नई दिल्ली/चंडीगढ़: चंडीगढ़ विश्वविद्यालय के संस्थापक-कुलाधिपति सतनाम सिंह संधू को मंगलवार को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया. गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संधू को संसद के ऊपरी सदन के लिए नामित किया है.
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I am delighted that Rashtrapati Ji has nominated Shri Satnam Singh Sandhu Ji to the Rajya Sabha. Satnam Ji has distinguished himself as a noted educationist and social worker, who has been serving people at the grassroots in different ways. He has always worked extensively to… pic.twitter.com/rZuUmGJP0q
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अधिसूचना में कहा गया है कि किसान के बेटे संधू भारत के प्रमुख शिक्षाविदों में से एक हैं. इसमें कहा गया है, 'संधू एक कृषक भी हैं और शिक्षा प्राप्त करने के लिए उन्होंने संघर्ष किया. उन्हें 2001 में मोहाली में 'चंडीगढ़ ग्रुप ऑफ कॉलेजेज’ (सीजीसी) की स्थापना और 2012 में चंडीगढ़ विश्वविद्यालय की स्थापना का श्रेय जाता है.'
बयान के अनुसार, वह अपने दो गैर सरकारी संगठनों 'इंडियन माइनॉरिटीज़ फाउंडेशन' और 'न्यू इंडिया डेवलपमेंट फाउंडेशन' के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में सुधार और सांप्रदायिक सद्भाव को आगे बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर सामुदायिक प्रयासों में सक्रिय रूप से शामिल हैं. उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने संधू के राज्यसभा के लिए नामांकन का स्वागत किया.
धनखड़ ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, 'सामुदायिक सेवा में उनका समृद्ध कार्य और शिक्षा, नवाचार और सीखने के प्रति उनका जुनून राज्यसभा के लिए ताकत का बड़ा स्रोत होगा. मैं उनके कार्यकाल के लिए उन्हें शुभकामनाएं देता हूं.' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उन्हें खुशी है कि राष्ट्रपति ने संधू को राज्यसभा के लिए नामित किया है.
प्रधानमंत्री ने 'एक्स' पर पोस्ट किया, 'सतनाम जी ने खुद को एक प्रसिद्ध शिक्षाविद् और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में स्थापित किया है. वह विभिन्न तरीकों से जमीनी स्तर पर लोगों की सेवा कर रहे हैं. उन्होंने हमेशा राष्ट्रीय एकता को आगे बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया है. उन्होंने भारतीय प्रवासियों के साथ भी काम किया है.' मोदी ने संधू को उनकी संसदीय यात्रा के लिए शुभकामनाएं दीं और कहा कि उन्हें विश्वास है कि राज्यसभा की कार्यवाही उनके विचारों से समृद्ध होगी.
कौन हैं सतनाम संधू: सतनाम सिंह संधू का जन्म फिरोजपुर के एक छोटे से गांव रसूलपुर में हुआ था. उनके पिता किसान थे और वे स्वयं किसान बन गए. इसके बाद उन्होंने 2001 में शिक्षा के क्षेत्र में प्रवेश किया और चंडीगढ़ विश्वविद्यालय की स्थापना की जो एक निजी विश्वविद्यालय है. उनके राजनीति में आने की अटकलें पहले से ही थीं और आखिरकार अब उनका सपना सच हो गया है.
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