चेन्नई: तमिलनाडु में चेन्नई के समुद्री तटों पर काफी समय तक समुद्र में नीली लहरें देखी गईं. इन अविश्वसनीय घटनाओं को नीलंकरई, इंजम्बक्कम, विल्लुपुरम और मरक्कनम बीच पर देखा गया. प्रकृति के इस हैरतअंगेज और अद्भुत नजारे को देख लोग अचंभित रह गए.
लोगों ने इस घटना की तस्वीरें और वीडियो बनाकर अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट किए. वहीं, प्रकृति के इस रहस्यमयी पीएमके नेता अंबुमणि रामदास ने भी अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट किया कि समुद्र की लहरें नीली चमक रही थीं। उन्होंने इस घटना को फिल्माया और इसे सोशल मीडिया पर वीडियो के रूप में अपलोड किया. उन्होंने अपने पोस्ट में लिख, "उन्हें नीली चमकती लहरें देखने में मजा आया."
Just now enjoyed the mesmerising Fluorescent waves at ECR beach!! #Bioluminescence pic.twitter.com/6ljfmlpyRO
— Dr ANBUMANI RAMADOSS (@draramadoss) October 18, 2024
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सेवानिवृत्त प्रधान वैज्ञानिक वी.एस. चंद्रशेखर ने ईटीवी भारत को बताया कि समुद्र की लहरें नीली क्यों चमकती हैं और जब लहरें लाल हो जाती हैं तो संभावित खतरे क्या होते हैं। उन्होंने जो विवरण साझा किए, वे नीचे दिए गए हैं।
समुद्र की लहरें नीली क्यों चमकती हैं?
समुद्र के रंग में परिवर्तन को हम सी घोस्ट, सी फायर और सी स्पार्कल के रूप में जानते हैं. हालांकि, इस घटना के लिए वैज्ञानिक नाम और स्पष्टीकरण हैं. समुद्र में रंग परिवर्तन को वैज्ञानिक रूप से 'बायोलुमिनेसेंस' कहा जाता है. 'ल्यूमिनस' का अर्थ है चमकना, और 'बायो' का अर्थ है जीवन.
समुद्र का नीला रंग जीवों द्वारा उत्पन्न एक फ्लोरोसेंट प्रकाश है. जुगनू या गोल्डन बीटल की तरह, समुद्र में कई मछलियां बायोलुमिनसेंट होती हैं. इसके अलावा, समुद्र में हजारों सूक्ष्मजीव हैं जिसे हम खुली आंखों से देख नहीं सकते लेकिन उन्हें हम चमकता हुआ देखकर आश्चर्य में जरूर पड़ सकते हैं.
समुद्री सूक्ष्मजीव
समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में प्लवक, जैसे कि फाइटोप्लांकटन, प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से समुद्र की सतह से कार्बन को उसकी गहराई तक ले जाते हैं.
हालांकि फाइटोप्लांकटन सूक्ष्म जीव (Micro Organism) हैं, लेकिन वे सूक्ष्मजीवों के एक बड़े समूह से संबंधित हैं जो कभी-कभी नग्न आंखों से दिखाई दे सकते हैं. जिस तरह जमीन पर पौधे भोजन का उत्पादन करते हैं, उसी तरह समुद्र में फाइटोप्लांकटन प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) के माध्यम से भोजन का उत्पादन करते हैं. बायोल्यूमिनसेंट जीव हमेशा समुद्र में मौजूद रहते हैं, लेकिन कभी-कभी वे बड़ी संख्या में इकट्ठा होते हैं, जिससे दृश्यमान चमक वाले क्षेत्र बनते हैं.
ये जीव तट पर क्यों दिखाई देते हैं?
पहली मानसून बाढ़ अतिरिक्त खनिज लाती है जो समुद्री जल के साथ मिल जाते हैं. फाइटोप्लांकटन, जो इन खनिजों पर फीड करते हैं, जहां बारिश का पानी समुद्र से मिलता है, वहां तेजी से बढ़ते हैं, जिससे वे अधिक दिखाई देते हैं. यह एक प्राकृतिक घटना है और नियमित रूप से होती है. ऐसी घटनाएं अक्सर पहले मानसून के दो या तीन दिन बाद होती हैं. नोक्टिलुका स्किंटिलन्स (लैटिन में 'टिमटिमाती रात' के लिए) आमतौर पर जहां भी बारिश का पानी समुद्र में बहता है, वहां पाए जाते हैं.
क्या खतरे का संकेत हो सकता है?
चंद्रशेखर के मुताबिक, समुद्र तट पर नीली चमकती लहरों से डरने की कोई जरूरत नहीं है. हालांकि, जिन क्षेत्रों में पानी गहरा या अधिक गहरा दिखाई देता है, वहां तैरने से कभी-कभी त्वचा पर चकत्ते (Skin Rashes) हो सकते हैं.
उन्होंने आगे अच्छी जानकारी देते हुए कहा कि, अधिक चिंताजनक तब होता है जब समुद्र नीले के बजाय लाल दिखाई देता है. यह हानिकारक एल्गी ब्लूमस (शैवाल -HABs) के कारण होने वाली खतरनाक स्थिति का संकेत हो सकता है. यदि पानी लाल दिखाई देता है, तो पानी में प्रवेश करने से बचना सबसे अच्छा है, क्योंकि ये ब्लूमस पानी में जहरीले पदार्थ छोड़ते हैं. ये जहीला पदार्थ हवा में भी मौजूद हो सकते हैं, जिससे ऑक्सीजन के स्तर में कमी आ सकती है. चंद्रशेखर ने चेतावनी दी कि, इससे मनुष्यों पर संभावित रूप से महत्वपूर्ण स्वास्थ्य प्रभाव पड़ सकता है.
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