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हर साल इस दिन मनाया जाएगा 'संविधान हत्या दिवस', सरकार ने की घोषणा, जानें क्या है उद्देश्य - SAMVIDHAN HATYA DIVAS

Samvidhan Hatya Divas: भारत सरकार ने हर साल 'संविधान हत्या दिवस' मनाने का ऐलान किया है. इसका उद्देश्य उन लोगों के संघर्ष का सम्मान करना है, जिन्होंने इमरजेंसी के दौरान यातनाओं और उत्पीड़न का सामना किया था. वहीं, पीएम मोदी ने इमरजेंसी को काला दौर बताया.

Amit shah
अमित शाह (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 12, 2024, 4:26 PM IST

नई दिल्ली: भारत सरकार ने हर साल 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' मनाने का फैसला किया है. इस बात की जानकारी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दी. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि यह दिन उन सभी लोगों के योगदान का स्मरण कराएगा, जिन्होंने 1975 के आपातकाल के अमानवीय दर्द को झेला था.

उन्होंने कहा, "25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी तानाशाही मानसिकता को दर्शाते हुए देश में इमरजेंसी लगाकर भारतीय लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंट दिया था. इस दौरान लाखों लोगों को बिना वजह जेल में डाल दिया गया. इतना ही नहीं मीडिया की आवाज को भी दबा दिया गया."

अमानवीय दर्द झेलने वालों को किया जाएगा याद
गृह मंत्री ने आगे कहा कि भारत सरकार ने हर साल 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मनाने का निर्णय किया है. इस दिन उन सभी लोगों के विराट योगदान का स्मरण किया जाएगा, जिन्होंने 1975 के आपातकाल के अमानवीय दर्द को झेला था.

लाखों लोगों के संघर्ष का सम्मान करना उद्देश्य
अमित शाह ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के लिए इस फैसले का उद्देश्य उन लाखों लोगों के संघर्ष का सम्मान करना है, जिन्होंने तानाशाही सरकार की अनगिनत यातनाओं और उत्पीड़न का सामना करने के बावजूद लोकतंत्र को पुनर्जीवित करने के लिए संघर्ष किया.

उन्होंने कहा कि ‘संविधान हत्या दिवस’ हर भारतीय के अंदर लोकतंत्र की रक्षा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की अमर ज्योति को जीवित रखने का काम करेगा, ताकि कांग्रेस जैसी कोई भी तानाशाही मानसिकता भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति न कर पाए.

'भारतीय इतिहास का काला दौर'
वहीं, इस संबंध में पीएम मोदी ने कहा कि 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाना हमें याद दिलाएगा कि जब भारत के संविधान को कुचला गया था, तब क्या हुआ था. यह उन सभी लोगों को श्रद्धांजलि देने का भी दिन है, जिन्होंने आपातकाल की ज्यादतियों के कारण कष्ट झेले थे. यह भारतीय इतिहास का एक काला दौर था.

यह भी पढ़ें- जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा की दिल्ली में बड़ी बैठक

नई दिल्ली: भारत सरकार ने हर साल 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' मनाने का फैसला किया है. इस बात की जानकारी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दी. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि यह दिन उन सभी लोगों के योगदान का स्मरण कराएगा, जिन्होंने 1975 के आपातकाल के अमानवीय दर्द को झेला था.

उन्होंने कहा, "25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी तानाशाही मानसिकता को दर्शाते हुए देश में इमरजेंसी लगाकर भारतीय लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंट दिया था. इस दौरान लाखों लोगों को बिना वजह जेल में डाल दिया गया. इतना ही नहीं मीडिया की आवाज को भी दबा दिया गया."

अमानवीय दर्द झेलने वालों को किया जाएगा याद
गृह मंत्री ने आगे कहा कि भारत सरकार ने हर साल 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मनाने का निर्णय किया है. इस दिन उन सभी लोगों के विराट योगदान का स्मरण किया जाएगा, जिन्होंने 1975 के आपातकाल के अमानवीय दर्द को झेला था.

लाखों लोगों के संघर्ष का सम्मान करना उद्देश्य
अमित शाह ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के लिए इस फैसले का उद्देश्य उन लाखों लोगों के संघर्ष का सम्मान करना है, जिन्होंने तानाशाही सरकार की अनगिनत यातनाओं और उत्पीड़न का सामना करने के बावजूद लोकतंत्र को पुनर्जीवित करने के लिए संघर्ष किया.

उन्होंने कहा कि ‘संविधान हत्या दिवस’ हर भारतीय के अंदर लोकतंत्र की रक्षा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की अमर ज्योति को जीवित रखने का काम करेगा, ताकि कांग्रेस जैसी कोई भी तानाशाही मानसिकता भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति न कर पाए.

'भारतीय इतिहास का काला दौर'
वहीं, इस संबंध में पीएम मोदी ने कहा कि 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाना हमें याद दिलाएगा कि जब भारत के संविधान को कुचला गया था, तब क्या हुआ था. यह उन सभी लोगों को श्रद्धांजलि देने का भी दिन है, जिन्होंने आपातकाल की ज्यादतियों के कारण कष्ट झेले थे. यह भारतीय इतिहास का एक काला दौर था.

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