नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वो हुक्का की गैरकानूनी रूप से ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगाने की मांग पर प्रतिवेदन की तरह विचार करे. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार से कहा कि ये काफी महत्वपूर्ण मसला है. आप इस पर अवश्य फैसला करें. हाईकोर्ट ने कहा कि ये मसला कानून से भी जुड़ा है. प्रावधान लागू नहीं हो रहे हैं. इसे लागू करने वाली एजेंसी कौन है. आप इसे लेकर एक मानक प्रक्रिया का पालन करें.
हाईकोर्ट ने याचिका पर गौर करते हुए पाया कि याचिकाकर्ता ने किसी प्राधिकार को कोई प्रतिवेदन नहीं दिया है. कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार तीन महीने के अंदर प्रतिवेदन पर फैसला करे. अगर याचिकाकर्ता प्रतिवेदन के फैसले से असंतुष्ट हों तो वे दोबारा कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं. याचिका जगत मित्र फाउंडेशन ने दायर किया था. याचिका में हुक्का की ई-कॉमर्स प्लेटफार्म के जरिए बिक्री पर तत्काल रोक लगाने की मांग की गई थी. याचिका में कहा गया था कि ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर बिना किसी चेतावनी के हुक्का बेचा जा रहा है. यहां तक कि हुक्का बेचने के लिए उम्र का भी वेरिफिकेशन नहीं किया जा रहा है कि खरीदार किस उम्र का है.
याचिका में कहा गया है कि हुक्का की बिक्री लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है और यह संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है. ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर इनकी बिक्री कोप्टा कानून का भी उल्लंघन है. याचिका में कहा गया है कि हर सार्वजनिक स्थान पर स्मोकिंग एरिया अलग होता है, लेकिन हुक्का का धुआं हर जगह फैलता है और वो खाद्य पदार्थों में भी घुलता है.
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