कोटा. केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति 2020 के तहत कोचिंग इंस्टीट्यूशन रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन गाइडलाइन-2024 जारी की है. इस गाइडलाइन का प्रभाव सबसे ज्यादा कोटा की कोचिंग सेंटरों पर पड़ रहा है, क्योंकि कोटा मेडिकल और इंजीनियरिंग एंट्रेंस का देश का सबसे बड़ा हब है. ऐसे में अब कोटा से ही इस गाइडलाइन में बदलाव की मांग उठने लगी है. कोटा के एजुकेशन एक्सपर्ट्स का मानना है कि साइंस के विद्यार्थी मेडिकल और इंजीनियरिंग एंट्रेंस की तैयारी कक्षा 9 से ही शुरू कर देते हैं, क्योंकि उनके लिए बेस मजबूत होना काफी जरूरी है.
एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा का कहना है कि केंद्र सरकार को साइंस के विद्यार्थियों के लिए तय की गई उम्र में छूट देनी चाहिए है. सरकार ने गाइडलाइन में कहा है कि 16 साल से ज्यादा उम्र के स्टूडेंट को ही कोचिंग में प्रवेश मिलेगा, लेकिन साइंस के विद्यार्थियों के लिए यह 14 वर्ष होना जरूरी है. ऐसे में साइंस के स्टूडेंट्स को दसवीं पास करने की जगह आठवीं पास करने के बाद भी कोचिंग में प्रवेश की अनुमति दी जाए.
पहले से तय कर लेते हैं किसमें लेना है एडमिशन : देव शर्मा का यह भी कहना है कि भारतीय शैक्षणिक परिदृश्य में लाखों विद्यार्थी व अभिभावक नवीं कक्षा के दौरान निर्धारित कर लेते हैं कि उन्हें इंजीनियरिंग या मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कर भविष्य में आईआईटी, एम्स, जिप्मेर जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रवेश लेना है. शैक्षणिक भविष्य को लेकर ये सभी विद्यार्थी व अभिभावको को यह पता होता है कि लक्ष्य बड़ा है. ये एक जांची-परखी रणनीति के तहत उच्च गुणवत्ता की शिक्षा के लिए कोचिंग-संस्थानों में प्रवेश लेकर अध्ययन शुरू कर देते हैं, इसीलिए यह लोग कोटा ही नहीं देश के अन्य शहरों में भी कोचिंग के लिए बच्चों को भेजते हैं, जहां पर प्रतियोगी प्रवेश परीक्षाओं में सफल होने के गुर सिखाए जाते हैं.
नेगेटिव मार्किंग व ओएमआर शीट कैसे भरें : देव शर्मा का कहना है कि किस प्रकार के प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं ? विद्यार्थी कैसी गलतियां करते हैं और उन गलतियों से बचने के क्या तरीके हैं ? कोचिंग संस्थानों में प्रवेश लेकर यह सभी जरूरी तथ्य विद्यार्थी पहले सीख जाते हैं. यही कारण है कि जेईई एडवांस्ड, नीट यूजी परीक्षा के टॉप रैंकर्स इन्हीं विद्यार्थियों में से होते हैं. देश के सर्वश्रेष्ठ इंजीनियरिंग व मेडिकल प्रवेश परीक्षा में टॉप रैंक के साथ सफल होने वाले विद्यार्थियों के आंकड़े इन फैक्ट्स को साफ कर देते हैं.
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देव शर्मा का कहना है कि 11वीं कक्षा में कोचिंग संस्थानों में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों के मन को टटोला जाए, तो वे भी यही कहते हैं कि नवीं कक्षा में प्रवेश ले लेते तो ज्यादा बेहतर होता, यही बात 12वीं पास करने के बाद कोचिंग में तैयारी करने वाले विद्यार्थी कहते हैं. एजुकेशन एक्सपर्ट ने बताया कि विज्ञान आधारित विषयों के सिलेबस पर गौर किया जाए तो ज्ञात होता है कि नवीं व ग्यारहवीं का और दसवीं एवं बारहवीं का सिलेबस समान है. कोचिंग संस्थानों में विद्यार्थी नवीं व दसवीं कक्षा में ही विज्ञान व गणित विषय की बारीकियां को गहराई से समझ लेते हैं. इसीलिए यह विद्यार्थी दूसरों से आगे निकल जाते होते हैं.