चेन्नई : भारत के 78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने देश की विविधता के प्रतीक के रूप में तिरंगे के महत्व को बताया. चेन्नई के फोर्ट सेंट जॉर्ज में इस अवसर पर समारोह का जश्न मनाते हुए, सीएम स्टालिन ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया और कहा कि हमारा झंडा एक रंग का नहीं बल्कि तिरंगा है, जो हमारी विविधता की पहचान का प्रतिनिधित्व करता है.
इस मौके पर सीएम ने हाल ही में हुई प्राकृतिक आपदाओं, खास तौर पर केरल के वायनाड में हुई भूस्खलन त्रासदी के मद्देनजर, मुख्यमंत्री स्टालिन ने भारी बारिश के मौसम में पहाड़ी क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं का अध्ययन करने के लिए समर्पित एक विशेषज्ञ समिति की स्थापना की घोषणा की. समिति राज्य सरकार को एक व्यापक रिपोर्ट प्रदान करेगी, जो ऐसी आपदाओं के प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से निवारक उपायों को लागू करने के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में काम करेगी.
वहीं, इस अवसर पर, सीएम स्टालिन ने तमिलनाडु के लोगों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से दो नई कल्याणकारी पहलों का भी अनावरण किया. जेनेरिक दवाओं और आवश्यक दवाओं की सस्ती कीमतों पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए ‘मुधलवर मरुंथगम्स’ (सीएम की फार्मेसी) योजना शुरू की गई, जिससे स्वास्थ्य सेवा अधिक सुलभ हो गई. इसके अतिरिक्त, भूतपूर्व सैनिकों के कल्याण का समर्थन करने के लिए ‘मुधलवरिन कक्कुम करंगल’ योजना शुरू की गई, जो देश की सेवा करने वालों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है.
स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान, सीएम स्टालिन ने अपने-अपने क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देने वाले व्यक्तियों को पुरस्कार प्रदान किए. डॉ. कुमारी अनंथन को तमिल संस्कृति और विरासत में उनके योगदान के लिए थगैसल थमिझार पुरस्कार से सम्मानित किया गया. वहीं, नीलगिरी जिले की नर्स ए सबीना को वायनाड भूस्खलन के दौरान उनकी बहादुरी और समर्पित सेवा के लिए कल्पना चावला पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इसके अलावा, चंद्रयान-3 मिशन के परियोजना निदेशक डॉ. पी वीरमुथुवेल को भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण प्रयासों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए एपीजे अब्दुल कलाम पुरस्कार मिला.
बता दें, इसरो के वैज्ञानिकों की इस उपलब्धि की दुनिया ने सराहना की है. इससे भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर कदम रखने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है. वीरामुथुवेल को यह पुरस्कार इस बात के लिए दिया गया कि इस सफलता में उनका मुख्य योगदान रहा है.
कौन हैं ये पी. वीरामुथुवेल?
वीरामुथुवेल तमिलनाडु के विलुप्पुरम जिले के रहने वाले हैं. उन्होंने रेलवे स्कूल से पढ़ाई की और फिर वोकेशनल एजुकेशन की. इसके बाद उन्होंने अंतरिक्ष उद्योग में सफलता हासिल करने के सपने के साथ चेन्नई के तांबरम में एक निजी कॉलेज में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. बाद में उन्होंने चेन्नई में आईआईटी मद्रास से मास्टर्स और रिसर्च कोर्स किया.
इसके बाद एयरोस्पेस के क्षेत्र में महत्वपूर्ण शोध करने के बाद उन्हें 2004 से इसरो में वैज्ञानिक के तौर पर काम करने का मौका मिला. इसके बाद उन्हें 2019 में चंद्रयान-3 प्रोग्राम डायरेक्टर के तौर पर चुना गया. उन्होंने चंद्रयान 2 प्रोजेक्ट में भी अहम भूमिका निभाई थी. वीरामुथुवेल को चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक लॉन्च करने और उससे मिली सीख के जरिए दुनिया को चांद का दक्षिणी ध्रुव दिखाने का श्रेय दिया जाता है. उन्हें तमिलनाडु सरकार की ओर से एपीजे अब्दुल कलाम अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है.