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महाराष्ट्र में बागियों से जूझ रहे दोनों गठबंधन, विद्रोह को दबाने की चुनौती, जानें कहां और किसने खोला मोर्चा?

महायुति और महाविकास आघाड़ी के सामने दिवाली के दौरान इन बागियों को ठंडा करने की बड़ी चुनौती है.

महाराष्ट्र में बागियों से जूझ रहे दोनों गठबंधन
महाराष्ट्र में बागियों से जूझ रहे दोनों गठबंधन (ETV Bharat Graphics)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 31, 2024, 10:17 PM IST

मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक कई उम्मीदवारों के बीच नाराजगी देखने को मिल रही है. पार्टी द्वारा इच्छुक उम्मीदवारों को टिकट न दिए जाने या नाम वापस लेने के कारण राज्य में कई उम्मीदवारों ने बगावत का रुख अपनाया है. इन बागियों ने पार्टी के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार उतरने का फैसला किया है. इसलिए भले ही आवेदन वापस लेने की तिथि 4 नवंबर है, लेकिन अब तक सभी राजनीतिक दलों में बगावत की भावना व्याप्त है.

महायुति और महाविकास आघाड़ी के सामने दिवाली के दौरान इन बागियों को ठंडा करने की बड़ी चुनौती है. आवेदन वापस लेने के लिए केवल चार दिन बचे हैं. चूंकि दो दिन की छुट्टी बीत चुकी है, ऐसे में इन बागियों को पार्टी नेता दो दिन में कैसे मना पाते हैं? यह देखना महत्वपूर्ण होगा. हालांकि अभी दिवाली का त्योहार चल रहा है, लेकिन चुनाव का माहौल भी बना हुआ है.

बता दें कि 29 अक्टूबर को आवेदन जमा करने की आखिरी तारीख थी, जबकि 4 नवंबर को आवेदन वापस लेने की तारीख है. अगर बागी उम्मीदवार अपना आवेदन वापस लेते हैं या फिर निर्दलीय उम्मीदवार अपना आवेदन वापस लेते हैं, तो कौन किस उम्मीदवार के खिलाफ खड़ा होगा, इसकी तस्वीर साफ हो जाएगी, लेकिन फिलहाल सहयोगी दलों शिवसेना (शिंदे), भाजपा और एनसीपी (अजित पवार) और महागठबंधन में शिवसेना (ठाकरे), एनसीपी (शरद पवार) और कांग्रेस के बीच बड़ी बगावत देखने को मिल रही है.

इसके अलावा इन दलों के नेताओं के सामने यह भी एक बड़ा सवाल है कि विद्रोह को कैसे रोका जाए. दिवाली की छुट्टियों में कुछ राजनीतिक दलों के नेता छुट्टी मनाने निकल जाते हैं, लेकिन इस समय चुनाव का माहौल है और बागियों ने बगावत के हथियार उठा लिए हैं, ऐसे में नेताओं को उन्हें मनाकर शांत करना पड़ रहा है. नतीजतन, दिवाली पर नेताओं की सैर-सपाटा करने की योजना रद्द होती दिख रही है, क्योंकि छुट्टी के समय का इस्तेमाल इन बागियों की मनाने में किया जा रहा है.

1995 में 50 ज्यादा बागी उम्मीदवारों ने हासिल की थी जीत
बता दें कि 1995 के विधानसभा चुनाव में बागियों ने अहम भूमिका निभाई थी. 50 से ज्यादा उम्मीदवार चुनाव लड़े और जीते. उसके बाद वे बागी शिवसेना और भाजपा में शामिल हो गए और सरकार में शामिल हो गए. उस समय बागियों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण थी. क्या 1995 के विधानसभा चुनाव का असर 2024 के विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिल सकता है? यह भी देखना महत्वपूर्ण होगा.

क्या मानते हैं राजनीतिक विश्लेषक?
इस समय महायुति और महाविकास अघाड़ी में कई उम्मीदवारों के बागी होने के कारण एक ही सीट के लिए महायुति और महाविकास अघाड़ी से दो-दो आवेदन दाखिल किए गए हैं. क्या इस चुनाव में पार्टी के शीर्ष नेता बागियों को दबाने में सफल होंगे? राजनीतिक विश्लेषक जयंत मेनकर से जब यह सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, "देखिए, मुंबई के बोरीवली में गोपाल शेट्टी जैसे बड़े नेताओं ने बगावत कर दी है, लेकिन मूल रूप से शेट्टी संघ के सदस्य हैं.

ईटीवी भारत से बात करते हुए जयंत मेनकर ने कहा कि उनको शांत करने के लिए संघ का कोई आदमी जरूर वहां जाएगा और उनको मनाएगा या फिर कोई और पद दिलवाएगा. यह प्रलोभन होगा. बीजेपी बागियों को शांत करने में कामयाब हो जाएगी, लेकिन शिवसेना (शिंदे) में जो बगावत हुई है, उससे बीजेपी को झटका लगेगा, क्योंकि ऐसा लगता है कि महागठबंधन में बगावत करने वाले शांत नहीं होंगे.

दूसरी ओर शिवसेना (उद्धव ठाकरे), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) और कांग्रेस में बागी नेताओं की बात सुनने के मूड में नहीं हैं. महाविकास अघाड़ी को नुकसान हो सकता है, लेकिन यह भी देखा जा रहा है कि पार्टी के टॉप नेता बागियों को दूसरी जगह तैनात करके मना लेंगे. मेनकर ने यह भी कहा है कि उन्हें मनाने में कुछ हद तक सफलता भी मिल सकती है.

राज्य में कहां-कहां और किसने बगावत की?
मुंबई के बोरीवली में भाजपा के गोपाल शेट्टी को टिकट नहीं मिला तो उन्होंने बगावत कर संजय उपाध्याय के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवारी ठोकी. मुंबादेवी सीट पर भाजपा की शाइना एनसी के शिंदे शिवसेना से आवेदन दाखिल करने पर भाजपा के अतुल शाह ने बगावत कर उम्मीदवारी पेश की. वहीं, माहिम में शिंदे शिवसेना के सदा सरवणकर ने दो नामांकन पत्र दाखिल किए हैं. उन पर नाम वापस लेने का दबाव है.MNS अध्यक्ष राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे भी यहां से चुनाव लड़ रहे हैं.

छगन भुजबल के भतीजे समीर भुजबल ने शिवसेना (शिंदे) उम्मीदवार सुहास कांदे के खिलाफ बगावत कर नांदगांव में पर्चा दाखिल किया है. पूर्व सांसद हिना गावित ने भी अक्कलकुवा निर्वाचन क्षेत्र में बगावत कर दी है. पुणे की कस्बा सीट पर कांग्रेस के कमल व्यावये ने बागी तेवर अपनाए हैं, जबकि ठाणे की कोपरी-पचपाखड़ी सीट पर कांग्रेस के मनोज शिंदे ने बागी हो गए हैं. उद्धव ठाकरे की शिवसेना की ओर से यहां केदार दिघे उम्मीदवार बनाए गए हैं.

इसी तरह शरद पवार की एनसीपी के ययाति नाइक ने भी बगावत कर दी और करंजा निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवारी का पर्चा दाखिल किया. वहीं, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के विजय चौघुले ने ऐरोली में भाजपा के गणेश नाइक के खिलाफ बगावत कर दी है. बेलापुर में शिंदे गुट के विजय नाहटा ने भाजपा की मंदा म्हात्रे के खिलाफ बगावत का हथियार उठा लिया है. कल्याण में भी शिंदे गुट के महेश गायकवाड़ ने भाजपा की सुलभा गायकवाड़ के खिलाफ आवाज बुलंद की है.

विक्रमगढ़ में शिंदे शिवसेना के प्रकाश निकम ने बीजेपी के हरिश्चंद्र भोये के खिलाफ बगावत कर दी है. फुलम्बरी में शिंदे के रमेश पवार ने भाजपा की अनुराधा गायकवाड़ के खिलाफ बगावत कर दी है . वहीं, सोलापुर में मनीष कालजे ने भाजपा के देवेंद्र कोठे के खिलाफ खड़े हो गए हैं, जबकि पचोरा में भाजपा के अमोल शिंदे ने शिंदे गुट के किशोर पाटिल के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है.

बुल्दानी में बीजेपी के विजयराज शिंदे ने शिवसेना (शिंदे गुट) के संजय गायकवाड़ के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन किया. ओवला-माजीवाड़ा में सिंध के प्रताप सरनाईक के खिलाफ बीजेपी के हसमुख गहलोत ने बगावत कर दी. पैठण में भाजपा के सुनील शिंदे ने शिवसेना (शिंदे) विलास भुमर के खिलाफ बगावत कर दी है. जालनाया में भाजपा के भास्कर दानवे ने शिंदे गुट के अर्जुन खोतकर के खिलाफ बगावत कर दी है. सिल्लोड में शिंदे गुट के अब्दुल सत्तार का मुकाबला भाजपा के सुनील मिरकर से होगा.

सावंतवाड़ी में भाजपा के विशाल परब ने शिवसेना के दीपक केसरकर के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका है. इसी तरह कलवन में भाजपा के रमेश थोरात ने महायुति के नितिन पवार के खिलाफ विद्रोह किया है. कर्जत में भाजपा की किरण ठाकरे का मुकाबला शिंदे गुट के महेंद्र थोरवे से होगा. अमलनेर में भाजपा के शिरीष चौधरी ने एनसीपी (अजित पवार) अनिल पाटिल के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका है.

वहीं, अमरावती सीट पर भाजपा के जगदीश गुप्ता का मुकाबला अजित पवार की सुलभा खोडके से होगा. जुन्नार में भी भाजपा की आशा बुचके और अतुल बुचके चुनाव लड़ेंगे. उदगीर में भाजपा के दिलीप गायकवाड़ ने संजय बनसोडे के खिलाफ बगावत कर दी है.

अजित पवार एनसीपी के धर्मराव अत्राम के खिलाफ भाजपा के अंबरीश आत्राम का विरोध किया है., जबकि मुलुंड सीट पर महाविकास अघाड़ी से शरद पवार और कांग्रेस ने जब से आवेदन दाखिल किया है, तब से एमवीए में ही बगावत के आसार हैं.

मानखुर्द-शिवाजीनगर सीट से भी अजित पवार के विधायक और पूर्व मंत्री नवाब मलिक ने आवेदन दाखिल किया है, वहीं दूसरी ओर महागठबंधन की ओर से शिंदे के सुरेश पाटिल को उम्मीदवार बनाया गया है, भाजपा ने कहा है कि वह मलिक के लिए प्रचार नहीं करेगी.

मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक कई उम्मीदवारों के बीच नाराजगी देखने को मिल रही है. पार्टी द्वारा इच्छुक उम्मीदवारों को टिकट न दिए जाने या नाम वापस लेने के कारण राज्य में कई उम्मीदवारों ने बगावत का रुख अपनाया है. इन बागियों ने पार्टी के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार उतरने का फैसला किया है. इसलिए भले ही आवेदन वापस लेने की तिथि 4 नवंबर है, लेकिन अब तक सभी राजनीतिक दलों में बगावत की भावना व्याप्त है.

महायुति और महाविकास आघाड़ी के सामने दिवाली के दौरान इन बागियों को ठंडा करने की बड़ी चुनौती है. आवेदन वापस लेने के लिए केवल चार दिन बचे हैं. चूंकि दो दिन की छुट्टी बीत चुकी है, ऐसे में इन बागियों को पार्टी नेता दो दिन में कैसे मना पाते हैं? यह देखना महत्वपूर्ण होगा. हालांकि अभी दिवाली का त्योहार चल रहा है, लेकिन चुनाव का माहौल भी बना हुआ है.

बता दें कि 29 अक्टूबर को आवेदन जमा करने की आखिरी तारीख थी, जबकि 4 नवंबर को आवेदन वापस लेने की तारीख है. अगर बागी उम्मीदवार अपना आवेदन वापस लेते हैं या फिर निर्दलीय उम्मीदवार अपना आवेदन वापस लेते हैं, तो कौन किस उम्मीदवार के खिलाफ खड़ा होगा, इसकी तस्वीर साफ हो जाएगी, लेकिन फिलहाल सहयोगी दलों शिवसेना (शिंदे), भाजपा और एनसीपी (अजित पवार) और महागठबंधन में शिवसेना (ठाकरे), एनसीपी (शरद पवार) और कांग्रेस के बीच बड़ी बगावत देखने को मिल रही है.

इसके अलावा इन दलों के नेताओं के सामने यह भी एक बड़ा सवाल है कि विद्रोह को कैसे रोका जाए. दिवाली की छुट्टियों में कुछ राजनीतिक दलों के नेता छुट्टी मनाने निकल जाते हैं, लेकिन इस समय चुनाव का माहौल है और बागियों ने बगावत के हथियार उठा लिए हैं, ऐसे में नेताओं को उन्हें मनाकर शांत करना पड़ रहा है. नतीजतन, दिवाली पर नेताओं की सैर-सपाटा करने की योजना रद्द होती दिख रही है, क्योंकि छुट्टी के समय का इस्तेमाल इन बागियों की मनाने में किया जा रहा है.

1995 में 50 ज्यादा बागी उम्मीदवारों ने हासिल की थी जीत
बता दें कि 1995 के विधानसभा चुनाव में बागियों ने अहम भूमिका निभाई थी. 50 से ज्यादा उम्मीदवार चुनाव लड़े और जीते. उसके बाद वे बागी शिवसेना और भाजपा में शामिल हो गए और सरकार में शामिल हो गए. उस समय बागियों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण थी. क्या 1995 के विधानसभा चुनाव का असर 2024 के विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिल सकता है? यह भी देखना महत्वपूर्ण होगा.

क्या मानते हैं राजनीतिक विश्लेषक?
इस समय महायुति और महाविकास अघाड़ी में कई उम्मीदवारों के बागी होने के कारण एक ही सीट के लिए महायुति और महाविकास अघाड़ी से दो-दो आवेदन दाखिल किए गए हैं. क्या इस चुनाव में पार्टी के शीर्ष नेता बागियों को दबाने में सफल होंगे? राजनीतिक विश्लेषक जयंत मेनकर से जब यह सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, "देखिए, मुंबई के बोरीवली में गोपाल शेट्टी जैसे बड़े नेताओं ने बगावत कर दी है, लेकिन मूल रूप से शेट्टी संघ के सदस्य हैं.

ईटीवी भारत से बात करते हुए जयंत मेनकर ने कहा कि उनको शांत करने के लिए संघ का कोई आदमी जरूर वहां जाएगा और उनको मनाएगा या फिर कोई और पद दिलवाएगा. यह प्रलोभन होगा. बीजेपी बागियों को शांत करने में कामयाब हो जाएगी, लेकिन शिवसेना (शिंदे) में जो बगावत हुई है, उससे बीजेपी को झटका लगेगा, क्योंकि ऐसा लगता है कि महागठबंधन में बगावत करने वाले शांत नहीं होंगे.

दूसरी ओर शिवसेना (उद्धव ठाकरे), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) और कांग्रेस में बागी नेताओं की बात सुनने के मूड में नहीं हैं. महाविकास अघाड़ी को नुकसान हो सकता है, लेकिन यह भी देखा जा रहा है कि पार्टी के टॉप नेता बागियों को दूसरी जगह तैनात करके मना लेंगे. मेनकर ने यह भी कहा है कि उन्हें मनाने में कुछ हद तक सफलता भी मिल सकती है.

राज्य में कहां-कहां और किसने बगावत की?
मुंबई के बोरीवली में भाजपा के गोपाल शेट्टी को टिकट नहीं मिला तो उन्होंने बगावत कर संजय उपाध्याय के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवारी ठोकी. मुंबादेवी सीट पर भाजपा की शाइना एनसी के शिंदे शिवसेना से आवेदन दाखिल करने पर भाजपा के अतुल शाह ने बगावत कर उम्मीदवारी पेश की. वहीं, माहिम में शिंदे शिवसेना के सदा सरवणकर ने दो नामांकन पत्र दाखिल किए हैं. उन पर नाम वापस लेने का दबाव है.MNS अध्यक्ष राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे भी यहां से चुनाव लड़ रहे हैं.

छगन भुजबल के भतीजे समीर भुजबल ने शिवसेना (शिंदे) उम्मीदवार सुहास कांदे के खिलाफ बगावत कर नांदगांव में पर्चा दाखिल किया है. पूर्व सांसद हिना गावित ने भी अक्कलकुवा निर्वाचन क्षेत्र में बगावत कर दी है. पुणे की कस्बा सीट पर कांग्रेस के कमल व्यावये ने बागी तेवर अपनाए हैं, जबकि ठाणे की कोपरी-पचपाखड़ी सीट पर कांग्रेस के मनोज शिंदे ने बागी हो गए हैं. उद्धव ठाकरे की शिवसेना की ओर से यहां केदार दिघे उम्मीदवार बनाए गए हैं.

इसी तरह शरद पवार की एनसीपी के ययाति नाइक ने भी बगावत कर दी और करंजा निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवारी का पर्चा दाखिल किया. वहीं, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के विजय चौघुले ने ऐरोली में भाजपा के गणेश नाइक के खिलाफ बगावत कर दी है. बेलापुर में शिंदे गुट के विजय नाहटा ने भाजपा की मंदा म्हात्रे के खिलाफ बगावत का हथियार उठा लिया है. कल्याण में भी शिंदे गुट के महेश गायकवाड़ ने भाजपा की सुलभा गायकवाड़ के खिलाफ आवाज बुलंद की है.

विक्रमगढ़ में शिंदे शिवसेना के प्रकाश निकम ने बीजेपी के हरिश्चंद्र भोये के खिलाफ बगावत कर दी है. फुलम्बरी में शिंदे के रमेश पवार ने भाजपा की अनुराधा गायकवाड़ के खिलाफ बगावत कर दी है . वहीं, सोलापुर में मनीष कालजे ने भाजपा के देवेंद्र कोठे के खिलाफ खड़े हो गए हैं, जबकि पचोरा में भाजपा के अमोल शिंदे ने शिंदे गुट के किशोर पाटिल के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है.

बुल्दानी में बीजेपी के विजयराज शिंदे ने शिवसेना (शिंदे गुट) के संजय गायकवाड़ के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन किया. ओवला-माजीवाड़ा में सिंध के प्रताप सरनाईक के खिलाफ बीजेपी के हसमुख गहलोत ने बगावत कर दी. पैठण में भाजपा के सुनील शिंदे ने शिवसेना (शिंदे) विलास भुमर के खिलाफ बगावत कर दी है. जालनाया में भाजपा के भास्कर दानवे ने शिंदे गुट के अर्जुन खोतकर के खिलाफ बगावत कर दी है. सिल्लोड में शिंदे गुट के अब्दुल सत्तार का मुकाबला भाजपा के सुनील मिरकर से होगा.

सावंतवाड़ी में भाजपा के विशाल परब ने शिवसेना के दीपक केसरकर के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका है. इसी तरह कलवन में भाजपा के रमेश थोरात ने महायुति के नितिन पवार के खिलाफ विद्रोह किया है. कर्जत में भाजपा की किरण ठाकरे का मुकाबला शिंदे गुट के महेंद्र थोरवे से होगा. अमलनेर में भाजपा के शिरीष चौधरी ने एनसीपी (अजित पवार) अनिल पाटिल के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका है.

वहीं, अमरावती सीट पर भाजपा के जगदीश गुप्ता का मुकाबला अजित पवार की सुलभा खोडके से होगा. जुन्नार में भी भाजपा की आशा बुचके और अतुल बुचके चुनाव लड़ेंगे. उदगीर में भाजपा के दिलीप गायकवाड़ ने संजय बनसोडे के खिलाफ बगावत कर दी है.

अजित पवार एनसीपी के धर्मराव अत्राम के खिलाफ भाजपा के अंबरीश आत्राम का विरोध किया है., जबकि मुलुंड सीट पर महाविकास अघाड़ी से शरद पवार और कांग्रेस ने जब से आवेदन दाखिल किया है, तब से एमवीए में ही बगावत के आसार हैं.

मानखुर्द-शिवाजीनगर सीट से भी अजित पवार के विधायक और पूर्व मंत्री नवाब मलिक ने आवेदन दाखिल किया है, वहीं दूसरी ओर महागठबंधन की ओर से शिंदे के सुरेश पाटिल को उम्मीदवार बनाया गया है, भाजपा ने कहा है कि वह मलिक के लिए प्रचार नहीं करेगी.

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