ा बस्तर : लंबे अरसे के बाद बस्तर एयर कनेक्टिविटी से जुड़ गया. जिससे अब बस्तरवासी सीधे कनेक्टिंग फ्लाइट से देश के किसी भी राज्य का सफर कर सकते हैं. पहले अलायंस एयर की शुरुआत की गई. और अब बस्तर में इंडिगो ने अपना सेवा शुरू किया है. जो जगदलपुर से रायपुर और जगदलपुर से हैदराबाद के लिए उड़ान भरती है. हालांकि शेड्यूल को लेकर इंडिगो ने जगदलपुर से रायपुर की सेवा बंद की है. जिसे जल्द शुरू करने की मांग बस्तर के जनप्रतिनिधियों और आम नागरिकों ने की है. इसके अलावा रेल सुविधा से भी बस्तर जुड़ गया है. जगदलपुर से रेल पड़ोसी राज्य आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम और कोलकाता जैसे महानगर से जुड़ गया है. साथ ही इसके अलावा बस्तर को राजधानी रायपुर से जोड़ने के लिए लंबे समय से रावघाट रेल लाइन की मांग की जा रही है. जिसका कार्य 50 प्रतिशत हो गया है.
पर्यटन के क्षेत्र में कितना बदला बस्तर : प्रकृति ने बस्तर की खूबसूरती को बारीकी से रचा है. बस्तर में इन 24 सालों में कई पर्यटन स्थल पर्यटकों को मिले हैं. बस्तर में पहले केवल तीरथगढ़, चित्रकोट, तामड़ाघूमर, मेन्द्रीघुमर, कुटुमसरगुफा का ही दीदार पर्यटक करते थे. लेकिन इन 24 सालों में कई पर्यटन क्षेत्र बस्तर में मिले हैं. जिसे देखने के लिए हजारों से संख्या में पर्यटक देश विदेश से बस्तर पहुंचते हैं.
इनमें हांदावाड़ा जलप्रपात, झारालावा जलप्रपात, फुलपाड जलप्रपात, नीलमसरई जलप्रपात, नम्बी जलप्रपात, प्रतापगिरी जलप्रपात, मंडवा जलप्रपात, बिजाकसा जलप्रपात, टोपर जलप्रपात, दंडक गुफा, हरी गुफा, मादरकोंटा गुफा, कैलाश गुफा, मिचनार हिल्स स्टेशन, जैसे कई जलप्रपात और गुफाएं शामिल हैं. इसके अलावा बस्तर की संस्कृति से रूबरू करवाने के लिए होम स्टे के साथ ही बैम्बू राफ्टिंग, कयाकिंग जैसे एडवेंचर पर्यटन स्थल भी शुरू किया गया है.
बस्तर में स्टील प्लांट हुआ शुरू : बस्तर की धरती में कई खनिज पदार्थ पाए जाते हैं. इनमें सबसे अधिक उत्तम क्वॉलिटी का लौह अयस्क मिलता है. इसके लिए एक बड़ा माइनिंग क्षेत्र दंतेवाड़ा जिले के बैलाडीला की पहाड़ियों पर बना है. जहां से प्रतिदिन हजारों टन लौह अयस्क बाहर निकलता है.
जिसे देखते हुए बस्तर में स्टील का उत्पादन करने के लिए NMDC से अपना स्टील प्लांट बस्तर जिले में नगरनार में शुरू किया है. इस स्टील प्लांट से उत्पादन काफी बड़ी मात्रा में होने लगी है. स्टील प्लांट से स्थापित होने से बस्तर के लोगों को काफी रोजगार भी मिला है.