नासिक: महाराष्ट्र में लतागार दूसरी बार महायुति गठबंधन की सरकार बनी है, लेकिन छगन भुजबल को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की तरफ से मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई. भुजबल ओबीसी के बड़े नेता हैं, उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल न किए जाने पर उनके समर्थकों में भारी रोष है. कुछ समर्थकों ने खुले तौर पर उन्हें अब भाजपा में शामिल होने को कहा है. छगन भुजबल कार्यकर्ताओं की अपील का क्या जवाब देते हैं, यह अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है.
इससे पहले कविता पाठ करते हुए छगन भुजबल ने समता परिषद की सभा में 40 मिनट का भाषण दिया, इस दौरान उन्होंने एनसीपी नेता अजित पवार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, "मैं उस पुराने जमाने का सिक्का हूं, इसे फेंकना मत."
भुजबल ने कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, चंद्रशेखर बावनकुले, एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल, सुनील तटकरे ने उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने का आग्रह किया था. लेकिन हमारे नेता ने उनकी बात नहीं सुनी.
इस बैठक में राज्य के विभिन्न हिस्सों से अखिल भारतीय महात्मा फुले समता परिषद के पदाधिकारी शामिल होने आए थे. इस समय कुछ समर्थकों ने सार्वजनिक रूप से भुजबल से भाजपा में शामिल होने की अपील की, जबकि अन्य ने नई पार्टी बनाने की मंशा जताई है, लेकिन फिलहाल वे कहीं नहीं जाना चाहते.
नेताओं से बात कर भविष्य की राजनीतिक पर लेंगे फैसला
छगन भुजबल ने संकेत दिया है कि वे समता परिषद के पदाधिकारियों और राज्य भर के नेताओं से बात करके भविष्य की राजनीतिक दिशा तय करेंगे. जब मराठा आंदोलन के नेता जरांगे पाटिल ने मुख्यमंत्री फडणवीस की कड़ी आलोचना की थी, तो जरांगे किसी भी अन्य भाजपा नेता की तुलना में बेहतर तरीके से जवाब दे रहे थे. छगन भुजबल सबसे आगे थे. छगन भुजबल जैसे बड़े ओबीसी नेता के भाजपा में शामिल होने से भाजपा की पकड़ मजबूत होगी. साथ ही, बिहार में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, वहां ओबीसी मतदाताओं के बीच भुजबल की अच्छी पहचान है और भाजपा के कुछ नेताओं को लगता है कि इसका फायदा भी भाजपा को मिल सकता है.
भाजपा के वरिष्ठ नेता भुजबल के पक्ष में
इसके अलावा लोकसभा चुनाव के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने भुजबल को नासिक से चुनाव लड़ाने की इच्छा जताई थी, इसलिए ऐसा लगता है कि दिल्ली में भाजपा के वरिष्ठ नेता भुजबल के पक्ष में हैं. भुजबल को ओबीसी नेता के रूप में जाना जाता है.
इसी तरह मराठा आरक्षण के दौरान भुजबल ने स्टैंड लिया था कि मराठा समुदाय को ओबीसी कोटे से आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए, बल्कि अलग से आरक्षण दिया जाना चाहिए. इसके कारण उन्हें मराठा समुदाय के गुस्से का सामना करना पड़ा, जिसका खामियाजा भुजबल को शुरुआती दौर में ही भुगतना पड़ा. खुद भुजबल ने माना कि उनके वोट शेयर में कमी आई है. साथ ही एनसीपी के कुछ मराठा विधायक अप्रत्यक्ष रूप से भुजबल के मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने के खिलाफ थे.
राजनीतिक विश्लेषक हेमंत भोसले का कहना है कि सिन्नर के एनसीपी विधायक माणिकराव कोकाटे को मंत्री बनाने का वादा पूरा करने के लिए अजित पवार ने भुजबल की बलि दे दी. पिछले 40 सालों से छगन भुजबल साहब ओबीसी, दलितों और वंचित समूहों के लिए योगदान दे रहे हैं.
एनसीपी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने कहा, भुजबल साहब के खिलाफ अन्याय हम बर्दाश्त नहीं करेंगे. महाराष्ट्र को छगन भुजबल साहब के नेतृत्व की जरूरत है, और उनके बिना सरकार नहीं चल पाएगी. ओबीसी के न्याय के लिए मंत्रिमंडल में उनका स्थान बहुत जरूरी है, इसलिए भुजबल साहब को सम्मान के साथ मंत्री पद दिया जाना चाहिए. हमें वहीं काम करना चाहिए जहां हमारा सम्मान बना रहे. भुजबल साहब को अब भाजपा में शामिल हो जाना चाहिए, हम इस निर्णय के साथ एकमत हैं.
यह भी पढ़ें- मोदी 3.0 सरकार, लोकसभा में 10 साल बाद LoP... प्रियंका गांधी की संसद में एंट्री, 2024 की प्रमुख राजनीतिक घटनाएं