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चारधाम यात्रा के 'कुमाऊं' रूट पर शुरू हुआ विवाद, जानकारों ने उठाये सवाल, सरकार के अपने भी हुए 'सख्त' - Chardham Yatra from Ramnagar

Chardham Yatra from Ramnagar, Chardham Yatra route उत्तराखंड में चारधाम यात्रा को रामनगर से संचालित करने की पहल पर तरह तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. कुछ लोग इसके पक्ष में बात कर रहे हैं तो कुछ इसके विरोध में खड़े हो गये हैं. चारधाम यत्रा की पौराणिक और धार्मिक मान्यताओं को आगे कर इस पहल का विरोध किया जा रहा है.

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चारधाम यात्रा के 'कुमाऊं' रूट पर शुरू हुआ विवाद (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 19, 2024, 6:30 PM IST

Updated : Jun 19, 2024, 8:02 PM IST

चारधाम यात्रा के 'कुमाऊं' रूट पर शुरू हुआ विवाद (Etv Bharat)

देहरादून: उत्तराखंड चारधाम मात्रा मार्ग को नया स्वरूप देने की कवायद की जा रही है. सरकार चारधाम यात्रा मार्गों को कुमाऊं की तरफ से खोले जाने की बात कर रही है. कोटद्वार विधायक रितु खंडूरी ने कोटद्वार से चार धाम यात्रा मार्ग को संचालित करने की बात कही थी. पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने रामनगर और कुमाऊं के अन्य क्षेत्रों से यात्रा मार्ग को संचालित करने को समर्थन दिया. उन्होंने कहा हमें वृहद रूप में सोचना चाहिए, यात्रा रूट पर हरिद्वार, ऋषिकेश और श्रीनगर में पड़ने वाले दबाव को कणर्प्रयाग से डायवर्ट कर अतिरिक्त दबाव से बचा जा सकता है.

चारधाम यात्रा रूट का धार्मिक महत्व: इस मामले पर अगर धार्मिक और पुरानी महत्व की बात करें तो चार धाम महापंचायत के सचिव डॉक्टर बृजेश सती ने कहा चारधाम यात्रा का अपना एक धार्मिक महत्व है. उन्होंने बताया चारधाम यात्रा को पौराणिक समय से वामावर्त तरीके से करने की विधि कई धार्मिक ग्रंथो पुराणों में बताई गई है. चारधाम यात्रा कोई आज का विषय नहीं है, यह आदिकाल से अपने पौराणिक परंपराओं और मान्यताओं के आधार पर होती आ रही है. आज इसका आधुनिकरण हुआ है, लोग इसे अपनी सहूलियत के हिसाब से इसके स्वरूप को बदलने की बात कर रहे हैं. चारधाम यात्रा सनातन धर्म में पूरे जीवन भर में की जाने वाली मोक्ष दायनी यात्रा के रूप में एक महत्वपूर्ण यात्रा है.

ये है चारधाम दर्शन का क्रम: चारधाम यात्रा को धार्मिक महत्व के अनुसार किया जाए तो सबसे पहले यमुनोत्री धाम के दर्शन किए जाते हैं. जहां मां यमुना के दर्शन कर सबसे पहले यम की बहन यमुनोत्री की पूजा कर अपना यम का सुधार किया जाता है. इसके बाद मोक्ष प्राप्ति के लिए मां गंगा का दर्शन किया जाता है. उसके बाद वैराग्य धारण के लिए बाबा केदार के दर्शन किए जाते हैं. आखिर में बैकुंठ धारण के लिए भगवान बदरी विशाल के दर्शन किए जाते हैं. बदरीनाथ में सभी पिंडदान कर व्यक्ति मोक्ष प्राप्ति के लिए आगे बढ़ जाता है.

हरि के द्वार से शुरू होती है चारधाम यात्रा: डॉक्टर बृजेश सती ने कहा यह सनातन धर्म में मोक्ष प्राप्ति की यात्रा है. पूर्व में इस बात के कई प्रमाण मिले हैं कि व्यक्ति अपने अंतिम समय में या फिर परिपूर्ण होने के बाद इस यात्रा को करता है. इसके बाद वह जीवन के कुछ पड़ाव में होता है, जब वह सांसारिक बंधनों से अपने संबंध त्यागने की मां स्थिति में होता है. उन्होंने बताया इन चारों धामों की अपनी धार्मिक महत्व है. इसमें हरिद्वार की बेहद खास मान्यता है. हरिद्वार नाम के पीछे ही इसकी विशेषता छिपी हुई है. उन्होंने कहा कि हरिद्वार से व्यक्ति अपनी चारधाम यात्रा की शुरुआत करता है.

चारधाम यात्रा रूट बदलाव सरकार के लिए नुकसानदेय: हर की पैड़ी पर स्नान करने के बाद वह आगे बढ़ता है. इसे हरिद्वार इसीलिए कहा जाता है क्योंकि हरि के दर पर जाने का यह पहला द्वार है. इसके बाद पूरा केदार खंड भगवान की भूमि के रूप में माना जाता है. उन्होंने कहा इस धार्मिक महत्व को बदलने का सरकार यदि मन बना रही है तो यह यात्रा के वास्तविक स्वरूप से छेड़खानी होगी. जिसे बिल्कुल भी स्वीकार नहीं जा सकता है.वहीं, वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत का कहना है चारधाम यात्रा का अपना धार्मिक महत्व है. इसे गढ़वाल से बदलकर कुमाऊं में ले जाना सरकार के लिए राजनीतिक रूप से भी नुकसानदेय हो सकता है.

केवल चार धाम से जुड़े बुद्धिजीवी वर्ग के लोग और पांडा पुरोहितों ही नहीं बल्कि सरकार के अपने लोग भी इस कॉन्सेप्ट पर पूरी तरह से सहमत नहीं हैं. देहरादून धर्मपुर विधानसभा विधायक विनोद चमोली का कहना है यात्रा का अपना धार्मिक महत्व है. इसे पारंपरिक तौर तरीके से ही किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा यात्रा के पुराने मार्ग भी हरिद्वार से होते हुए आगे बढ़ते हैं. सभी पड़ावों की अपनी महत्वपूर्ण भूमिका है. इसे बदला नहीं जाना चाहिए.

पढे़ं- रामनगर से चारधाम यात्रा शुरू करने वाले बयान पर भड़के गंगोत्री के तीर्थ पुरोहित - Gangotri Dham Pilgrim priest

पढे़ं-उत्तराखंड सरकार ने मैनेज की चारधाम यात्रा, सीएम ने खुद संभाला मोर्चा, पटरी पर ऐसे लौटी व्यवस्थाएं - Chardham Yatra Management

चारधाम यात्रा के 'कुमाऊं' रूट पर शुरू हुआ विवाद (Etv Bharat)

देहरादून: उत्तराखंड चारधाम मात्रा मार्ग को नया स्वरूप देने की कवायद की जा रही है. सरकार चारधाम यात्रा मार्गों को कुमाऊं की तरफ से खोले जाने की बात कर रही है. कोटद्वार विधायक रितु खंडूरी ने कोटद्वार से चार धाम यात्रा मार्ग को संचालित करने की बात कही थी. पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने रामनगर और कुमाऊं के अन्य क्षेत्रों से यात्रा मार्ग को संचालित करने को समर्थन दिया. उन्होंने कहा हमें वृहद रूप में सोचना चाहिए, यात्रा रूट पर हरिद्वार, ऋषिकेश और श्रीनगर में पड़ने वाले दबाव को कणर्प्रयाग से डायवर्ट कर अतिरिक्त दबाव से बचा जा सकता है.

चारधाम यात्रा रूट का धार्मिक महत्व: इस मामले पर अगर धार्मिक और पुरानी महत्व की बात करें तो चार धाम महापंचायत के सचिव डॉक्टर बृजेश सती ने कहा चारधाम यात्रा का अपना एक धार्मिक महत्व है. उन्होंने बताया चारधाम यात्रा को पौराणिक समय से वामावर्त तरीके से करने की विधि कई धार्मिक ग्रंथो पुराणों में बताई गई है. चारधाम यात्रा कोई आज का विषय नहीं है, यह आदिकाल से अपने पौराणिक परंपराओं और मान्यताओं के आधार पर होती आ रही है. आज इसका आधुनिकरण हुआ है, लोग इसे अपनी सहूलियत के हिसाब से इसके स्वरूप को बदलने की बात कर रहे हैं. चारधाम यात्रा सनातन धर्म में पूरे जीवन भर में की जाने वाली मोक्ष दायनी यात्रा के रूप में एक महत्वपूर्ण यात्रा है.

ये है चारधाम दर्शन का क्रम: चारधाम यात्रा को धार्मिक महत्व के अनुसार किया जाए तो सबसे पहले यमुनोत्री धाम के दर्शन किए जाते हैं. जहां मां यमुना के दर्शन कर सबसे पहले यम की बहन यमुनोत्री की पूजा कर अपना यम का सुधार किया जाता है. इसके बाद मोक्ष प्राप्ति के लिए मां गंगा का दर्शन किया जाता है. उसके बाद वैराग्य धारण के लिए बाबा केदार के दर्शन किए जाते हैं. आखिर में बैकुंठ धारण के लिए भगवान बदरी विशाल के दर्शन किए जाते हैं. बदरीनाथ में सभी पिंडदान कर व्यक्ति मोक्ष प्राप्ति के लिए आगे बढ़ जाता है.

हरि के द्वार से शुरू होती है चारधाम यात्रा: डॉक्टर बृजेश सती ने कहा यह सनातन धर्म में मोक्ष प्राप्ति की यात्रा है. पूर्व में इस बात के कई प्रमाण मिले हैं कि व्यक्ति अपने अंतिम समय में या फिर परिपूर्ण होने के बाद इस यात्रा को करता है. इसके बाद वह जीवन के कुछ पड़ाव में होता है, जब वह सांसारिक बंधनों से अपने संबंध त्यागने की मां स्थिति में होता है. उन्होंने बताया इन चारों धामों की अपनी धार्मिक महत्व है. इसमें हरिद्वार की बेहद खास मान्यता है. हरिद्वार नाम के पीछे ही इसकी विशेषता छिपी हुई है. उन्होंने कहा कि हरिद्वार से व्यक्ति अपनी चारधाम यात्रा की शुरुआत करता है.

चारधाम यात्रा रूट बदलाव सरकार के लिए नुकसानदेय: हर की पैड़ी पर स्नान करने के बाद वह आगे बढ़ता है. इसे हरिद्वार इसीलिए कहा जाता है क्योंकि हरि के दर पर जाने का यह पहला द्वार है. इसके बाद पूरा केदार खंड भगवान की भूमि के रूप में माना जाता है. उन्होंने कहा इस धार्मिक महत्व को बदलने का सरकार यदि मन बना रही है तो यह यात्रा के वास्तविक स्वरूप से छेड़खानी होगी. जिसे बिल्कुल भी स्वीकार नहीं जा सकता है.वहीं, वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत का कहना है चारधाम यात्रा का अपना धार्मिक महत्व है. इसे गढ़वाल से बदलकर कुमाऊं में ले जाना सरकार के लिए राजनीतिक रूप से भी नुकसानदेय हो सकता है.

केवल चार धाम से जुड़े बुद्धिजीवी वर्ग के लोग और पांडा पुरोहितों ही नहीं बल्कि सरकार के अपने लोग भी इस कॉन्सेप्ट पर पूरी तरह से सहमत नहीं हैं. देहरादून धर्मपुर विधानसभा विधायक विनोद चमोली का कहना है यात्रा का अपना धार्मिक महत्व है. इसे पारंपरिक तौर तरीके से ही किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा यात्रा के पुराने मार्ग भी हरिद्वार से होते हुए आगे बढ़ते हैं. सभी पड़ावों की अपनी महत्वपूर्ण भूमिका है. इसे बदला नहीं जाना चाहिए.

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Last Updated : Jun 19, 2024, 8:02 PM IST
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