रायपुर: छत्तीसगढ़ लोकसभा चुनाव में 2019 और 2024 की तुलना में जीत के वोट के अंतर की बात करें तो इस बार सात सीटों पर जीत का अंतर बढ़ा है. जबकि चार सीटों पर जीत का अंतर घटा है. जिसमें एक सीट ऐसी है जिसे कांग्रेस से बीजेपी ने छीन ली है. 2019 में बस्तर लोकसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा था जिसे भाजपा ने जीता है, और यहां पर जीत का अंतर भी बढ़ा हुआ है. वहीं पूरे छत्तीसगढ़ में कांकेर एक ऐसी लोकसभा सीट रही है जहां पर 2019 की तुलना में 2024 में भी जीत हार का अंतर घटा है भाजपा यहां से जीती जरूर है लेकिन वोटो का अंतर1884 रहा.
सरगुजा लोकसभा सीट: 2019 में सरगुजा में भाजपा ने जीत दर्ज की थी. इस बार भी भारतीय जनता पार्टी को दोबारा यहां से जीत मिली है. बीजेपी के चिंतामणि महाराज यहां से विजयी हुए हैं. 2019 में भाजपा ने यहां से रेणुका सिंह को मैदान में उतारा था. लेकिन इस बार प्रत्याशी बदले गए. सरगुजा सीट पर वोट का अंतर घटा है. साल 2019 में रेणुका सिंह 17873 वोट से जीती थी जबकि सरगुजा में इस बार चिंतामणि महाराज 64822 वोट के अंतर से जीते हैं. भाजपा को इस सीट पर 49.01 प्रतिशत वोट मिले हैं.
रायगढ़ लोकसभा सीट: रायगढ़ लोकसभा सीट बीजेपी के खाते में आई है. यहां से राधेश्याम राठिया चुनाव जीते हैं. 2019 में यहां से उम्मीदवार गोमती साय थी. जिन्होंने 66027 वोट के अंतर से जीत दर्ज की थी. इस बार रायगढ़ में राधेश्याम राठिया को बड़े अंतर के साथ जीत का जनादेश जनता ने दिया है. राधेश्याम राठिया 2,40,391 वोट के अंतर से जीती हैं. भाजपा को यहां केवल 55.63 फ़ीसदी वोट मिले हैं.
जांजगीर चांपा लोकसभा सीट: जांजगीर चांपा से 2019 में गुहाराम अजगले चुनाव जीते थे. इनके जीत का अंतर 83255 था.जबकि इस बार जांजगीर चांपा में प्रत्याशी भाजपा ने बदला. बीजेपी ने कमलेश जांगड़े को यहां से चुनाव मैदान में उतारा. इस बार भी इस सीट पर भाजपा की जीत का अंतर घटा है. 2024 में 60 हजार वोटों से भाजपा ने कांग्रेस को मात दी. भाजपा को इस सीट पर 48.71 फीसदी वोट मिला. जबकि कांग्रेस को 44.4 फीसदी वोट मिले.
कोरबा लोकसभा सीट: छत्तीसगढ़ की कोरबा सीट बीजेपी के लिए चुनौती वाली सीट रही. यहां से 2019 में कांग्रेस पार्टी की ज्योत्सना महंत ने जीत दर्ज की थी.इस बार भाजपा ने सीट पर पूरी ताकत लगा दी थी. उसे इस बात का उम्मीद था कि यहां से बीजेपी जीतेगी. भाजपा ने कोरबा से दिग्गज उम्मीदवार सरोज पांडेय को चुनाव मैदान में उतारा. माना जाता है कि ये मोदी और अमित शाह की काफी करीबी रहीं हैं. लेकिन उसके बाद भी कोरबा की जनता ने भाजपा को जीत नहीं दी. 2019 में ज्योत्सना महंत ने 26249 वोट से जीत दर्ज की थी, जबकि इस बार ज्योत्सना महंत ने 43283 वोटों से जीत दर्ज की है. बीजेपी 2024 में भी इस सीट को नहीं जीत सकी.
बिलासपुर लोकसभा सीट: बिलासपुर लोकसभा सीट की बात करें तो 2019 में यहां से अरुण साव विजयी हुए थे. अरुण साव ने 141763 वोटों से जीत दर्ज की थी. जबकि इस बार बिलासपुर से तोखन साहू को चुनावी मैदान में उतर गया. बीजेपी ने यहां भी अपने प्रत्याशी को बदल दिया था. तोखन साहू ने भाजपा की झोली में इस सीट को डाला है, और इस बार यहां पर जीत का अंतर भी बड़ा है. भाजपा ने इस बार 1,64,558 वोटों से जीत दर्ज की है. इस सीट पर भाजपा को कुल 53.5 फ़ीसदी वोट मिले जबकि कांग्रेस को 41.5 फीसदी वोट प्राप्त हुए.
राजनांदगांव लोकसभा सीट: 2024 के लोकसभा चुनाव में राजनांदगांव सीट सबसे ज्यादा चर्चा में रही. इसकी वजह छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता भूपेश बघेल चुनावी मैदान में थे.बात 2019 की करें तो राजनांदगांव से संतोष पांडे 111966 वोटों से जीते थे. हालांकि 2024 में यह समीकरण बदल गया. राजनांदगांव सीट बीजेपी ने जीती है लेकिन जीत का अंतर घट गया है. 2019 में भी बीजेपी ने राजनांदगांव से संतोष पांडे को चुनाव मैदान में उतारा था, 2024 में भी संतोष पांडे ही चुनावी मैदान में थे. लेकिन 2024 में संतोष पांडे ने 44411 वोटो से जीत दर्ज की है. इस बार इस सीट पर भाजपा की जीत का अंतर घटा है .यहां भाजपा को कुल 49.25 फ़ीसदी वोट मिले हैं. वहीं कांग्रेस को 46.118 फ़ीसदी मत प्राप्त हुआ है.
रायपुर लोकसभा सीट: रायपुर लोकसभा सीट छत्तीसगढ़ की राजधानी की सीट है. ऐसे में यह माना जा रहा था कि यहां पर टक्कर भी बड़ी होगी, लेकिन रायपुर सीट का परिणाम एक तरफा आया. 2019 में भाजपा ने रायपुर से सुनील सोनी को टिकट दिया था और सुनील सोनी 3,48,238 वोटों से जीते थे . जबकि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उम्मीदवार बदलते हुए छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा बार विधानसभा चुनाव जीतने वाले रायपुर के कद्दावर नेता बृजमोहन अग्रवाल को चुनावी मैदान में उतारा. बृजमोहन अग्रवाल ने 5,75,285 वोटों से जीत हासिल की है. इस सीट पर भाजपा को कुल 66.019 वोट मिले. वहीं कांग्रेस को 29.94 फ़ीसदी वोट प्राप्त हुए.
महासमुंद लोकसभा सीट: महासमुंद लोकसभा सीट पर भाजपा ने 2019 के उम्मीदवार को बदल दिया. 2019 में महासमुंद सीट से चुन्नीलाल साहू 900511 वोट से जीते थे .जबकि 2024 में भाजपा ने महासमुंद से रूप कुमारी चौधरी को चुनावी मैदान में उतारा था. इस बार भाजपा का प्रयास महासमुंद में सफल भी रहा है ,महासमुंद में रूप कुमारी चौधरी ने जीत दर्ज की और भाजपा के जीत का अंतर 1,45,456 वोट का रहा है .भाजपा को इस सीट पर 53.6 फीसदी वोट मिले. जबकि कांग्रेस को 42.9 फीसदी वह प्राप्त हुए हैं.
बस्तर लोकसभा सीट:छत्तीसगढ़ की सबसे महत्वपूर्ण सीट और पहले चरण में छत्तीसगढ़ में सिर्फ एक सीट पर मतदान हुआ वह बस्तर सीट रही. बस्तर सीट 2024 में सबसे ज्यादा चर्चा में भी इसलिए रही कि नरेंद्र मोदी ने अपने चुनाव प्रचार का आगाज भी यहीं से किया. राहुल गांधी ने भी अपनी चुनावी रैली की शुरुआत यहीं से की. 2019 में बस्तर लोकसभा सीट पर कांग्रेस जीती थी और दीपक बैज सांसद बने थे, लेकिन इस बार कांग्रेस ने बस्तर से अपने उम्मीदवार को बदल दिया. कांग्रेस ने कद्दावर नेता कवासी लखमा को चुनावी मैदान में उतारा. 2019 में कांग्रेस के दीपक बैज ने यह सीट जीती थी और जीत का अंतर 38982 वोट का था. जबकि इस बार बस्तर सीट कांग्रेस से छीन करके बीजेपी ने जीती है, यहां से बीजेपी के महेश कश्यप विजयी हुए हैं. इन्होंने 55245 वोट से कांग्रेस को हराया है .इस सीट पर भाजपा को कुल 45.50 फीसदी वोट मिले हैं. जबकि कांग्रेस को 40.02 फ़ीसदी वोट मिले हैं.
दुर्ग लोकसभा सीट: 2024 के लोकसभा चुनाव में दुर्ग लोकसभा सीट काफी महत्वपूर्ण रहा. इसकी बड़ी वजह है दुर्ग के कई कद्दावर नेताओं को बाहर भेज कर चुनाव लड़ाया गया.राजनांदगांव में दुर्ग से कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल चुनाव लड़ने गए थे , वहीं दुर्ग के ही देवेंद्र यादव बिलासपुर में चुनाव लड़ने के लिए गए थे. इसलिए दुर्ग लोकसभा काफी महत्वपूर्ण लोकसभा 2024 के लिए बनी हुई थी. हालांकि 2019 और 2024 में दुर्ग ने कोई बड़ा बदलाव नहीं किया है. हां वोट के अंतर को जरूर बढ़ाया है. 2019 में दुर्ग से भाजपा के विजय बघेल जीत दर्ज करने में सफल रहे और कुल 3,91,978 वोटों से जीत दर्ज की थी. वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में भी दुर्ग से विजय बघेल ने ही जीत दर्ज किया है. यहां भाजपा का जीत का अंतर 4,38,226 वोट हो गया है.बीजेपी ने दुर्ग लोकसभा सीट में 2019 की तुलना में 2024 में ज्यादा बड़ी बढ़त हासिल की.
कांकेर लोकसभा सीट: 2024 के लोकसभा चुनाव में कांकेर लोकसभा सीट बीजेपी के लिए सबसे ज्यादा चुनौती भरी रही. वहीं जीत हार का अंतर भी इतना काम रहा कि किसी समय कुछ भी हो सकता था. कांकेर लोक सभा सीट 2024 में भाजपा ने जीती जरूर है लेकिन जीत का अंतर महज दशमलव15 (0.15) फीसदी वोट का रहा है. कांकेर सीट पर भाजपा को जहां 47.23 फ़ीसदी वोट मिले हैं वहीं कांग्रेस को 47.08 फीसदी वोट मिले हैं. दोनों के जीत और हार के अंतर को निकाला जाए तो केवल दशमलव एक पांच फीसदी का फर्क आता है. 2019 में कांकेर से मोहन मंडावी चुनाव लड़े थे और 6,914 वोटों से जीते थे. साल 2024 में भाजपा ने यहां अपने उम्मीदवार को बदल दिया और भोजराज नाग को चुनावी मैदान में उतारा . 2024 में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर रही और जीत हार का अंतर 2019 की तुलना में घटकर नीचे आ गया. 2024 में इस सीट पर जीत हार का अंतर केवल 1884 वोटों का रहा है. इस सीट पर बीजेपी को मेहनत भी ज्यादा करनी पड़ी और बीजेपी के लिए चिंता भी खूब रही. कांकेर सीट को लेकर के भाजपा चिंतित भी रही है, क्योंकि यहां पर नरेंद्र मोदी की चुनावी सभा हुई थी. और जिसका असर भाजपा भाजपा के पक्ष में गया. हालांकि कांग्रेस ने 2019 में जीत हार के अंतर को समझते हुए राहुल गांधी की रैली कांकेर में करवाई थी लेकिन उसका बहुत ज्यादा फायदा जीत के रूप में नहीं मिला.