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चंपाई सोरेन ने बताया क्यों ज्वाइन कर रहे बीजेपी, सोशल मीडिया पर कही मन की बात - Champai Soren in BJP

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 27, 2024, 8:50 PM IST

Updated : Aug 27, 2024, 9:29 PM IST

Champai Soren told why he is joining BJP. चंपाई सोरेन भले ही अभी बीजेपी में आधिकारिक रूप से शामिल नहीं हुए हैं. लेकिन इससे पहले ही वे बीजेपी की लाइन पर चलते हुए झारखंड सरकार और हेमंत सोरेन को घेर रहे हैं. अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर एक तरफ जहां उन्होंने ये बताया कि क्यों वे बीजेपी में शामिल हो रहे हैं तो दूसरी तरफ संथाल में डेमोग्राफिक चेंज को लेकर झारखंड सरकार पर निशाना भी साधा.

CHAMPAI SOREN IN BJP
डिजाइन इमेज (ईटीवी भारत)

रांची: एक बार फिर से झारखंड के पूर्व सीएम चंपाई सोरेन ने सोशल मीडिया एक्स पर अपनी बात साझा की है. इसमें उन्होंने कहा कि जनता से मिलने के बाद उन्होंने राजनीति से सन्यास लेने का विकल्प नकार दिया है.

चंपाई सोरेन ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है. ' जोहार साथियों, पिछले हफ्ते (18 अगस्त) एक पत्र द्वारा झारखंड समेत पूरे देश की जनता के सामने अपनी बात रखी थी. उसके बाद, मैं लगातार झारखंड की जनता से मिल कर, उनकी राय जानने का प्रयास करता रहा. कोल्हान क्षेत्र की जनता हर कदम पर मेरे साथ खड़ी रही, और उन्होंने ही संन्यास लेने का विकल्प नकार दिया. पार्टी में कोई ऐसा फोरम/मंच नहीं था, जहां मैं अपनी पीड़ा को व्यक्त कर पाता तथा मुझ से सीनियर नेता स्वास्थ्य कारणों से राजनीति से दूर हैं.

चंपाई सोरेन ने झारखंड में घुसपैठ के मुद्दे को उठाया

चंपाई सोरेन ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा 'आज बाबा तिलका मांझी और सिदो-कान्हू की पावन भूमि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ बहुत बड़ी समस्या बन चुका है. इससे दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता है कि जिन वीरों ने जल, जंगल व जमीन की लड़ाई में कभी विदेशी अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार नहीं की, आज उनके वंशजों की जमीनों पर ये घुसपैठिए कब्जा कर रहे हैं. इनकी वजह से फूलो-झानो जैसी वीरांगनाओं को अपना आदर्श मानने वाली हमारी माताओं, बहनों व बेटियों की अस्मत खतरे में है. आदिवासियों एवं मूलवासियों को आर्थिक तथा सामाजिक तौर पर तेजी से नुकसान पहुंचा रहे इन घुसपैठियों को अगर रोका नहीं गया, तो संथाल परगना में हमारे समाज का अस्तित्व संकट में आ जायेगा.'

चंपाई सोरेन ने कहा खतरे में आदिवासियों का अस्तित्व

चंपाई सोरेन ने कहा कि 'पाकुड़, राजमहल समेत कई अन्य क्षेत्रों में उनकी संख्या आदिवासियों से ज्यादा हो गई है. राजनीति से इतर, हमें इस मुद्दे को एक सामाजिक आंदोलन बनाना होगा, तभी आदिवासियों का अस्तित्व बच पाएगा. इस मुद्दे पर सिर्फ भाजपा ही गंभीर दिखती है और बाकी पार्टियां वोटों की खातिर इसे नजरअंदाज कर रही है. इसलिए आदिवासी अस्मिता एवं अस्तित्व को बचाने के इस संघर्ष में, मैने माननीय प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री जी के नेतृत्व में आस्था जताते हुए भारतीय जनता पार्टी से जुड़ने का फैसला लिया है. झारखंड के आदिवासियों, मूलवासियों, दलितों, पिछड़ों, गरीबों, मजदूरों, किसानों, महिलाओं, युवाओं एवं आम लोगों के मुद्दों एवं अधिकारों के संघर्ष वाले इस नए अध्याय में आप सभी का सहयोग अपेक्षित है. आपका, चम्पाई सोरेन.'

पूर्व सीएम चंपाई सोरेन के इस पोस्ट से साफ जाहिर है कि बीजेपी ने जिस तरह से संथाल में बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे को उठाया है उसे वह और धार देने के मूड में हैं.

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रांची: एक बार फिर से झारखंड के पूर्व सीएम चंपाई सोरेन ने सोशल मीडिया एक्स पर अपनी बात साझा की है. इसमें उन्होंने कहा कि जनता से मिलने के बाद उन्होंने राजनीति से सन्यास लेने का विकल्प नकार दिया है.

चंपाई सोरेन ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है. ' जोहार साथियों, पिछले हफ्ते (18 अगस्त) एक पत्र द्वारा झारखंड समेत पूरे देश की जनता के सामने अपनी बात रखी थी. उसके बाद, मैं लगातार झारखंड की जनता से मिल कर, उनकी राय जानने का प्रयास करता रहा. कोल्हान क्षेत्र की जनता हर कदम पर मेरे साथ खड़ी रही, और उन्होंने ही संन्यास लेने का विकल्प नकार दिया. पार्टी में कोई ऐसा फोरम/मंच नहीं था, जहां मैं अपनी पीड़ा को व्यक्त कर पाता तथा मुझ से सीनियर नेता स्वास्थ्य कारणों से राजनीति से दूर हैं.

चंपाई सोरेन ने झारखंड में घुसपैठ के मुद्दे को उठाया

चंपाई सोरेन ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा 'आज बाबा तिलका मांझी और सिदो-कान्हू की पावन भूमि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ बहुत बड़ी समस्या बन चुका है. इससे दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता है कि जिन वीरों ने जल, जंगल व जमीन की लड़ाई में कभी विदेशी अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार नहीं की, आज उनके वंशजों की जमीनों पर ये घुसपैठिए कब्जा कर रहे हैं. इनकी वजह से फूलो-झानो जैसी वीरांगनाओं को अपना आदर्श मानने वाली हमारी माताओं, बहनों व बेटियों की अस्मत खतरे में है. आदिवासियों एवं मूलवासियों को आर्थिक तथा सामाजिक तौर पर तेजी से नुकसान पहुंचा रहे इन घुसपैठियों को अगर रोका नहीं गया, तो संथाल परगना में हमारे समाज का अस्तित्व संकट में आ जायेगा.'

चंपाई सोरेन ने कहा खतरे में आदिवासियों का अस्तित्व

चंपाई सोरेन ने कहा कि 'पाकुड़, राजमहल समेत कई अन्य क्षेत्रों में उनकी संख्या आदिवासियों से ज्यादा हो गई है. राजनीति से इतर, हमें इस मुद्दे को एक सामाजिक आंदोलन बनाना होगा, तभी आदिवासियों का अस्तित्व बच पाएगा. इस मुद्दे पर सिर्फ भाजपा ही गंभीर दिखती है और बाकी पार्टियां वोटों की खातिर इसे नजरअंदाज कर रही है. इसलिए आदिवासी अस्मिता एवं अस्तित्व को बचाने के इस संघर्ष में, मैने माननीय प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री जी के नेतृत्व में आस्था जताते हुए भारतीय जनता पार्टी से जुड़ने का फैसला लिया है. झारखंड के आदिवासियों, मूलवासियों, दलितों, पिछड़ों, गरीबों, मजदूरों, किसानों, महिलाओं, युवाओं एवं आम लोगों के मुद्दों एवं अधिकारों के संघर्ष वाले इस नए अध्याय में आप सभी का सहयोग अपेक्षित है. आपका, चम्पाई सोरेन.'

पूर्व सीएम चंपाई सोरेन के इस पोस्ट से साफ जाहिर है कि बीजेपी ने जिस तरह से संथाल में बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे को उठाया है उसे वह और धार देने के मूड में हैं.

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Last Updated : Aug 27, 2024, 9:29 PM IST
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