पटना : बिहार में लोकसभा की 40 सीट है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पाला बदलने के बाद एनडीए में 6 दल शामिल हो चुके हैं. बिहार में फिलहाल 17 सीटिंग सीट बीजेपी के पास है जदयू के पास 16 सीट और लोजपा के दोनों गुट के पास 6 सीट है. उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी की पार्टी के पास एक भी लोकसभा की सीट नहीं है. लेकिन उपेंद्र कुशवाहा भी काराकाट और जहानाबाद सीट की मांग कर रहे हैं. जीतन राम मांझी गया सीट की मांग कर रहे हैं. जबकि ये तीनों सीट जदयू के पास है.
6 दलों के बीच अपनी दावेदारी : ऐसे में नीतीश कुमार से तीनों सीट लेना बीजेपी के लिए और सहयोगियों के लिए एक बड़ी चुनौती है. सार्वजनिक रूप से उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी फिलहाल कितने सीट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं, नहीं बोल रहे हैं. लेकिन कार्यक्रमों से अपनी दावेदारी जरूर ठोक रहे हैं. हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष और जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन भी कह रहे हैं चुनाव तो लड़ेंगे लेकिन अभी दावेदारी वाली कोई बात नहीं सबकी सहमति से तय होगा.
सीटों पर करना होगा समझौता? : लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले नीतीश कुमार NDA में आ चुके हैं. ऐसे 2019 में नीतीश कुमार एनडीए में ही थे और एनडीए को 40 में से 39 सीट पर जीत मिली थी. जिसमें 17 में से 16 सीट पर नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने जीत हासिल की थी. बीजेपी भी 17 सीट पर चुनाव लड़ी और 17 जीत गई. वहीं लोजपा उस समय 6 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 6 पर जीत मिली थी. लेकिन उसके बाद चिराग पासवान और पशुपति पारस अलग-अलग गुट में बंटा है. हाजीपुर सीट को लेकर दोनों के बीच विवाद है और दोनों गुट के साथ सीटों का बंटवारा कैसे होगा? ये भाजपा के लिए भी एक बड़ी चुनौती है.
सीटों की दावेदारी से दंगल तय : दूसरी तरफ उपेंद्र कुशवाहा काराकाट और जहानाबाद सीट चाहते हैं. काराकाट से उपेंद्र कुशवाहा खुद चुनाव लड़ेंगे. उपेंद्र कुशवाहा को काराकाट सीट मिलेगा यह तय माना जा रहा है. वहीं जीतन राम मांझी अपने बेटे सुमन मांझी के लिए गया का सीट चाहते हैं काराकाट, जहानाबाद और गया सीट फिलहाल नीतीश कुमार के पास है. उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी ऐसे तो सीट को लेकर अभी कोई बयान नहीं दे रहे हैं, लेकिन दोनों कार्यक्रमों के माध्यम से दावेदारी जरूर कर रहे हैं.
एक्टिव हुए HAM और RLM : उपेंद्र कुशवाहा जहानाबाद और काराकाट में लगातार कार्यक्रम कर रहे हैं. जीतन राम मांझी भी गया में अपना कार्यक्रम करते रहे हैं. पटना में भी कार्यक्रम सम्मेलन कर रहे हैं. एक तरह से अपनी दावेदारी लोकसभा चुनाव में भी ठोक रहे हैं. NDA में अभी तक सीटों के बंटवारे पर कोई चर्चा नहीं हुई है. जीतन मांझी भी कह रहे हैं कि सब मिल बैठकर फैसला कर लेंगे कहीं से कोई परेशानी नहीं होगी.
''एनडीए में सीटों का बंटवारा हो जाएगा. नीतीश कुमार के आने से कहीं से कोई परेशानी नहीं होगी. आगे जल्द ही इस पर फैसला होगा. नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरे देश में 400 के पार और बिहार में 40 सीट हम लोग जीतेंगे.''- प्रेम कुमार, मंत्री बिहार
बीजेपी पर दारोमदार : राजनीतिक विशेषज्ञ प्रेम रंजन भारती का कहना है NDA में सारा दारोमदार बीजेपी पर ही है. बीजेपी जो कहेगी सभी पार्टियों को मानना ही पड़ेगा. गठबंधन में शामिल दल मांग तो करते ही रहते हैं. यह कोई नई बात नहीं है. दावेदारी NDA में भी घटक दल करेंगे, लेकिन बीजेपी इस बार अधिक सीटों पर चुनाव लड़ सकती है. वहीं जदयू को कुछ सीट का नुकसान हो सकता है. उन्हीं सीटों से उपेंद्र कुशवाहा को खुश करने की कोशिश होगी. बीजेपी जिन्हें लोकसभा में सीट नहीं दे पाएगी विधान परिषद और अन्य माध्यमों से भी खुश कर देगी.
सीटों को लेकर अंदरखाने सुगबुगाहट : चर्चा तो अभी है कि कुछ सीएम नीतीश कुमार भी कुछ सीट बदलना चाहते हैं. जैसे कि अशोक चौधरी के चुनाव लड़ने की भी चर्चा हो रही है. जमुई सीट से उन्हें नीतीश कुमार लड़ा सकते हैं जमुई सीट फिलहाल लोजपा गुट के पास है. सीतामढ़ी सीट ऐसे तो जदयू के पास है, लेकिन बीजेपी ने अपना उम्मीदवार दिया था. इस बार नीतीश कुमार विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर को चुनाव लड़ाना चाहते हैं. प्रेम रंजन भारती का कहना है कि कुछ सीटों पर तो पेंच फंसेगा ही. लेकिन बातचीत कर बीजेपी उसका भी रास्ता निकालेगी यह तय है.
NDA में बनेगा सीट शेयरिंग फॉर्मूला : बिहार विधानसभा में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है, उसके 78 विधायक हैं. वहीं जदयू दूसरे नंबर पर है. उसके 45 विधायक हैं. एक निर्दलीय का भी समर्थन मिल रहा है. हम के पास चार विधायक हैं. लेकिन उपेंद्र कुशवाहा और लोजपा के दोनों गुटों के पास एक भी विधायक नहीं है. सीटों के बंटवारा के लिए अब देखना है विधानसभा और लोकसभा की हैसियत के हिसाब से एनडीए कौन सा फार्मूला तैयार करता है.
सस्पेंस अभी बाकी है : लोकसभा चुनाव में ऐसे तो अब बहुत ज्यादा समय नहीं है. जल्द ही NDA में भी सीटों को लेकर फैसला होगा. कुछ सीट नीतीश कुमार को भी छोड़ना होगा, यह तय माना जा रहा है. क्योंकि 2019 में NDA में जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा नहीं थे. इस बार दोनों शामिल हैं तो उनके लिए भी व्यवस्था करनी होगी. ऐसे में देखना है कि जीतन मांझी को सीट मिलता है या नहीं और उपेंद्र कुशवाहा को कौन सी सीट दिया जाता है.
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