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उत्तराखंड के उद्यान घोटाले में CBI ने चार राज्यों में मारा छापा, बवेजा समेत 26 अफसरों कर्मचारियों से की पूछताछ - Uttarakhand Horticulture Scam

CBI questions Uttarakhand garden scam accused उत्तराखंड के उद्यान घोटाले में गुरुवार को सीबीआई ने बड़ी कार्रवाई की है. सीबीआई ने उत्तराखंड समेत 4 राज्यों में एक साथ छापा मारा. इस दौरान उत्तराखंड के पूर्व उद्यान निदेशक एचएस बवेजा और कई उद्यान अधिकारियों समेत 26 व्यक्तियों से गहन पूछताछ की गई. दरअसल एक जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि उत्तराखंड के उद्यान विभाग में करोड़ों रुपए का घोटाला हुआ है. फलदार पौधों की खरीद में गड़बड़ी कर सरकारी खजाने को चपत लगाई गई है.

Uttarakhand garden scam
उद्यान घोटाले में पूछताछ (File photo)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 13, 2024, 2:14 PM IST

Updated : Jun 13, 2024, 3:03 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड के बहुचर्चित उद्यान घोटाले में सीबीआई ने कार्रवाई की है. सीबीआई ने उत्तराखंड समेत उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की. इस दौरान पूर्व उद्यान निदेशक एचएस बवेजा और कई उद्यान अधिकारियों समेत 26 व्यक्तियों से गहन पूछताछ की गई. इनमें मुख्य उद्यान अधिकारी नैनीताल राजेंद्र कुमार, कुछ अन्य अधिकारियों समेत जम्मू कश्मीर व हिमाचल प्रदेश की नर्सरी से जुड़े कारोबारी और कर्मचारी भी शामिल हैं.

प्रकरण में देहरादून की तत्कालीन मुख्य उद्यान अधिकारी मीनाक्षी जोशी भी लपेटे में आ गई हैं. सीबीआई ने अधिकारियों और कर्मचारियों के ठिकानों से महत्वपूर्ण दस्तावेज जुटाए हैं. सीबीआई जल्द कुछ आरोपियों को गिरफ्तार भी कर सकती है. यह मामला मुख्य रूप से 15 लाख पौधों के नाम पर करीब 70 करोड़ रुपए के खर्च से जुड़ा है और करोड़ों रुपए के भुगतान में सीधे तौर पर फर्जीवाड़ा पकड़ा गया है. पिछले साल अक्तूबर से सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है. हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई को मामले की जांच सौंपी गई थी.

बता दें कि उद्यान विभाग में फलदार पौधों की ख़रीद में गड़बड़ी में हुई थी. हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने सीबीसीआईडी से इस जांच से संबंधित दस्तावेज हासिल कर लिए थे. इसमें पीई (प्राथमिक जांच) दर्ज कर सीबीआई ने जांच शुरू कर दी थी.

अल्मोड़ा निवासी दीपक करगेती, गोपाल उप्रेती और अन्य ने जनहित याचिका दाखिल कर उद्यान विभाग में घोटाले का आरोप लगाया था. याचिकाओं में कहा गया है कि उद्यान विभाग में करोड़ों का घोटाला किया गया है. फलदार पौधों की खरीद में गड़बड़ियां की गई हैं. विभाग ने एक ही दिन में वर्कऑर्डर जारी कर उसी दिन जम्मू कश्मीर से पौधे लाना दिखाया है. जिसका भुगतान भी कर दिया गया है.

सबसे बड़ी बात तो ये थी कि जिस कंपनी से पौधे खरीदवाना दिखाया, उसे लाइसेंस ही उसी दिन मिला था, जिस दिन खरीद हुई. इन याचिकाओं के आधार पर हाईकोर्ट ने इसकी जांच के आदेश दिए थे. शासन के निर्देश पर सीबीसीआईडी को यह जांच सौंपी गई. लेकिन, याचिकाकर्ता इस जांच से संतुष्ट नहीं हुए. ऐसे में उन्होंने फिर से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. पिछले साल अक्तूबर में हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच को सीबीआई के हवाले करने के आदेश दिए थे. इस मामले में उद्यान विभाग के डायरेक्टर को सस्पेंड भी किया जा चुका है.

आरोप है कि मुख्य उद्यान अधिकारी के साथ मिलकर निदेशक ने एक फर्जी आवंटन जम्मू कश्मीर की नर्सरी बरकत एग्रो फार्म को कर दिया. बरकत एग्रो को इनवाइस बिल आने से पहले ही भुगतान कर दिया गया. यही नहीं बिना लेखाकार के हस्ताक्षर के ही करोड़ों के बिल ठिकाने लगा दिए गए.

क्या है पूरा मामला: दरअसल, उत्तराखंड उद्यान विभाग में नर्सरी के नाम पर बड़ा घोटाला सामने आया था. ये दावा किया गया कि 15 लाख पौधे लगाने के बहाने 70 करोड़ रुपये खर्च कर दिये गए थे. महंगे दामों पर बीज खरीदने का मामला भी सामने आया था. इस मामले को अल्मोड़ा निवासी दीपक करगेती ने खोला था.

वहीं, 12 जून 2023 को अनियमितताओं के चलते हरविंदर सिंह बवेजा को उद्यान निदेशक के पद से निलंबित किया गया. बवेजा पर वित्तीय अनियमितताओं के अलावा ये भी आरोप थे कि उन्होंने राज्य में होने वाले फल मसाले सब्जी के महोत्सव के दौरान अपनी फाइलों में जरूरत से ज्यादा खर्च दिखाया. सरकार ने मामला खुलने के बाद SIT जांच के आदेश दिए थे.

मुख्यमंत्री कार्यालय से हुई कार्रवाई में तत्कालीन उद्यान निदेशक हरमिंदर सिंह बवेजा पर ये आरोप पाए गए. इन आरोपों को 11 पन्नों में दर्ज कर उद्यान निदेशक से जवाब मांगा गया था-

  1. अनिका ट्रेडर्स एवं पौधशाला को बिना शासकीय पत्रांक वाले पत्र के जरिए ही लाइसेंस देने का आरोप.
  2. नर्सरी को 0.50 हेक्टेयर क्षेत्रफल का लाइसेंस दिया गया, जबकि जांच के दौरान मौके पर केवल 0.444 हेक्टेयर भूमि ही उपलब्ध पाई गई.
  3. पौधशाला का निरीक्षण कराए बिना ही निदेशक स्तर पर लाइसेंस जारी कर दिया गया.
  4. नर्सरी के लिए आवेदन अधूरे होने के बाद भी न तो इन आवेदनों को सही तरह भरवाया गया और न ही इसका संज्ञान लिया गया. फिर इन अधूरे आवेदनों पर ही लाइसेंस दे दिया गया.
  5. नर्सरी में शीतकालीन बिक्री योग्य उपलब्ध फल पौधों की संख्या संबंधी सूचना अक्टूबर तक निदेशक को दिए जाने का प्रावधान है, लेकिन जानकारी सामने आई कि नर्सरी के लिए भूमि की लीज 4 जनवरी 2023 को की गई और 5 जनवरी 2023 को नर्सरी को लाइसेंस दे दिया गया.
  6. जांच में सवाल उठे कि जब नर्सरी अक्टूबर 2022 तक अस्तित्व में ही नहीं थी, तो फिर कैसे रुद्रप्रयाग, चमोली, अल्मोड़ा, चंपावत और नैनीताल के लिए अनिका ट्रेडर्स पौधशाला से डेढ़ लाख से ज्यादा पौधों के आदेश कर दिए गए.
  7. निदेशक पर ये भी आरोप था कि इस दौरान चुनिंदा किसानों को लाभ पहुंचाया गया.

वहीं, एसआईटी जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद दीपक करगेती ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सरकार के फैसले से असंतुष्ट होकर घोटाले की जांच सीबीआई से कराने के आदेश दिए. उधर, हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट गई. सरकार की ओर से उद्यान मंत्री गणेश जोशी ने कहा था कि एसआईटी जांच पर सरकार को भरोसा था इसलिए सुप्रीम कोर्ट गए थे. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को यथावत रखते हुए CBI जांच के निर्देश जारी रखे.

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान इस पूरे घोटाले में रानीखेत से बीजेपी विधायक प्रमोद नैनवाल के भाई का नाम भी सामने आया था. जिसके बाद नैनवाल ने सफाई देते हुए कहा था कि उद्यान विभाग द्वारा नियमों के तहत ही उन्हें पेड़ मिले. ये पेड़ कृषक समिति के तहत दिए गए हैं जिसमें कई किसान शामिल हैं. उद्यान विभाग से मिला इसका प्रमाण पत्र भी उनके पास है. इन पेड़ों का लाभ पूरी कृषक समिति में मौजूद किसानों को मिल रहा है.

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प्रकरण में देहरादून की तत्कालीन मुख्य उद्यान अधिकारी मीनाक्षी जोशी भी लपेटे में आ गई हैं. सीबीआई ने अधिकारियों और कर्मचारियों के ठिकानों से महत्वपूर्ण दस्तावेज जुटाए हैं. सीबीआई जल्द कुछ आरोपियों को गिरफ्तार भी कर सकती है. यह मामला मुख्य रूप से 15 लाख पौधों के नाम पर करीब 70 करोड़ रुपए के खर्च से जुड़ा है और करोड़ों रुपए के भुगतान में सीधे तौर पर फर्जीवाड़ा पकड़ा गया है. पिछले साल अक्तूबर से सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है. हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई को मामले की जांच सौंपी गई थी.

बता दें कि उद्यान विभाग में फलदार पौधों की ख़रीद में गड़बड़ी में हुई थी. हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने सीबीसीआईडी से इस जांच से संबंधित दस्तावेज हासिल कर लिए थे. इसमें पीई (प्राथमिक जांच) दर्ज कर सीबीआई ने जांच शुरू कर दी थी.

अल्मोड़ा निवासी दीपक करगेती, गोपाल उप्रेती और अन्य ने जनहित याचिका दाखिल कर उद्यान विभाग में घोटाले का आरोप लगाया था. याचिकाओं में कहा गया है कि उद्यान विभाग में करोड़ों का घोटाला किया गया है. फलदार पौधों की खरीद में गड़बड़ियां की गई हैं. विभाग ने एक ही दिन में वर्कऑर्डर जारी कर उसी दिन जम्मू कश्मीर से पौधे लाना दिखाया है. जिसका भुगतान भी कर दिया गया है.

सबसे बड़ी बात तो ये थी कि जिस कंपनी से पौधे खरीदवाना दिखाया, उसे लाइसेंस ही उसी दिन मिला था, जिस दिन खरीद हुई. इन याचिकाओं के आधार पर हाईकोर्ट ने इसकी जांच के आदेश दिए थे. शासन के निर्देश पर सीबीसीआईडी को यह जांच सौंपी गई. लेकिन, याचिकाकर्ता इस जांच से संतुष्ट नहीं हुए. ऐसे में उन्होंने फिर से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. पिछले साल अक्तूबर में हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच को सीबीआई के हवाले करने के आदेश दिए थे. इस मामले में उद्यान विभाग के डायरेक्टर को सस्पेंड भी किया जा चुका है.

आरोप है कि मुख्य उद्यान अधिकारी के साथ मिलकर निदेशक ने एक फर्जी आवंटन जम्मू कश्मीर की नर्सरी बरकत एग्रो फार्म को कर दिया. बरकत एग्रो को इनवाइस बिल आने से पहले ही भुगतान कर दिया गया. यही नहीं बिना लेखाकार के हस्ताक्षर के ही करोड़ों के बिल ठिकाने लगा दिए गए.

क्या है पूरा मामला: दरअसल, उत्तराखंड उद्यान विभाग में नर्सरी के नाम पर बड़ा घोटाला सामने आया था. ये दावा किया गया कि 15 लाख पौधे लगाने के बहाने 70 करोड़ रुपये खर्च कर दिये गए थे. महंगे दामों पर बीज खरीदने का मामला भी सामने आया था. इस मामले को अल्मोड़ा निवासी दीपक करगेती ने खोला था.

वहीं, 12 जून 2023 को अनियमितताओं के चलते हरविंदर सिंह बवेजा को उद्यान निदेशक के पद से निलंबित किया गया. बवेजा पर वित्तीय अनियमितताओं के अलावा ये भी आरोप थे कि उन्होंने राज्य में होने वाले फल मसाले सब्जी के महोत्सव के दौरान अपनी फाइलों में जरूरत से ज्यादा खर्च दिखाया. सरकार ने मामला खुलने के बाद SIT जांच के आदेश दिए थे.

मुख्यमंत्री कार्यालय से हुई कार्रवाई में तत्कालीन उद्यान निदेशक हरमिंदर सिंह बवेजा पर ये आरोप पाए गए. इन आरोपों को 11 पन्नों में दर्ज कर उद्यान निदेशक से जवाब मांगा गया था-

  1. अनिका ट्रेडर्स एवं पौधशाला को बिना शासकीय पत्रांक वाले पत्र के जरिए ही लाइसेंस देने का आरोप.
  2. नर्सरी को 0.50 हेक्टेयर क्षेत्रफल का लाइसेंस दिया गया, जबकि जांच के दौरान मौके पर केवल 0.444 हेक्टेयर भूमि ही उपलब्ध पाई गई.
  3. पौधशाला का निरीक्षण कराए बिना ही निदेशक स्तर पर लाइसेंस जारी कर दिया गया.
  4. नर्सरी के लिए आवेदन अधूरे होने के बाद भी न तो इन आवेदनों को सही तरह भरवाया गया और न ही इसका संज्ञान लिया गया. फिर इन अधूरे आवेदनों पर ही लाइसेंस दे दिया गया.
  5. नर्सरी में शीतकालीन बिक्री योग्य उपलब्ध फल पौधों की संख्या संबंधी सूचना अक्टूबर तक निदेशक को दिए जाने का प्रावधान है, लेकिन जानकारी सामने आई कि नर्सरी के लिए भूमि की लीज 4 जनवरी 2023 को की गई और 5 जनवरी 2023 को नर्सरी को लाइसेंस दे दिया गया.
  6. जांच में सवाल उठे कि जब नर्सरी अक्टूबर 2022 तक अस्तित्व में ही नहीं थी, तो फिर कैसे रुद्रप्रयाग, चमोली, अल्मोड़ा, चंपावत और नैनीताल के लिए अनिका ट्रेडर्स पौधशाला से डेढ़ लाख से ज्यादा पौधों के आदेश कर दिए गए.
  7. निदेशक पर ये भी आरोप था कि इस दौरान चुनिंदा किसानों को लाभ पहुंचाया गया.

वहीं, एसआईटी जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद दीपक करगेती ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सरकार के फैसले से असंतुष्ट होकर घोटाले की जांच सीबीआई से कराने के आदेश दिए. उधर, हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट गई. सरकार की ओर से उद्यान मंत्री गणेश जोशी ने कहा था कि एसआईटी जांच पर सरकार को भरोसा था इसलिए सुप्रीम कोर्ट गए थे. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को यथावत रखते हुए CBI जांच के निर्देश जारी रखे.

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान इस पूरे घोटाले में रानीखेत से बीजेपी विधायक प्रमोद नैनवाल के भाई का नाम भी सामने आया था. जिसके बाद नैनवाल ने सफाई देते हुए कहा था कि उद्यान विभाग द्वारा नियमों के तहत ही उन्हें पेड़ मिले. ये पेड़ कृषक समिति के तहत दिए गए हैं जिसमें कई किसान शामिल हैं. उद्यान विभाग से मिला इसका प्रमाण पत्र भी उनके पास है. इन पेड़ों का लाभ पूरी कृषक समिति में मौजूद किसानों को मिल रहा है.

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Last Updated : Jun 13, 2024, 3:03 PM IST
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